बिहार भारत के प्रमुख राज्यों में से एक है। इसके उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में झारखण्ड राज्य हैं। यहाँ अनेक नदियां बहती हैं जिनमें गंगा प्रमुख है। अन्य नदियां हैं- सोन, पुपुन, फल्गु, कर्मनाशा, दुर्गावती, कोसी, गंडक, घाघरा आदि। बिहार गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के मैदान में बसा है। झारखण्ड के अलग होने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान और समतल भूभाग है। बिहार गंगा के पूर्वी मैदान में है। गंगा नदी प्रदेश के लगभग बीचों बीच होकर बहती है। उत्तरी बिहार बागमती, कोसी, गंडक, सोन और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है। बिहार के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी है और दक्षिण में छोटा नागपुर पठार है जिसका हिस्सा अब झारखंड है। उत्तर से कई नदियां बिहार से होकर बहती हैं और गंगा में मिल जाती हैं। इन नदियों में, वर्षा ऋतु में बाढ़ बहुत बड़ी समस्या है। बिहार में स्थित ओदंतपुरी पुराना नाम उदंतपुरी को तेरहवीं सदी के प्रारम्भ में मुसलमान आक्रांताओं ने नष्ट कर दिया।
बिहार का उल्लेख वेदों, पुराणों और प्राचीन महाकाव्यों में मिलता है। यह राज्य महात्मा बुद्ध और 24 जैन तीर्थकरों की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर बिम्बिसार, पाटलिपुत्र की स्थापना करने वाले उदयन, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक सहित मौर्य, शुंग तथा कण्व राजवंश के नरेशों ने राज किया इसके पश्चात कुषाण शासकों का समय आया और बाद में गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने बिहार पर राज किया। मध्यकाल में मुस्लिम शासकों का इस क्षेत्र पर अधिकार रहा। बिहार पर सबसे पहले विजय पाने वाला मुस्लिम शासक मोहम्मद बिन बख्तियार ख़िलजी था। ख़िलजी वंश के बाद तुग़लक़ वंश तथा मुग़ल वंश का आधिपत्य रहा था। डॉक्टर अंसारी (1880-1936 ई.) एक प्रमुख मुसलमान राष्ट्रीयतावादी नेता थे। उनका जन्म बिहार में हुआ।
प्राकृतिक रूप से यह राज्य गंगा नदी द्वारा दो भागों में विभाजित है, उत्तर बिहार मैदान और दक्षिण बिहार मैदान। सुदूर पश्चिमोत्तर में हिमालय की तराई को छोड़कर गंगा का उत्तरी मैदान समुद्र तल से 75 मीटर से भी कम की ऊँचाई पर जलोढ़ समतली क्षेत्र का निर्माण करता है और यहाँ बाढ़ आने की संभावना हमेशा बनी रहती है। घाघरा गंडक, बागमती, कोसी, महानंदा और अन्य नदीयाँ नेपाल में हिमालय से नीचे उतरती हैं और अलग-अलग जलमार्गों से होती हुई गंगा में मिलती हैं।
झीलों और गर्त लुप्त हो चुकी इन धाराओं के प्रमाण हैं। विनाशकारी बाढ़ लाने के लिए लंबे समय तक बिहार का शोक मानी जाने वाली कोसी नदी अब कृत्रिम पोतारोहणों में सीमित हो गई है। उत्तरी मैदान की मिट्टी ज़्यादातर नई कछारी मिट्टी है, जिसमें बूढ़ी गंडक नदी के पश्चिम में खड़ियायुक्त व हल्की कण वाली (ज़्यादातर दोमट बलुई) और पूर्व में खड़ियामुक्त व भारी कण वाली (दोमट चिकनी) मिट्टी है। हिमालय के भूकंपीय क्षेत्र में स्थित होने के कारण यह क्षेत्र एक अन्य प्राकृतिक आपदा (भूकंपीय गतिविधियों) से प्रभावित है। 1934 और 1988 के भीषण भूकंप ने भारी तबाही हुई और जान-माल को क्षति पहुँची।
दक्षिण-पश्चिम में सोन घाटी के पार स्थित कैमूर पठार में क्षैतिज बलुकाश्म की परत चूना-पत्थर की परतों से ढ़की है। उत्तर के मुक़ाबले दक्षिण गांगेय मैदान ज़्यादा विविध है और अनेक पहाड़ियों का उत्थान कछारी सतह से होता है। सोन नदी को छोड़कर सभी नदीयाँ छोटी हैं, जिनके जल को सिंचाई नहरों की ओर मोड़ दिया जाता है। यहाँ की मृदा काली चिकनी या पीली दोमट मिट्टी से संघटित अपेक्षाकृत पुरानी जलोढ़ीय है। यह ख़ासकर क्षेत्र के दक्षिण की ओर अनुर्वर व रतीली है।
