आंध्र प्रदेश भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में 1600 किलोमीटर है और दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट 972 किलोमीटर है। तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश राज्य से अलग होकर बनने वाला 29वाँ नवगठित राज्य है। हैदराबाद को दस साल के लिए तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाया गया है। अमरावती, आन्ध्र प्रदेश की प्रस्तवित राजधानी का नाम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदंडरायणपालम इलाके में 22 अक्टूबर 2015 को नींव का पत्थर रखा था। गुंटूर और विजयवाड़ा का महानगरीय क्षेत्र मिला कर अमरावती महानगर क्षेत्र का निर्माण किया जायेगा।
आंध्र प्रदेश के विषय में प्रारंभिक विवरण ऐतरेय ब्राह्मण (लगभग 2000 ईसा पूर्व) में मिलता है। इसमें उल्लेख हैं कि आंध्र प्रदेश के निवासी मूल रूप से आर्य जाति के थे और उत्तर भारत में रहते थे, जहां से वे विंध्य पर्वतों के दक्षिण तक चले गए और कालान्तर में अनार्यो के साथ घुल मिल गए। इतिहासकारों के अनुसार आंध्र प्रदेश का नियमित इतिहास 236 ईसा पूर्व से मिलना शुरू होता है। 236 ईसा पूर्व में ही सम्राट अशोक का निधन हुआ था और उसके बाद के समय में सातवाहन, शक, इक्ष्वाकु, पूर्वी चालुक्य और काकतीय ने इस तेलुगु भाषी देश पर राज्य किया। इनके बाद में विजयनगर और कुतुबशाही शासकों का शासन रहा और उनके बाद मीर कमरूद्दीन के शासन में 17 वीं शताब्दी से अंग्रेज़ों ने देश के कई भागों को अपने नियंत्रण में ले लिया और मद्रास प्रांत की स्थापना कर दी।
तेलुगु शब्द का मूल रूप संस्कृत में "त्रिलिंग" है। इसका तात्पर्य आंध्र प्रदेश के श्रीशैल के मल्लिकार्जुन लिंग, कालेश्वर और द्राक्षाराम के शिवलिंग से है। इन तीनों सीमाओं से घिरा देश त्रिलिंग देश और यहाँ की भाषा त्रिलिंग (तेलुगु) कहलाई। इस शब्द का प्रयोग तेलुगु के आदि-कवि "नन्नय भट्ट" के महाभारत में मिलता है। यह शब्द त्रिनग शब्द से भी उत्पन्न हुआ माना जाता है। इसका आशय तीन बड़े बड़े पर्वतों की मध्य सीमा में व्याप्त इस प्रदेश से है। आंध्र जनता उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर जब हटाई गई तो दक्षिणवासी होने के कारण इस प्रदेश और भाषा को "तेनुगु" नाम दिया गया।
पांड्यांश्च द्रविडांश्चैव सहितांश्चोण्ड्रकेरलै: आंध्रस्तालवनांश्चैव कलिंगानुष्ट्रकर्णिकान् ।
राजधानी | हैदराबाद (प्रस्तावित राजधानी- अमरावती) |
राजभाषा(एँ) | तेलुगू |
स्थापना | 1 नवंबर, 1956 |
जनसंख्या | 49,665,533 |
| घनत्व | 310 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 160,205 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 17.366° उत्तर, 78.476° पूर्व |
तापमान | औसत 29 °C |
| ग्रीष्म | 45 °C |
| शरद | 13 °C |
ज़िले | 13 |
सबसे बड़ा नगर | विशाखापत्तनम |
मुख्य पर्यटन स्थल | सालारजंग संग्रहालय, चारमीनार, गोलकुंडा क़िला, हुसैन सागर झील, तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर |
लिंग अनुपात | 1000:978 ♂/♀ |
साक्षरता | 67.41% |
राज्यपाल | विश्व भूषण हरिचंदन |
मुख्यमंत्री | वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी |
विधानसभा सदस्य | 175 |
विधान परिषद सदस्य | 56 |
लोकसभा क्षेत्र | 25 |
आंध्र प्रदेश राज्य में तीन प्रमुख भौतिक-भौगोलिक क्षेत्र हैं:-
