चंडीगढ़, भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश और उत्तर भारत का प्रमुख शहर है जो तीन ओर से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लगा हुआ है। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कल्पना के इस शहर को मूर्त रूप देने का कार्यभार एक फ्रेंच आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए को दिया गया था। कार्बूजिए ने जेनेरेट और मैक्सवेल व जेनड्रेन नामक दंपती के सहयोग से इस नगर का निर्माण किया। इसका नियोजन करते हुए इस बात का ध्यान रखा कि यहाँ आधुनिक युग की सभी सुविधाओं के साथ-साथ प्राचीन संस्कृति और परंपराएं भी हैं। यहाँ चौड़ी सपाट सड़कों पर प्राकृतिक सौंदर्य देखा जा सकता है। चंडीगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्र को 1 नवंबर, 1966 को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी भी है। इसके उत्तर और पश्चिम में पंजाब तथा पूर्व और दक्षिण में हरियाणा है। चंडीगढ़ आधुनिक शिल्पकला वैभव से संपन्न प्रदेश है। शिवालिक पहाडियों की नयनाभिराम तलहटी में बसा चंडीगढ़ वास्तविक अर्थों में एक ख़ूबसूरत शहर है। फ्रांसीसी वास्तुशिल्पी ला कार्बूजिए द्वारा निर्मित यह शहर आधुनिक स्थापत्य कला तथा नगर नियोजन का शानदार उदाहरण है।
इस शहर की ख़ासियत है स्वच्छता। चंडीगढ़ के लोग खुद अपने शहर की सफ़ाई के प्रति बहुत सतर्क रहते हैं। समुद्रतट से 365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 114 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले सन् 1953 में निर्मित इस शहर में कभी जनसंख्या इतनी कम थी कि सिर्फ़ सुबह 9.30 बजे और शाम पांच बजे कार्यालयों की छुट्टी के समय ही लाल बत्ती पर लोग दिखते थे। बहुत ही शांत माना जाता है यह शहर।
कई लोग तो इसे पत्थरों का शहर भी कहते हैं। उनका मानना है कि यह बसाया हुआ शहर है और इसकी कोई आत्मा नहीं है। इसके लोगों की आर्थिक स्थिति का अंदाज़ उनके रिहायशी इलाके से आंका जाता है। हर सेक्टर एबीसीडी चार भागों में विभक्त है। ए-बी अभिजात्य, सी मध्यम और डी निम्न मध्यमवर्गीय लोगों के लिए। मुग़ल शैली की भवन निर्माण कला का अध्ययन करने आए विदेशी पत्रकार कार्ल लुडगिस्ट चंडीगढ़ को एक नज़र देखने के बाद अभिभूत रह गए थे। चंडीगढ़ के चीफ कमिश्नर रह चुके स्व. एम.एस. रंधावा की फूलों और पेड़-पौधों में विशेष रुचि थी। उन्होंने सारे शहर में सड़कों के किनारे वीथियों पर अमलतास, गुलमोहर, सावनी, पोयनसंटिया, कचनार के पेड़ इस प्रकार लगवाए कि सड़कों के किनारे लगे ये पेड़ हर मौसम में फूलों से लदे दिखें और आते-जाते लोगों का झुककर स्वागत करें। यहाँ हर चौराहे को अत्यंत उत्कृष्ट सजावटी पौधों से इस प्रकार संवारा गया है कि पर्यटक शहर में क़दम रखते ही सफ़र की थकान भूल जाते हैं।
यहाँ की जलवायु बहुत ही सुखद है। भीषण गर्मी में यहाँ सूती कपड़े और जींस आदि पहने हुए लोग देखे जा सकते हैं। सर्दियों के लिए गर्म मोजे, स्वेटर, जैकेट और शॉल पर्याप्त हैं।
चंडीगढ़ प्रशासन मुख्यत: चार उद्देश्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है।
राजभाषा(एँ) | अंग्रेज़ी, हिन्दी, पंजाबी |
स्थापना | 1 नवंबर, 1966 |
जनसंख्या | 900,635 |
| घनत्व | 7,900 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 114 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 76°4714" पूर्व, 30°4414" उत्तर |
तापमान | 1°C से 44° C तक |
| ग्रीष्म | 27° C - 44° C (अप्रॅल - जुलाई) |
| शरद | 1°C - 16° C (नवम्बर - जनवरी) |
वर्षा | 1110.7 मिमी |
सबसे बड़ा नगर | चंडीगढ़ |
मुख्य पर्यटन स्थल | केपिटल कॉम्प्लेक्स, पिंजौर गार्डन, रोज़ गार्डन, सुखना झील |
लिंग अनुपात | 1000:777 ♂/♀ |
साक्षरता | 81.9% |
प्रशासक | बनवारीलाल पुरोहित |
राजकीय पशु | भारतीय ग्रे नेवला (Indian gray mongoose) |
राजकीय पक्षी | भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (Indian gray Hornbill) |
राजकीय पुष्प | पलाश (Butea frondosa) |
राजकीय वृक्ष | आम (Mango Tree) |
पिन कोड | 160 |
टेलीफ़ोन कोड | 91-172-XXX XXXX |
वाहन पंजीयन संख्या | CH-01 से CH-04 तक, PB-65 और HR-70 |
