मध्यकालीन भारत(Medieval India)-
त्रिपक्षीय संघर्ष - हर्षवर्धन ने सत्ता का केन्द्र कन्नौज को बनाया। हर्ष के बाद यशोवर्धन कन्नौज का शाषक बना। यशोवर्धन के दरबार में वागपति व भूपति नाम के विद्वान थे। कन्नौज गंगा यमुना के दोआब पर स्थित एक अत्यन्त उपजाउ क्षेत्र था तथा हूणों के बाद एक मुश्लिम आक्रमण से पश्चिमोत्तर भारत अधिक सुरक्षित नही था। अत: कन्नौज सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण था। यही कारण है कि कन्नौज पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए गर्जर-प्रतिहार,राष्ट्रकूट व पालवंश के मध्य त्रिपक्षीय संघर्ष हुआ।
भारत पर अरब का आक्रमण-
पैंगम्बर मुहम्मद साहब की मृत्यु 632ई. मे होने के बाद मुस्लिम खलीफाओं ने लगभग पूरे मध्य एशिया पर अधिकार कर लिया और फिर उनकी नजर भारत की तरफ गई। भारत मे हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद कोई केंद्रीयकृत शक्ति न होने से अनेक छोटे-छोटे राज्य बन गये थे। ये आपस मे दुश्मनी रखते थे इसलिए इनमें फूट रहती थी। इन कारण अरब शासको ने भारत की तरफ अभियान शुरु किये। भारत पर पहला अरब आक्रमण 712ई. मे मुहम्मद बिन कासिम ने किया। 714ई. मे मुहम्मद बिन कासिम वापस लौट गया।
भारत पर तुर्क आक्रमण -
अरबों के बाद भारत पर तुर्क आक्रमण हुये। सुबुक्तगीन ने पहला तुर्क आक्रमण 986ई. मे किया। इसमें हिन्दूशाही वंश का शासक जयपाल पराजित हुआ। सुबुक्तगीन का बेटा महमूद गजनवी था। महमूद गजनवी के विषय मे जानकारी ‘तारीखे-गुजींदा’ से मिलती है यह पहला तुर्क शासक था जिसने सुल्तान की उपाधि धारण की। इसका सम्बन्ध यामिनी वंश से था। इसे ‘बुतशिकन’ भी कहते है फिरदौसी इसका दरबारी कवि था जिसने शाहनामा नामक ग्रंथ लिखा। महमूद की सेना के साथ अलबरुनी, उत्तबी,बेहाकी भारत आये। उत्तबी ने आगरा का वर्णन किया। अलबरुनी ने अपने ग्रंथ किताबुल हिन्द मे भारत की सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, दशा का वर्णन किया है। इसने 17 आक्रमण किये।
महमूद गजनवी के आक्रमण
वर्ष | स्थान | शासक |
1000 | पश्चिम के सीमा प्रान्त | जयपाल |
1001 | पेशावर | जयपाल(आत्महत्या) |
1005 | भटिण्डा | विजयराज |
1006 | मुलतान | दाउद |
1007 | ओहिन्द | सुखपाल |
1008 | नगरकोट | आनन्दपाल |
1009 | नारायणपुर | अज्ञात |
1010 | मुलतान | दाउद |
1013-14 | थानेश्वर | राजाराम |
1014 | नन्दशाह | त्रिलोचनपाल |
1015 | कश्मीर | भीमपाल |
1018 | कन्नौज | राज्यपाल |
1019-20 | बुंदेलखण्ड | अज्ञात |
1021 | कालिंजर | गोण्डा (गंग) |
1024 | गुजरात | अज्ञात |
1025 | सोमनाथ | भीमदेव |
1027 | मुल्तान | जाट शासक |
सल्तनत काल (1206-1526ई.)
गुलाम वंश -1206-1290 ई
कुतुबद्दिन ऐबक | 1206-1210 ई. (संसथापक ) |
इल्तुतमिश | 1210-1236 |
रजिया बेगम | 1236-1240 |
ग्यासुद्दीन बलबन | 1265-1290 |
कयूमर्स | 1290 (अंतिम) |
खिलजी वंश- 1290-1320ई.
जलालुउद्दीन खिलजी | 1290-1296(संस्थापक) |
अलाउद्दीन खिलजी | 1296-1316 |
कुतुबुद्दीन मुवारक खिलजी | 1316-1320 (बादशाह की पदवी प्राप्त की) |
खुशरवशाह (धर्मान्तरित मुल्मिम) | 1320 (अन्तिम) |
तुगलक वंश 1320-1414ई
ग्यासुद्दीन तुगलक | 1320-1325ई (संस्थापक) |
मुहम्मद बिन तुगलक | 1325-1351ई |
फिरोज तुगलक | 1351-1388ई |
नासिरुद्दीन महमूद तुगलक | 1398-1414अन्तिम |
सैय्यद वंश 1414-1451ई
खिज्र खां | 1414-1421ई (संस्थापक) |
मुबारक खां | 1421-1434 |
मुहम्मदशाह | 1434-1445 |
आलमशाह | 1445-1451ई. (अन्तिम) |
लोदी वंश 1451-1526
बहलोल लोदी | 1451-1489 (संस्थापक) |
सिकन्दर लोदी | 1489-1517 |
इब्राहिम लोदी | 1517-1526 ई. (अन्तिम) |