तटीय मैदान राज्य की लगभग पूरी लंबाई में फैले हैं, जहाँ पश्चिम से पूर्व की ओर पहाड़ियों से होकर खाड़ी में गिरने वाली अनेक नदियाँ हैं। इनमें से दो प्रमुख नदियों, गोदावरी और कृष्णा के डेल्टा मैदानों का उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से युक्त मध्य भाग बनाते हैं। पूर्वी घाट विशाल नदी घाटियों के कारण एक सतत श्रेणी नहीं बनाते। ये घाट मध्य भारत से सुदुर दक्षिण तक फैली एक बड़ी पर्वतश्रेणी का हिस्सा हैं, जो पूर्वी तट के समानांतर हैं। यहाँ की तटीय मिट्टी बहुत सरंध्र है। इन पर्वतश्रेणियों के पश्चिम क पठार कायांतरित चट्टान से बना है°(ऐसी चट्टान, जो अत्यधिक आंतरिक ताप और दाब के कारण बनती है)। पठार की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 487.6 मीटर है। क्षरण के कारण यह सीढ़ीदार घाटियों का क्षेत्र बन गया है, जहाँ की मिट्टी लाल व रेतीली और पहाड़ियाँ एकल हैं। यहाँ के कुछ क्षेत्रों में काली मिट्टी भी पाई जाती है।
आंध्र प्रदेश में तीन ऋतुएँ पाई जाती हैं-
पूरे राज्य में अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 23° से 28° से. और 10° से 12° से. के बीच रहता है। तटीय मैदानों में ग्रीष्म ऋतु काफ़ी गर्म रहती है और कुछ स्थानों पर तापमान 42° से. तक पहुँच जाता है। पठार पर गर्मियों में हल्का ठंडापन रहता है और सर्दियों में बहुत ठंड पड़ती है। आंध्र प्रदेश में अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी हवाओं से होती है और कुछ स्थानों पर 1,400 मिमी वर्षा होती है, जबकि अन्य स्थानों पर वर्षा का स्तर केवल 508 मिमी है। आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। पठार के कुछ क्षेत्रों, विशेषकर उत्तर और पश्चिम में बहुत कम वर्षा होती है।
खाद्यान्न उत्पादन में संलग्न आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र कृषि है। आंध्र प्रदेश देश के प्रमुख धान उत्पादन राज्यों में से एक है और भारत में वर्जीनिया तंबाकू का लगभग 4/5 भाग का उत्पादन भी यहीं होता है। राज्य की नदियाँ, विशेषकर गोदावरी और कृष्णा कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। लंबे समय तक इनके लाभ आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों तक सीमित थे, जिन्हें सर्वोत्तम सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध थीं। स्वतंत्रता के बाद शुष्क आंतरिक क्षेत्रों के लिए इन दो नदियों के अलावा अन्य दो नदियों के पानी को एकत्र करने के प्रयास किए गए हैं। नहरों द्वारा सिंचाई करने से तेलंगाना और रायलसीमा क्षेत्रों में तटीय आंध्र प्रदेश की कृषि-औद्योगिक इकाइयों से होड़ लेती इकाइयों की संख्या बढ़ गई है।
खाद्यान्न उत्पादन में संलग्न आंध्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का प्राथमिक क्षेत्र कृषि है। आंध्र प्रदेश देश के प्रमुख धान उत्पादन राज्यों में से एक है और भारत में वर्जीनिया तंबाकू का लगभग 4/5 भाग का उत्पादन भी यहीं होता है। राज्य की नदियाँ, विशेषकर गोदावरी और कृष्णा कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। लंबे समय तक इनके लाभ आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों तक सीमित थे, जिन्हें सर्वोत्तम सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध थीं। स्वतंत्रता के बाद शुष्क आंतरिक क्षेत्रों के लिए इन दो नदियों के अलावा अन्य दो नदियों के पानी को एकत्र करने के प्रयास किए गए हैं। नहरों द्वारा सिंचाई करने से तेलंगाना और रायलसीमा क्षेत्रों में तटीय आंध्र प्रदेश की कृषि-औद्योगिक इकाइयों से होड़ लेती इकाइयों की संख्या बढ़ गई है। आंध्र प्रदेश में नागरिकों का मुख्य व्यवसाय खेती है, इसके लगभग 62 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। आंध्र प्रदेश की मुख्य फ़सल चावल है और यहाँ के लोगों का मुख्य आहार भी चावल ही है। राज्य के कुल अनाज के