मौर्य साम्राज्य

  Last Update - 2023-06-07

मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण : मौर्य वंश के संस्थापक और प्रथम शासक चन्द्रगुप्त मौर्य थे। मौर्य साम्राज्य के प्रथम शासक चन्द्रगुप्त मौर्य के समय से लेकर बिन्दुसार व अशोक तक के शासक तक मौर्य साम्राज्य अत्यंत शक्तिशाली साम्राज्य हुआ करता था तथा इनके शासन में मौर्य साम्राज्य का इतना विस्तार हो चुका था कि विदेशी आक्रमणकारियों का मौर्य साम्राज्य के प्रति भय बना रहता था। परन्तु अशोक की मृत्यु के पश्चात उनके उत्तराधिकारी बृहद्रथ के शासन में मौर्य साम्राज्य अत्यंत कमजोर पड़ गया।

बृहद्रथ की अयोग्यता के कारण उसके शासन में कई ऐसी घटनाएं हुई जिसकी वजह से मौर्य साम्राज्य विघटित होने लगा और मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया। मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण निम्नलिखित है -

मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण

अशोक की नीति व अयोग्य उत्तराधिकारी

अशोक के सुधारों और धार्मिक विश्वासों की नीति से ब्राह्मणों को बहुत गहरा धक्का लगा था। अशोक की मृत्यु होने के बाद ब्राह्मणों ने मौर्य साम्राज्य का खुलकर विरोध करना आरम्भ कर दिया। ब्राह्मणों का यह विरोध मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण रहा। ब्राह्मणों द्वारा मौर्य साम्राज्य का विरोध करने के पीछे का कारण मौर्य साम्राज्य के उत्तराधिकारी बृहद्रथ की अयोग्यता या निकम्मापन था क्योंकि उसके कार्यों ने साम्राज्य की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था। मौर्य साम्राज्य की इस असुरक्षित स्थिति को देख कर बृहद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उनकी हत्या कर दी और मगध पर शुंग वंश की नींव डाल कर मौर्य साम्राज्य को समाप्त कर दिया।

प्रांतीय शासकों के अत्याचार

प्रांतीय शासकों के द्वारा जनता पर किए गए अत्याचारों व उत्पीड़न के कारण जन विद्रोह होने लगे जिससे मौर्य साम्राज्य की स्थिति अत्यंत कमजोर होने लगी। इसके अलावा स्थानीय स्वायत्तता की भावना, दूरस्थ प्रांतों के आवागमन की कठिनाईयां, राजमहलों के कुचक्र और पदाधिकारियों के साथ विश्वासघात इन सभी परिस्थितियों ने मौर्य साम्राज्य की केंद्र की शक्ति को कमजोर बना दिया जो उसके पतन का प्रमुख कारण था।

विशाल साम्राज्य

मौर्य साम्राज्य की सीमा बहुत विशाल थी जिसका विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के सुदूर कोने तक था। मौर्य साम्राज्य में संचार के साधनों के अभाव के कारण साम्राज्य की विशालता शक्ति के बजाय उनकी कमजोरी का कारण बन गई। साम्राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के मध्य दूरियां इतनी अधिक थी कि साम्राज्य राजनीतिक नीतियों को एकीकृत नहीं रख सकता था यही कारण रहा की विभिन्न विपरीत परिस्थितियां मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बनी।

अशोक द्वारा अहिंसा की नीति स्वीकारना

अशोक द्वारा युद्ध को त्याग दिया गया और इसके बदले में उसने उदारता, दया व सहिष्णुता के साथ शासन करना अपने साम्राज्य का आधार बनाया और साम्राज्य को मजबूत बनाने का प्रयास किया। इसके अलावा उसने राज्य की सम्पूर्ण शक्ति को सैनिक अभियानों व शक्ति प्रयोग के अलावा शक्ति को लोक हित, धर्म व नैतिक उत्थान में लगा दिया। परन्तु अशोक की इस अहिंसा की नीति का परिणाम यह रहा की अशोक सैनिक दृष्टि से बहुत कमजोर हो गया जिससे उसकी सैनिक कौशल और बल पतन की स्थिति में आ गया और यही स्थिति मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण था।

राजधानी केंद्र में न होना

मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी जो संपूर्ण साम्राज्य के क्षेत्र की दृष्टि से उसके केंद्र में स्थित न होकर थोड़ा अलग थी। राजधानी संपूर्ण साम्राज्य का केंद्र नहीं थी जिससे साम्राज्य के दूर के क्षेत्रों में अक्सर विद्रोह हुआ करते थे। राजधानी पाटलिपुत्र से दूर के क्षेत्रों को नियंत्रित करना मुश्किल हुआ करता था और इन क्षेत्रों में निरंतर हो रहे विद्रोहों के कारण साम्राज्य कमजोर हो गया और उसका पतन होने लगा।

राजसी परिवार में षड्यंत्र व फूट

मौर्य साम्राज्य के राजसी परिवार में बहुविवाह की प्रथा प्रचलित थी जिससे उनके अनेक पुत्र हुआ करते थे। इन पुत्रों एवं इनकी माताओं में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या व द्वेष की भावनाएं हुआ करती थी और वे एक-दूसरे के लिए कई षड्यंत्रों को अपनाते थे जिससे धीरे-धीरे न केवल मौर्य साम्राज्य का राजसी परिवार बल्कि सम्पूर्ण मौर्य साम्राज्य पतन की ओर आ गया।

विदेशी आक्रमण

अशोक की मृत्यु के पश्चात जब मौर्य साम्राज्य का स्तर नीचे गिरने लगा तो यूनानियों ने एक बार फिर से भारत को अपना लक्ष्य बनाते हुए हिन्दू कुश को पार कर भारतीय क्षेत्रों पर उतर आए और धीरे-धीरे यूनानियों ने जिस प्रकार मौर्य साम्राज्य की आंतरिक सीमा की ओर प्रवेश किया उससे अंदाजा लगाया जा सकता था की मौर्य साम्राज्य कितना कमजोर पड़ चुका था। अर्थात विदेशी आक्रमण भी मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण बना।

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