छत्रपति शिवाजी की जीवनी
शिवाजी
शिवाजी का जन्म 1627 ई. मे जून्नार के निकट शिवनेर के पहाडी दुर्ग मे हुआ था। इनके पिता शाहजी भोंसले अहमदाबाद राज्य की सेवा मे थे। इनकी माता जीजाबाई थी। इसके गुरु एवं संरक्षक दादा कोणदेव थें। शिवाजी के अन्दर धार्मिक प्रवृति एवं राष्ट्र प्रेम समर्थ गुरु राम दास ने भरा। शिवाजी की पहली सफलता बीजापुर के आदिलशाही राज्य के विरुद्ध थी, जब इन्होने सिंहगढ (1643ई.) दुर्ग को जीता। इसके बाद तोरण (1646ई.) की लूट के धन से शिवाजी ने रायगढ के किले का निर्माण कराया। 1648ई. मे शिवाजी ने पुरन्दर के किले को जीता।
शिवाजी की बढती शक्ति को देखकर बीजापुर के सुल्तान ने अफजल खां (1659 ई.) को भेजा जिसकी हतया शिवाजी ने कर दी। उसके बाद 1660ई. मे दक्कन के सूबेदार शाइस्ता खां को औरंगजेब ने भेजा। शिवाजी और जयसिंह के बीच पुरन्दर की संधि हुई।
पुरन्दर की संधि की शर्तें-
1- शिवाजी द्वारा मुगलों को अपने 23 किले सौपने थे।
2- शिवाजीके पास सामान्य आय वाले 12 किले रहने थे।
3- शिवाजी ने अपने पुत्र शम्भाजी को 5हजार का मनसब देने की बात मान ली।
4- मुगल सेना के द्वारा चलाये जाने वाले बीजापुर अभियान में शिवाजी को सहयोग करना था।
इस संधि के अंतर्गत शिवाजी ने मुगलो को अपने 23 किले सौपे और अपने पुत्र शम्भाजी को औरंगजेब के पास भोजना स्वीकारा। 9मई,1666 को शिवाजी आगरा मे औरंगजेब से मिलने को गये जहां उन्हे गिरफ्तार कर जयपुर भवन मे रखा गया।वहां से भागकर शिवाजी ने 16जून, 1674 को रायगढ के किले मे अपना राज्यभिषेक श्री गंगाभट्ट द्वारा करवाया और रायगढ को अपनी राजधानी बनाया। इन्होने छत्रपति की उपाधि धारण की। इसके बाद इन्होने तांत्रिक विधि से पुन: अपना राज्याभिषेक करवाया।
शिवाजी के अभियान- 1666 ई. मे औरंगजेब की कैद से फरार होकर शिवाजी ने 1669ई. तक अपने विजित प्रदेशो को सुदृढ किया। 1670ई. मे शिवाजी ने मुगलो को दिये अपने 23 किलो मे से अधिकांश को जीत लिया। इसी के साथ शिवाजी ने मुगल क्षेत्रो से चौथे और सरदेशमुखी नामक कर लेने प्रारंम्भ किये। 1670से 1674ई. के बीच शिवाजी ने सभी मुगल अभियानो को पराजित कर दिया। 1672 ई. मे शिवाजी ने बीजापुर से पन्हाला दुर्ग को छीन लिया। 1674ई. मे राज्यभिषेक के बाद शिवाजी का अंतिम अभियान कर्नाटक का अभियान था लेकिन आक्रमण से पहले ही कुतुबशाही तथा शिवाजी के बीच संधि हो गई। बीजापुर की कुतुबशाही ने शिवाजी को कर देना प्रारंभ कर दिया। शिवाजी ने जिंजी तथा वेल्लोर पर कब्जा कर लिया और जिंजी को अपनी नई राजधानी बनाया। 14 अप्रैल 1680ई. मे शिवाजी की मृत्यु हो गई।
शिवाजी के साम्राज्य के दो भाग थे। पहला भाग स्वराज के अंतर्गत आता था, जो कि उनका स्वंय का राज्य था। दूसरा भाग वह था जो उन्होने राज्यभिषेक के बाद जीता था। शासन कार्य करने के लिए अष्टप्रधान की नियुक्ति की गई थी। इसका महत्वपूर्ण पद पेशवा होता था। इसके अलावा अमात्य, सर-ए-नोवत(सेनापति),वाक्यानवीस (संधिविग्रह), चिटनिस(राजकीय पत्रों को पढने वाला), सुमन्त (विदेश मंत्री), पुरोहित,न्यायाधिश आदि होते थे। अंतिम दो को छोडकर शेष सभी के लिए सैनिक कार्य अनिवार्य था। शिवाजी ने भूमि की पैमाईश के लिए काठी का प्रयोग किया। अन्नाजी दत्तो को भू-सर्वेक्षण का कार्य सौपा। पाटिल, कुलकर्णी,देशमुख राजस्व एकत्रित करने वाले अधिकारी थे। चौथ (सेना से सुरक्षा हेतु) और सरदेशमुखी (भु-राजस्व) देा प्रमुख कर थे। शिवाजी के पास जहाजीबेडा भी था। शिवाजी के घुडसवार सैनिको को बरगी (राज्य की ओर से साजो समान मिलता था) और सिलेहदार (स्वंम का सामान होता था) कहते थे। पागा पैदल सैनिको को कहते थे। शिवाजी की सेना मे अधिकारियों का क्रम निम्न प्रकार से था। हलवदार-जुम्लादार- एकहजारी-सर-ए-नावत।