उत्पादन का 77 प्रतिशत भाग चावल ही है। यहाँ की अन्य प्रमुख फ़सलें - ज्वार, तंबाकू, कपास और गन्ना हैं। मूँगफली भी आंध्र प्रदेश में खूब पैदा होती है। मूँगफली के उत्पादन की दृष्टि से भारत में गुजरात का प्रथम स्थान है, जहाँ कुल उत्पादन की 35.95 प्रतिशत मूँगफली पैदा होती है। इसके बाद आन्ध्र प्रदेश (28.32 प्रतिशत) का दूसरा और तमिलनाडु (11.84 प्रतिशत) का तीसरा स्थान है। आंध्र प्रदेश राज्य के क्षेत्रफल के 23 प्रतिशत हिस्से में सघन घने वन हैं। वन उत्पादों में सागवान, यूकेलिप्टस, काजू, कैस्यूरीना और इमारती लकड़ी मुख्य रूप से हैं।
राज्य में महत्त्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं उनमें वंश धारा परियोजना चरण - I, गोदावरी डेल्टा प्रणाली, येलेरू जलाशय परियोजना, कृष्णा डेल्टा पेन्नार नदी नहर प्रणाली, नीलम संजीव रेड्डी सागर परियोजना, तुंगभद्रा परियोजना और राजो जी बंद परियोजना शामिल है। आंध्र प्रदेश भारत का पहला राज्य है जिसमें सिंचाई साधनों के प्रबंधन में किसानों को भागीदार बनाया हैं।
राज्य के खनिज संसाधनों में एस्बेस्टस, अभ्रक, मैंगनीज, बैराइट और उच्च श्रेणी का कोयला शामिल है। राज्य के दक्षिणी भागों निम्न श्रेणी का लौह अयस्क पाया जाता है। देश के कुल बैराइट का अधिकांश उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है। यह दक्षिण भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है, जहाँ कोयले के भंडार पाए जाते हैं। गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार मिले हैं। कभी विश्व प्रसिद्ध रही गोलकुंडा का हीरे की खानों में नए सिरे से उत्पादन किया जा रहा है। इन्हीं खानों में कोहिनूर हीरा और अन्य प्रसिद्ध पत्थर पाए गए थे। यहाँ स्फटिक, चूना-पत्थर और ग्रेफाइट भी पाया जाता है। अपने खनिज संसाधनों के पूर्ण उपयोग के लिए राज्य ने एक खनन और धातु व्यापार निगम स्थापित किया है।
कभी औद्योगिक रूप से अल्पविकसित रहा आंध्र प्रदेश 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारत के औद्योगिक राज्यों में से एक बन गया है। केंद्र सरकार ने विशाखापट्टनम और हैदराबाद क्षेत्रों में जलपोत निर्माण, वैमानिकी, विद्युत उपकरण, मशीन उपकरण और दवा उद्योग स्थापित किए हैं। अधिकांश निजी उद्योग विजयवाड़ा-गुंटूर क्षेत्र में स्थित हैं, जो रसायन, कपड़ा, सीमेंट, उर्वरक, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पादन और सिगरेट का उत्पादन करते हैं। विशाखापट्टनम में एक तेल परिशोधनशाला है तथा देश का सबसे बड़ा जलपोत निर्माण यार्ड है फिर भी खनन और विनिर्माण उद्योग राज्य की आय का एक छोटा हिस्सा ही है। केंद्र सरकार ने विशाखापट्टनम में एक विशाल इस्पात संयंत्र खोला है, क्योंकि वहाँ कच्चे माल और पत्तन की सुविधाएँ सुलभ हैं। हाल के वर्षों में पनबिजली और ताप विद्युत परियोजनाओं से हुआ विद्युतीकरण भी औद्योगिकीकरण व सिंचाई में सहायक सिद्ध हुआ है। लंबी समुद्री तटरेखा और अनेक नदियों के कारण राज्य में मत्स्य उद्योग भी महत्त्वपूर्ण और विकासोन्मुख उद्योग है।
हैदराबाद और विशाखापत्तनम के पास बड़े उद्योगों में मशीनी औज़ार, औषाधियाँ, भारी बिजली मशीनें, उर्वरक, इलेक्ट्रॉंनिक उपकरण, विमानों के कलपुर्जे, सीमेंट और रसायन, कांच तथा घडियों आदि का उत्पादन होता है। आंध्र प्रदेश में देश के अच्छे किस्म के क्रिसोलाइट एस्बेस्टस के विशालतम भंडार हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ तांबा, मैंगनीज, अभ्रक, कोयला तथा चूना पत्थर जैसे महत्त्वपूर्ण खनिज भी पाए जाते हैं। सिंगरेनी कोयला खानों से समूचे दक्षिण भारत में कोयले की आपूर्ति की जाती है।