राजधानी | पटना |
राजभाषा(एँ) | हिन्दी भाषा, अंग्रेज़ी भाषा, उर्दू भाषा, भोजपुरी भाषा, मगही भाषा, मैथिली भाषा |
जनसंख्या | 10,38,04,637[1] |
| घनत्व | 1,102[1] /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 94,163 वर्ग किमी [1] |
भौगोलिक निर्देशांक | 25.37°N 85.13°E |
तापमान | 27 °C (औसत) |
| ग्रीष्म | 34 °C |
| शरद | 10 °C |
ज़िले | 38[1] |
लिंग अनुपात | 1000:916 ♂/♀ |
साक्षरता | 63.82[1]% |
| स्त्री | 53.33% |
| पुरुष | 73.39% |
उच्च न्यायालय | पटना उच्च न्यायालय |
राज्यपाल | फागु चौहान |
मुख्यमंत्री | नितीश कुमार |
बिहार में मुख्य रूप से तीन ऋतुएँ हैं:-
सुदूर उत्तर को छोड़कर मई राज्य का सबसे गर्म महीना होता है, जिसमें तापमान 32°C को भी पार कर जाता है। राज्य में सामान्य वार्षिक वर्षा पश्चिम-मध्य में 1,016 मिमी और सुदूर उत्तर में 1,524 मिमी के बीच होती है। लगभग संपूर्ण वर्षा (85-90 प्रतिशत) जून और अक्टूबर के बीच होती है और सालाना वर्षा का लगभग 50 प्रतिशत जुलाई व अगस्त महीने में होता है। बिहार में शीत ऋतु वर्षा का सबसे सुहावना मौसम होता है।
बिहार की लगभग 75 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है। 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में खनन व विनिर्माण में में उल्लेखनीय उपलब्धि के बाबजूद बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में सबसे आखिर में है और राज्य की लगभग आधी आबादी प्रशासनिक तौर पर ग़रीबी रेखा के नीचे है। झारखंड के गठन के साथ ही इसकी मुसीबतें बढ़ीं हैं और बिहार को खनिज संपदा के विशाल भंडार से वंचित होना पड़ा। निम्नतम प्रति व्यक्ति आय व अत्यधिक सघन जनसंख्या वाले बिहार की अर्थव्यवस्था पिछड़ती जा रही है।
बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर है जिसमें से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर पर ही खेती होती है। राज्य में लगभग 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। विभिन्न साधनों द्वारा कुल 43.86 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं जबकि लगभग 33.51 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। बिहार की प्रमुख खाद्य फ़सलें हैं- धान, गेहूँ, मक्का और दालें। मुख्य नकदी फ़सलें हैं- गन्ना, आलू, तंबाकू, तिलहन, प्याज, मिर्च, पटसन। लगभग 6,764.14 वर्ग कि. मी. क्षेत्र में वन फैले हैं जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 7.1 प्रतिशत हैं।
राज्य के मुख्य उद्योग हैं -
बिहार में कुल सिंचाई क्षमता 28.63 लाख हेक्टेयर है। यह क्षमता बड़ी तथा मंझोली सिंचाई परियोजनाओं से जुटाई जाती है। यहाँ बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का सृजन किया गया है और 48.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई प्रमुख सिंचाई योजनाओं के माध्यम से की जाती है।