शिवाजी मे एक कुशल सेनानायक तथा प्रशासक के सभी गुण मौजूद थे। शासन कार्यो मे सहायता के लिए शिवाजी ने जा सलाहकार परिषद’अष्टप्रधान’ का गठन किया था, उसे मंत्रिमडल नही कहा जा सकता है क्योकि इसमें किसी को भी निर्णय लेने का अधिकार नही था। इन्हे सचिव कहा जा सकता है।शिवाजी इनसे सलाह लेने के लिए बाध्य नही थे। शिवाजी की आय का प्रमुख स्रोत भूमिकर,चौथ तथा सरदेशमुखी था।
भूमिकर- शिवाजी ने रैय्यतवाडी व्यवस्था को अपनाया। भूमिकर 33प्रतिशत से 40प्रतिशत तक था।
चौथ- इसके विषय मे विद्वानो मे मतभेद है। रानाडे के अनुसार यह एक प्रकार का सुरक्षा कर था जो आक्रमण न करने के लिए पडोसी क्षेत्रो से लिया जाता था। सरदेसाई के अनुसार यह शत्रुता रखने वाले तथा विजित क्षेत्रो से लिया जाता था। जदुनाथ सरकार के अनुसार यह भयदोहन जैसा कर था जो मराठा आक्रमण से बचने के लिए लिया जाता था। सामान्य रुप से यह आय का चौथा हिस्सा होता था।
सरदेशमुखी – यह कर, राज्यों की आय का 1/10भाग होता था। यह एक प्रकार का सम्मान कर था जो सरदेशमुखी(मुखिया) होने के नाते शिवाजी द्वारा वसूला जाता था। दौलत खां शिवाजी की नौ सेना का प्रधान था।
हाजीरमजलिस सर्वोच्च न्यायालय था।
शिवाजी के उत्तराधिकारी
1-शिवाजी की दुसरी रानी सूर्याबाई ने अपने पुत्र राजाराम को 1680ई. मे गद्दी पर बैठाया।
2-शिवाजी के बडे पुत्र शम्भा जी ने मराठा सरदार हम्मीर राव मोहिन्ते के सहयोग से राजाराम को गिरफ्तार कर स्वयं गद्दी प्राप्त की(1680ई.मे ही)
3-शम्भाजी ने औरंगजेब के विद्रोही पुत्र अकबर को संरक्षण दिया जिसके कारण औरंगजेब ने शम्भाजी की हत्या 1689ई. मे करवा दी।
4-राजाराम का पुन: राज्यभिषेक हुआ और उसने जिंजी को राजधानी बनाया
5-शम्भा जी के पुत्र शाहू को मुगलों ने 1689ई. मे कैद किया परन्तु बाद मे उसे राजा की उपाधि दी ओर मनसब प्रदान किया।
6-राजाराम ने सतारा को राजधानी बनाया परन्तु मुगलों से संघर्ष करते हुए वह सन् 1700 मे मारा गया ।
7-राजाराम की विधवा ताराबाई ने अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय को 1700ई. से राजा घोषित कर दिया।
8-सन् 1707 मे औरंगजेब मृत्यु के बाद मुगलों ने शाहूजी को छत्रपति स्वीकार कर लिया।
9-शाहूजी (1707-1748) के शासन काल में मराठे पेशवाओं के नेतृत्व मे पुन: एक जुट हो गये।
अंग्रेजों द्वारा बनाये गये प्रमुख कानुन
कानुन का नाम | गवर्नर जनरल | वर्ष | विशेषता |
सतीप्रथा निषेध कानुन | लॉर्ड विलियम | 1829 ई. | इसके द्वारा सती प्रथा पर कानुनी रोक लगा इसे हत्या माना गया |
नवजात कन्या हत्या कानुन | सर जॉन शोर | 1795 ई. | इसके द्वारा नवजात कन्याओं की हत्या पर रोक लगायी गयी। |
सम्मति आयु कानुन | लॉर्ड लेंसडाउन | 1891ई. | 12 वर्ष से कम आयु के बालको के विवाह पर रोक लगायी गयी। |
बाल हत्या निरोधक कानुन | लॉर्ड वैलेजली | 1802 ई. | इसके द्वारा नवजात शिशुओं का मारने पर रोक लगायी गयी। |
शारदा एक्ट | लॉर्ड इरविन | 1930 ई. | इसके द्वारा बालको के लिए विवाह की न्युनतम आयु 18 वर्ष एवं बालिकाओ के लिए 14 वर्ष निश्चित की गयी |
हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम | लॉर्ड डलहौजी | 1856ई. | इसके द्वारा विधवा विवाह को कानुनी मान्यता दी गयी । |
हिन्दू महिला सम्पत्ति कानुन | लॉर्ड ऑकलैण्ड | 1937 ई. | इसके द्वारा हिन्दू महिलाओ को सम्पत्ति का अधिकार प्रदान किया गया। |