आंध्र प्रदेश में साक्षरता दर लगभग 61.11 प्रतिशत है। राज्य की शिक्षा प्रणाली में स्कूली शिक्षा के 10 वर्ष के बाद दो वर्ष का जूनियर कॉलेज पाठ्यक्रम शामिल है, उसके बाद स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा की व्यवस्था है। 1961 से राज्य में प्राथमिक शिक्षा नि:शुल्क और अनिवार्य रही है। स्थानीय निकायों के अंतर्गत आने वाली माध्यमिक शिक्षा भी नि:शुल्क है। राज्य में 12 विश्वविद्यालय हैं- हैदराबाद (कृषि विश्वविद्यालय सहित पाँच), वॉल्टेयर, वारंगल, गुंटूर, विजयवाड़ा, अनंतपुर और तिरुपति (दो) - प्रत्येक से कई महाविद्यालय संबद्ध हैं। कई संस्थान स्नातकोत्तर प्रशिक्षण और सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। हैदराबाद में अंग्रेज़ी और विदेशी भाषाओं का केंद्रीय संस्थान है।
औद्योगिकीकरण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई वर्षों से तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बहुत से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हैं, विश्वविद्यालयों के इंजीनियरिंग कॉलेज उच्चस्तरीय तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षित करते हैं। ये सुविधाएं निजी तौर पर काम करने वाले संस्थानों में भी उपलब्ध हैं।
भारतीय सांस्कृतिक विरासत में आंध्र प्रदेश का योगदान उल्लेखनीय है। प्राचीन समय से इस क्षेत्र में वास्तुकला और चित्रकला अत्यंत विकसित रही। भारतीय परंपरा में कुचिपुडी नृत्य शैली अनोखी है। कर्नाटक (दक्षिण भारतीय) संगीत ने आंध्र प्रदेश से बहुत कुछ ग्रहण किया है। कई दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीतकार आंध्र प्रदेश के हैं और बहुत सी संगीत रचनाओं की भाषा तेलुगु रही है। द्रविड़ परिवार की चार प्रमुख साहित्यिक भाषाओं में से एक तेलुगु का भारतीय भाषाओं में सम्मानित स्थान है। यह भाषा अपनी पुरातन शैली और मधुर प्रवाह के लिए विख्यात है। आधुनिक भारतीय साहित्यिक पुनर्जागरण में आंध्रवासी प्रमुख रहे हैं और उनके लेखन में साहित्यिक स्वरूपों और अभिव्यक्ति में आई समकालीन क्रांति का प्रभाव प्रतिबिंबित हुआ है। यहाँ अंग्रेजी, तेलुगु और उर्दू में कई पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं।
तेलंगाना क्षेत्र की मुस्लिम संस्कृति राज्य की सांस्कृतिक विविधता को और भी समृद्ध करती है। कला व साहित्य राजसी व निजी संरक्षण में पनपते थे, जिनमें से कुछ प्रतिष्ठान आज भी कार्यरत हैं। राज्य ने ललित कलाओं, नृत्य, नाटक, संगीत और साहित्य के पुनरुत्थान, उनकी लोकप्रियता बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए स्वायत्त अकादमियाँ बनाई हैं। संस्कृति की सतत चेतना ग्रामीण की बजाय एक शहरी प्रक्रिया है, क्योंकि सांस्कृतिक कार्यक्रम, साहित्यिक बैठकें और धार्मिक चर्चाएं अधिकतर नगरों या शहरों में होती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोकसंस्कृति की प्रधानता है। राज्य के अलग-अलग भागों में विभिन्न ऐतिहासिक परिस्थितियों में हुए सांस्कृतिक विकास के कारण वहाँ की बोलियों, जाति व्यवस्था और आदतों में अंतर आने से लोककला में वैविध्य आया। लोकगायकों द्वारा गायन, कठपुतली नाच और पौराणिक कथा वाचन इस क्षेत्र की अपनी कलाएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संचार माध्यमों, विशेषकर रेडियों और टेलीविजन की पहुँच से ग्रामीण जनता में शास्त्रीय संस्कृति और शहरी जनता में लोक संस्कृति संबंधी जागरुकता लाने में मदद मिली है। आंध्र प्रदेश फ़िल्म बनाने वाले कुछ प्रमुख भारतीय राज्यों में से एक है।
आंध्र प्रदेश के पर्यटन स्थल | |