बिहार की परिवहन व्यवस्था शुरू से ही नदियों से प्रभावित रही है। नौका द्वारा नदियों के किनारों पर परिवहन की व्यवस्था रहती है। राज्य की परिवहन व्यवस्था गंगा नदी पर विशेष रूप से निर्भर है। गंगा नदी के उत्तर तथा दक्षिणी मैदानी भागों में रेल तथा सड़कों द्वारा परिवहन की व्यवस्था बाढ़ आदि से प्रभावित होती है, इसलिए नदी के किनारों पर सुदृढ़ तटबंधों का निर्माण कराया गया है। बिहार से उत्तर भारत के अनेक राज्य सड़क मार्ग से जुड़े हैं। शेरशाह ने पेशावर तक सड़क मार्ग का निर्माण कराया था। यह मार्ग उस समय सड़क-ए-आज़म कहलाता था, आजकल इस सड़क को The Grand Trunk Road / ग्रैंड ट्रंक रोड / जी. टी. रोड के नाम से जाना जाता है। शेरशाह ने 1542 ई. में इसका निर्माण कराया था। यह सड़क पेशावर से कोलकाता तक जाती है। बिहार की परिवहन व्यवस्था में सड़क और रेलमार्ग बहुत महत्त्वपूर्ण है किंतु जल परिवहन का विकास सीमित ही हुआ है। बिहार में यातायात के मुख्यतः चार साधन हैं-
पुराने समय से ही बिहार उत्तर भारत के अन्य भागों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। प्राचीन शासकों की प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था स्थल मार्गों पर ही आधारित थी। सम्राट अशोक ने वैभवशाली मगध को राजधानी बनाया था, और राजगौर और पाटलिपुत्र के बीच राज्य मार्ग का निर्माण कराया था। मध्यकाल में मुग़ल शासकों और शेरशाह सूरी ने सड़क का निर्माण किया था। 1947 ई. में बिहार में कुल सड़कों की लम्बाई 1315 किलोमीटर थी। आजकल सड़कों की लम्बाई 67116 किलोमीटर है। राष्ट्रीय मार्ग राज्य की प्राथमिक सड़क व्यवस्था है। इसके रखरखाव की व्यवस्था केन्द्रीय सरकार पर है। राज्य में 4717 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्ग का निर्माण किया गया है। इसके अतिरिक्त 26092 कि.मी. लम्बी सड़कों को दो लेन का किया जा रहा है।
नाम | लम्बाई (कि.मी) |
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राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 | 392 किलोमीटर |
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-6 | बिहार में लम्बाई 22 किलोमीटर |
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 23 | 250 किलोमीटर लम्बाई |
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-28 | 259 किलोमीटर लम्बाई |
राष्ट्रीय राजमार्ग-30 | 230 किलोमीटर लम्बाई |
राष्ट्रीय राजमार्ग-31 | 437 किलोमीटर लम्बाई |
बिहार में रेल लाइनों का अच्छा जाल बिछा हुआ है। मोकामा में एकमात्र रेलवे पुल होने के कारण उत्तरी बिहार के लिए परिवहन व्यवस्था में थोड़ी परेशानी है। कुछ महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ने वाले रेलमार्गो, जैसे- मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-बरौनी-कटिहार और समस्तीपुर राज्य के मुख्य रेलवे जंक्शन हैं।
राज्य में सभी बड़े ज़िलों में हवाई पट्टियों के अलावा पटना में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। परिवहन के द्वारा राज्य की आर्थिक प्रगति तथा विकास होता है। परिवहन की समुचित व्यवस्था से औद्योगीकरण, कृषि और सामाजिक जीवन का विकास होता है।
यद्यपि 20वीं सदी के उत्तरार्ध में बिहार की शिक्षा दर लगभग तिगुनी होकर राज्य की जनसंख्या के क़रीब 48 प्रतिशत तक पहुंच गई है, फिर भी यह देश के अन्य राज्यों की शिक्षा दर की तुलना में काफ़ी नीचे है। महिला साक्षरता दर (33.57 प्रतिशत) की तुलना में पुरुष साक्षरता दर (60.32 प्रतिशत) लगभग दुगनी है। 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को शिक्षित करना राज्य का प्रधान लक्ष्य है। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत बच्चे प्राथमिक स्कूलों में दाख़िला लेने के योग्य हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम ही माध्यमिक स्तर तक पहुंच पाते हैं, क्योंकि इनकी आर्थिक आवश्यकताएं इन्हें काम करने के लिए बाध्य करती हैं। व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षण संस्थाएं सरकारी विभागों द्वारा सहायता प्राप्त हैं। बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में पटना स्थित प्राचीन व महत्त्वपूर्ण पटना विश्वविद्यालय; मुज़फ़्फ़रपुर में बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय और भागलपुर स्थित तिलका मांझी भालपुर विश्वविद्यालय शामिल हैं। बाद के दोनों शिक्षण संस्थान विभिन्न विषयों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम संचालित करते हैं और इनसे अनेक महाविद्यालय संबद्ध हैं। द पटना स्कूल ऑफ़ आर्ट्स ऐंड क्राफ़्ट्स में विशिष्ट विषयों के शिक्षा दी जाती है।
प्राचीन काल से बिहार शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। जो निम्न हैं-
पाल वंश के प्रथम शासक गोपाल ने ओदन्तपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। यह विश्वविद्यालय बिहार शरीफ़ नगर के समीप है। यह विश्वविद्यालय तन्त्र विद्या का केन्द्र था। महारक्षित और शीलरक्षित नामक प्रसिद्ध विद्वान् थे।
फूलहारी शिक्षण संस्थान
बिहार का सांस्कृतिक क्षेत्र भाषाई क्षेत्र के साथ क़रीबी सम्बन्ध दर्शाता है। मैथिली प्राचीन मिथिला (विदेह, वर्तमान तिरहुत) की भाषा है, जिसमें ब्राह्मणवादी जीवन व्यवस्था की प्रधानता है। मैथिली बिहार की एकमात्र बोली है, जिसकी अपनी लिपि (तिरहुत) और समृद्ध साहित्यिक इतिहास है। मैथिली के प्राचीनतम और सर्वाधिक प्रसिद्ध रचनाकारों में विद्यापति अपने श्रृंगारिक व भक्ति गीतों के लिए विख्यात हैं।
भोजपुरी बोली में शायद ही कोई लिखित साहित्य है, लेकिन इसका मौखिक लोक साहित्य प्रचुर है। मगही का लोक साहित्य भी काफ़ी समृद्ध है। आधुनिक हिन्दी व उर्दू साहित्य में बिहार के मैदानी क्षेत्रों के रचनाकारों का भी उल्लेखनीय योगदान है।
अधिकतर आदिवासी गाँवों में एक नृत्य मंच, ग्राम पुरोहित द्वारा इष्टदेव की पूजा के लिए एक पवित्र उपवन (सरना) व अविवाहितों के लिए एक शयनागार (धुमकुरिया) होता है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आदिवासी त्योहारों में (जैसे सरहुल), वसंतोत्सव (सोहारी) और शीतोत्सव (मागे पर्व) उमंग व उल्लास के पर्व होते हैं। ईसाईयत, उद्योगीकरण, नए संचार सम्पर्कों, आदिवासी कल्याण कार्यक्रमों व सामुदायिक विकास योजनाओं के कारण मूल आदिवासी संस्कृति तेज़ी से बदल रही है।
राज्य के मैदान धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के स्थानों से सम्बद्ध हैं। नालन्दा में प्राचीनकालीन विख्यात नालन्दा बौद्ध विश्वविद्यालय था। राजगीर और इसके समीप के प्राचीन व आधुनिक मन्दिरों व धर्मस्थलों की अनेक धर्मों के श्रद्धालुओं द्वारा यात्रा की जाती है। पावापुरी में ही जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर को महानिर्वाण (ज्ञानप्राप्ति या पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्ति) की प्राप्ति हुई थी। गया एक महत्त्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल है और इसके निकट बौद्ध धर्म का पवित्र स्थल बोधगया स्थित है, जहाँ बुद्ध को बोधित्व की प्राप्ति हुई थी। पटना के उत्तर में सोनपुर के समीप हरिहर क्षेत्र में प्रत्येक नवम्बर में भारत के प्राचीनतम व विशाल पशु मेलों में से एक का आयोजन होता है। बिहार के अनेक हिन्दू त्योहारों में होली और छठ (मुख्यतया स्त्रियों द्वारा सूर्य की आराधना) का स्थान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
बिहार की आधिकारिक भाषाएँ हिन्दी भाषा और उर्दू हैं, परन्तु अधिकांश लोग बोलचाल में बिहारी भाषा (मागधी, मैथिली, भोजपुरी और अंगिका) का प्रयोग करते हैं।