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हैदराबाद |
चारमीनार | गोलकुंडा क़िला | हुसैन सागर झील | मक्का मस्जिद | सालारजंग संग्रहालय | रामोजी फ़िल्म सिटी
| लुंबनी उद्यान | नेहरू जैविक उद्यान | स्नो वर्ल्ड | लाड बाज़ार | बिड़ला मंदिर | चौमहला महल | क़ुतुब
शाही मक़बरा | उस्मानिया विश्वविद्यालय | इंडियन स्कूल ऑफ़ बिजनेस | फ़लकनुमा महल | परमाणु खनिज अन्वेषण
एवं अनुसंधान निदेशालय | मृगवनी राष्ट्रीय उद्यान
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तिरुपति |
तिरुपति वेन्कटेशवर मन्दिर
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विजयवाड़ा |
कनक दुर्गेश्वरी मंदिर
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नलगोंडा ज़िला |
नगुला पहाड़
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विशाखापत्तनम |
बोर्रा गुफ़ाएँ | अराकू घाटी
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कुर्नूल |
बेलम गुफ़ाएँ | श्रीशैल | अक्का महादेवी गुफ़ाएँ
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अनंतपुर |
लेपाक्षी मंदिर
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चित्तूर |
श्री कालाहस्ती मन्दिर
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खम्मम |
भद्राचलम | पर्णशाला
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मेदक |
संगारेड्डी | येडुपैलू
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नेल्लोर |
नरसिम्हा मंदिर
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आंध्र प्रदेश के नगर |
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अनंतपुर | अदोनी | चंद्रगुप्तपटनम | करीमनगर | कुर्नूल | खम्मम | गुंटूर | तिरुपति | दावलेश्वरम |
धरणीकोटा | नलगोंडा | अनकापल्लि | कुरनूल | महबूबनगर | वारंगल | विजयवाड़ा | विशाखापत्तनम | हैदराबाद |
ताडेपल्लिगूडेम | नरसापुर | राजमंड्री | हनमकोण्डा | श्रीकाकुलम | नागार्जुनकोंडा | सिकंदराबाद |
मछलीपटनम | नेल्लोर | राजमहेन्द्री | तणुकु | ताडिपत्रि | एलुरू
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आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान |
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अमरकुण्ड | अंडोल | अमराबाद | अनंतगिरि | अमरावती | आसिफ़ाबाद | इटूर | उंडवल्ली | एरण्डपल्ली |
एलंगदाल | चटकूट | चजरला | चंद्रगुप्तपटनम | चंदूर | एल्लंथ कुंटा | कुलपाक | कटचपुर | कनडेलावोलु |
करकोंडा | धवलेश्वर | खड्डबलि | द्राक्षाराम | जामीकुंटा | जगतियाल | जंकम पेट | चोलबाड़ी | चिचेलम गाँव
| कुरुनूल | देवरकोंडा | गुर्ग | घनपुर | कोटपेट्ट | घंटसाल | गुड़ीहटनूर | जीडीकल | पोनेरी | जडचेरला |
कोइलकुंडा | वाडापल्ली | संगारेड्डी | जगय्यापेट | कोंडाविडु | कोंडापुर | प्रतापगिरि | कुरनूल |
अनकापल्लि | निर्मल | वकड़ी | केसरपल्ली | घंटशाल | नागनूर | चंद्रगिरि| देवराष्ट्र | पानीगिरि |
पालमपेट | पिकलीहल | समनगढ़ | यल्लेश्वरम | वैदूर्य पत्तन | विद्याधरपुरम | नरसापुर | शालिहुंडम |
लक्षेट्टीपट्ट | सिकंदराबाद | राजूर | नलगोंडा | वारंगल | पंगरी | भट्टिप्रोलू | अड्डांकी | आदिलाबाद |
वेंगी | खम्म | येर्रागुडी | पिष्ठपुर | पिल्लालमर्री | वेमलवाड़ा | अक्का महादेवी गुफ़ाएँ | जग्गेयापेट
| करीमनगर | विजयपुर | राजुलमंडगिरि | राजमहेन्द्री | राजुकोंडा | राजगोपालपेट | नागार्जुनकोंडा |
मसुलीपट्टम | अंधपुर | इसलापुर | अमलापुरम | केरगिड़ी
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आंध्र प्रदेश के ज़िले |
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