बिहार पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक धरोहरों, धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का केन्द्र रहा है। यहाँ की परम्पराएं, संस्कृति, रीति-रिवाज और जीवन-पद्धतियां, मेले, पर्व, त्योहार हमेशा से पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं।
पर्यटन स्थल नेपुरा, नालंदा, केसरिया, पूर्वी चंपारन।
नगर | विवरण |
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पटना | यह बिहार प्रदेश की राजधानी है। अजातशत्रु के पुत्र उदयभद्र ने 444 - 460 ई. पू. में पाटलिपुत्र की स्थापना की थी और उसे अपनी राजधानी बनाया था। पटना में ऐतिहासिक स्थल, सिखों के दसवें गुरु का जन्म स्थल प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। |
राजगीर | राजगीर गर्म झरनों के लिए जाना जाता है। शीतकाल में भ्रमण और स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। यहाँ प्रथम विश्व बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था। यहाँ जैन व हिन्दुओं के अनेक पवित्र धार्मिक स्थल हैं। |
नालन्दा | प्राचीनकाल में नालन्दा विश्वविद्यालय था, जहां देश-विदेश के छात्र शिक्षा के लिए आते थे। आजकल इसके अवशेष दिखलाई देते हैं। |
गया | गया हिन्दुओं का महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए पिण्डदान किया जाता है। भगवान श्री रामचन्द्र ने अपने पिता दशरथ का पिण्डदान यहाँ किया था। |
बक्सर | बक्सर में विश्वामित्र का आश्रम था। यहीं पर राम और लक्ष्मण का प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण हुआ। प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का वध राम द्वारा यहीं पा किया गया था। 1764 ई. का बक्सर युद्ध भी इतिहास प्रसिद्ध है। |
मनेर | मनेर बिहार प्रदेश की राजधानी पटना से 29 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ शाहदौलत और शेख याहिया मनेरी के मक़बरे हैं। |
मधुबनी | मधुबनी नगर मधुबनी चित्रकला के लिए प्रख्यात है। 2003 ई. में लन्दन में आयोजित कला प्रदर्शनी में मधुबनी पेंटिंग्स को बहुत प्रशंसा मिली थी। |
मुंगेर | मुंगेर में ऐतिहासिक क़िला है। यहीं पर प्रसिद्ध योग विश्वविद्यालय भी है। प्राचीन अंग साम्राज्य का मुंगेर प्रमुख केन्द्र था। |
सोनपुर | सोनपुर में कार्तिक माह में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। सोनपुर में प्रसिद्ध ऐतिहासिक हरिहरनाथ जी का मन्दिर है। |
वैशाली | छठी सदी ई. पू. में वैशाली नगर गणतन्त्र था। वैशाली विश्व के प्राचीनतम गणतन्त्र के लिए प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध जैन तीर्थंकर महावीर का जन्म स्थल है। |
वाल्मीकि नगर | यह स्थान वाल्मीकि ॠषि के जन्म स्थल के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन काल में वाल्मीकि ॠषि का आश्रम यहाँ था। वाल्मीकि नगर में एक प्रसिद्ध अभयारण्य भी है। |
विक्रमशिला | विक्रमशिला भागलपुर ज़िले में गंगा के तट पर स्थित है। प्राचीन समय में विख्यात विक्रमशिला विश्वविद्यालय था। उसके ऐतिहासिक अवशेष अब भी यहाँ हैं। |
जीरादेयू | जीरादे्यू भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म स्थल है। |
सासाराम | सूर वंश के संस्थापक अफग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है और देश का प्रसिद्ध ग्रांड ट्रंक रोड भी इसी शहर से होकर गुजरता है। |
सीतामढ़ी | सीतामढ़ी हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है। सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर जब राजा जनक ने खेत में हल जोता था, उस समय धरती से सीता का जन्म हुआ था। सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम सीतामढ़ी पड़ा। |
विसपी | यह स्थान मधुबनी / दरभंगा ज़िले में है। विसपी में मैथिली कवि विद्यापति का जन्म हुआ था। |
पावापुरी | पावापुरी पटना से 104 किलोमीटर और नालन्दा से 25 किमी दूरी पर स्थित है। यहीं जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जी ने निर्वाण प्राप्त किया था। यहाँ का जल मन्दिर, मनियार मठ तथा वेनुवन दर्शनीय स्थल हैं। |
बरौनी | बरौनी उत्तरी बिहार का प्रमुख औद्योगिक नगर है। यहाँ तेल शोधन कारख़ाना, गंगा पर सड़क और रेल पुल है। |
भागलपुर | भागलपुर बिहार के ऐतिहासिक नगरों में से एक है। भागलपुर विश्वविद्यालय यहाँ का प्रमुख शिक्षा केन्द्र हैं। बरारी की गुफाएं दर्शनीय हैं। विष्णु मन्दिर, शिव मन्दिर प्रसिद्ध है । यहाँ टसर रेशम का उत्पादन होता है। |
आरा | आरा पटना से 32 मील की दूरी पर है। आरा के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढ़िया का राम मन्दिर प्रसिद्ध है। |
कटिहार | कटिहार ज़िले में बरारी गुरु बाज़ार का गुरुद्वारा प्रसिद्ध है। सिखों के नवें गुरु तेगबहादुर द्वारा लंगर का आयोजन किया गया था। सालमारी स्टेशन के पास शिव जी का गोरखनाथ मन्दिर, रानी इन्द्रावती की राजधानी सौरिया प्रसिद्ध हैं। |
बिहार शरीफ़ | बिहार शरीफ़ पटना से 85 किलोमीटर की दूर दक्षिण-पूर्व में है। यह मुस्लिम संस्कृति का प्रमुख केन्द्र है । यहाँ मख़दूम साहब की दरग़ाह तथा मलिक इब्राहिम वयां का मक़बरा है। |
पूर्णिया | पूर्णिया महाभारत कालीन धर्म-स्थल था। यह उत्तर-पूर्वी बिहार में है। यहाँ से नेपाल जाने का रास्ता है। बनभाखी के सिकलीगढ़ प्राचीन गरिमापूर्ण स्थल है। |
बराबर पहाड़ी | बराबर पहाड़ी में सात प्राचीन गुफाएँ विस्तृत प्रकोष्ठों के रूप में निर्मित हैं। इन सात गुफाओं में से तीन में अशोक के अभिलेख अंकित हैं। |
बिहार के पर्यटन स्थल | |
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पटना |
गोलघर | कुम्हरार | लोहानीपुर | अगम कुआँ | पटना संग्रहालय | महात्मा गाँधी सेतु | तख्त श्री पटना साहिब | शहीद स्मारक | खुदाबख़्श पुस्तकालय | श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र | गुरुद्वारा घई घाट | बुद्ध स्मृति पार्क | शेरशाह सूरी मस्जिद | सदाकत आश्रम | जालान संग्रहालय | पुरातत्वीय संग्रहालय | पुरातत्वीय संग्रहालय | इंदिरा गाँधी तारामंडल | अभिलेख भवन, पटना
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पश्चिम चंपारण |
बेतिया | वाल्मीकि नगर | त्रिवेणी नगर | भितीहरवा आश्रम | भिखनातोहरी | सुमेश्वर क़िला | वृंदावन | अशोक स्तम्भ
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नालन्दा |
नालन्दा विश्वविद्यालय | वेणुवन | विरायतन जैन आश्रम | नव नालन्दा महाविहार
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गया |
बोधगया | महाबोधि मंदिर | नागार्जुनी गुहा | वज्रासन | गुणमती | बराबर पहाड़ी | बराबर की गुफ़ाएँ | विष्णुपद मन्दिर
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पावापुरी |
जल मंदिर
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मुंगेर |
सीता कुण्ड
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कैमूर |
मुंडेश्वरी मंदिर
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नवादा |
ककोलत जलप्रपात
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वैशाली |
अशोक स्तम्भ वैशाली | रामचौरा मन्दिर
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राजगृह |
पिप्फलि गुहा | गृधकूट
|
बेगूूसराय |
जयमंगला गढ़
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बिहार के नगर |
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आरा | कटिहार | गया | त्रिवेणी नगर | नालन्दा | पटना | बक्सर | बरौनी | बिहार शरीफ़ | बेतिया | भागलपुर | किशनगंज | झाझा | झरिया | लखीसराय | चंद्रपुरा | गोपालगंज | मधुबनी | मुंगेर | विक्रमशिला | सासाराम | सीतामढ़ी | सोनपुर | छपरा | दानापुर | दरभंगा | नवादा | हाजीपुर | चँदवा
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बिहार के ऐतिहासिक स्थान |
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अंबवन | अपसढ़ | अपापापुर | आरामनगर | अभिसारी | अराड़ | अलप्पा | अल्लकप्प | अगस्त्याश्रम | अशोकाराम | अस्थि ग्राम | इसलिया | इसिगिलि | उक्कचेल | केसरिया | कुर्किहार | उगमहल | उच्छेट | उद्यंत पर्वत | उमगा पर्वत | उरुवेलपतन | उरुवेला | उसमा | गुरुपादगिरि | खलतिक पर्वत | कोकरा | चंकीगढ़ | चंपापुर | ऋसिगिलि | एकनाल | एकपर्वतक | कुसुमध्वज | ओदंतपुरी | पंचशैलपुर | गुणमती | देवबरनार्क | कोलुश्रा | कुशाग्रपुर | कड़िया | बाजितपुर | जग्धेरी | चंपारण्य | हरिहरपुर | गजाधरपुर | गिरिया | अंबलट्ठिका | पिप्फलि गुहा | कर्णगढ़ | कोल्लाग | नीली नगर | वणिजग्राम | रजाओना | संग्रामपुर | कपिलेश्वर | कमीनछपरा | देवकुण्ड | गृध्रकूट | जीरादेई | जिझिक | चेरान | वाणियगाम | कुमरार गाँव | वज्रासन | लोहानीपुर | वेणुवन | लोहना | शिवसिंहपुर | रोहतासगढ़ | नाथनगर | कर्णचूर | प्रीतिकूट | तीरभुक्ति | नादिक | कुण्डग्राम | हरिहर क्षेत्र | कारुष | जातक गणराज्य | नगरभुक्ति | कुम्रहार | चंपा | विष्णुपुर | शीलभद्र विहार | चौसा | जीरादेयू | नागार्जुन पहाड़ी | वजिरा | गोलघर | तिरहुत | लावणनील | नागार्जुनी गुहा | सरिसावा | पाटलिपुत्र | विश्मीका | वसुकुंड | पावापुरी | वर्धमानकोटि | पूर्णिया | पंडौल | बराबर पहाड़ी | बराबर की गुफ़ाएँ | रमौल | लोरयाअराराज | शाहपुर | गिरिव्रज | श्वेतपुर | बौद्ध विहार | भितीहरवा आश्रम | मिथिला | रत्नागिरि | विश्वामित्र आश्रम | सहसराम | राजगृह | राजमहल | रोहिननाला | रामपुरवा | वाल्मीकि नगर| विसपी | वृंदावन बिहार | सासाराम | सुल्तानगंज | ऋषिकुण्ड | देवबर्नाक | वेणुकंटक | यष्टिवन | वैभार | बखरा | पुण्ड्रवर्धन | लौरिया-नन्दनगढ़ | विटंकपुर | सिंहभूमि | विंझवन | बसाढ़ | वैशाली | कुमारग्राम | हसराकोल | चिरांद | दीदारगंज | अमरावती | इन्द्रशिला गुहा | उद्दंडपुर | लउरिया नन्दनगढ़ | बकरौर | सुजाता गढ़ | बुद्ध अवशेष स्तूप | केसरिया बौद्ध स्तूप | अगम कुआँ | दुंगेश्वरी गुफ़ाएँ
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बिहार के ज़िले |
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अरवल जिला | अररिया जिला | औरंगाबाद जिला | बाँका जिला | बेगूसराय जिला | भागलपुर जिला | भोजपुर जिला | बक्सर जिला | दरभंगा जिला | गया जिला | गोपालगंज जिला | जमुई जिला | जहानाबाद जिला | कैमुर जिला | कटिहार जिला | खगड़िया जिला | किशनगंज जिला | लखीसराय जिला | मधेपुरा जिला | मधुबनी जिला | मुंगेर जिला | मुज़फ़्फ़रपुर जिला | नालंदा जिला | नवादा जिला | पश्चिम चंपारण जिला | पटना जिला | पूर्वी चंपारण जिला | पूर्णिया जिला | सहरसा जिला | समस्तीपुर जिला | सारन जिला | शिवहर जिला | शेखपुरा जिला | सीतामढ़ी जिला | सीवान जिला | सुपौल जिला | वैशाली जिला | रोहतास जिला |