अन्य जानकारी | चंडीगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्र को 1 नवंबर, 1966 को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी भी है। |
चंडीगढ़ में कृषि योग्य भूमि बहुत कम है। चंडीगढ़ शहर के विस्तार के लिए कृषि भूमि धीरे-धीरे अधिग्रहीत की जा रही है और कृषि-क्षेत्र, जो 1966 में 5,441 हेक्टेयर था, 2002-03 में घटकर 1,400 हेक्टेयर रह गया है। सिंचाई का मुख्य स्रोत प्रशासन द्वारा स्थापित गहरे बोर वाले ट्यूबवैल तथा किसानों द्वारा लगाए गए साधारण ट्यूबवैल हैं। यहाँ की मुख्य फ़सल गेहूँ है जो 700 हेक्टेयर में बोया जाता है। यहाँ के कृषि विभाग ने फ़सल कटाई की तकनीक को सुधारने के लिए निम्न उपाय किए हैं-
व्यापारियों के लिये अनुकूल वातावरण बनाने के उद्देश्य से सभी बड़े फैसले उनसे परामर्श करके लिए जाते हैं। चंडीगढ़ प्रशासन ने उत्पाद शुल्क नीति 2006-07 को लागू करने से पहले इस पर जनता की राय ली है। भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय उत्पाद शुल्क तथा अन्य करों की चोरी की जांच करेगी और प्रशासन की राजस्व को बढाएगी।
सामाजिक कल्याण प्रशासन का एक मुख्य उद्देश्य रहा है। अनेक जन अनुकूल योजनाएं प्रशासन द्वारा आरंभ की गई हैं। जातिगत भेदभाव की संकीर्णता को मिटाने के लिए तथा अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए विवाहित जोड़ों को 5000 की राशि दी जाती है, जिनमें से यदि एक अनुसूचित जाति समुदाय का सदस्य हो तो प्रशासन यह राशि बढ़ाकर 50,000 रुपये कर देता है।
इस परिसर में हरियाणा और पंजाब के अनेक प्रशासनिक भवन हैं। विधानसभा, उच्च न्यायालय और सचिवालय आदि इमारतें यहाँ हैं। यह परिसर समकालीन वास्तुशिल्प का एक बहुत सुन्दर उदाहरण है। यहाँ का ओपन हैंड स्मारक कला का उत्तम नमूना है।
चंडीगढ़ आने वाले पर्यटकों को रॉक गार्डन अवश्य देखना चाहिए। इस गार्डन का निर्माण श्री नेकचंद ने किया था। इसे बनवाने में औद्योगिक और शहरी कचरे का इस्तेमाल किया गया है। पर्यटकों के लिए यहाँ मूर्तियों, मंदिरों, महलों आदि का आकर्षण है। हर साल इस उद्यान को देखने हज़ारों पर्यटक आते हैं। उद्यान में झरनों और जलकुंड के अलावा ओपॅन एयर थियेटर भी देखा जा सकता, जहाँ अनेक प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं।
ज़ाकिर हुसैन रोज़ गार्डन के नाम से विख्यात यह उद्यान एशिया का सबसे बड़ा रोज़ गार्डन है। यहाँ गुलाब की 1600 से भी अधिक किस्में हैं। उद्यान को बहुत सुन्दरता से डिजाइन किया गया है। अनेक प्रकार के रंगीन फ़व्वारे इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं। हर साल यहाँ गुलाब पर्व आयोजित होता है। श्री रंधावा ने ही चीफ इंजीनियर और आर्किटेक्ट के साथ मिलकर इस रोज़ गार्डन को ऐसा रूप दिया कि यह गार्डन एक घाटी का आभास देता है। अब यह सुबह की सैर के लिए बेहतरीन सैरगाह है। रोज़ गार्डन में हर वर्ष रोज़ फेस्टिवल नाम से एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें सांस्कृतिक संध्या के अतिरिक्त दिन भर रोज़ मेले में बच्चों के लिए मिस रोज़, मिस्टर रोज़ और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। प्रतिवर्ष लगने वाले इस रोज़ फेस्टिवल में आने वाले 40 हज़ार से अधिक लोगों के उत्साह को देखकर फूलों और बागों के प्रति चंडीगढ़ वासियों के प्रेम को समझा जा सकता है।
यह मानव निर्मित झील 3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है। इसका निर्माण 1958 में हुआ था। अनेक प्रवासी पक्षियों का यहाँ आना होता है। झील में बोटिंग का आनंद लेते समय दूर-दूर फैली पहाड़ियों के सुंदर नज़ारों के साथ-साथ सूर्यास्त का नज़ारा भी यहाँ बड़ा मनमोहक दिखाई देता है। कार्बूजिए ने शिवालिक की पहाड़ियों के दामन में बहते बरसाती बड़े नदी जैसे चौ पलाली का रो (नाला) और सुखना चौ पर इस प्रकार बांध बनाया जिससे बरसाती पानी शहर में न फैले। उस बांध पर चालीस फुट का एक पैदल रास्ता बनाया गया। इसके चारों ओर पेड़-पौधों को बड़ी संख्या में लगाया गया है। यहाँ कटावदार सीढ़ियां हैं किन्तु यह आम रास्ता नहीं है। यह उम्दा और ख़ूबसूरत सैरगाह है जो नगरवासियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र है।
इस प्रकार सेक्टरों में बंटे चंडीगढ़ नगर के पहले सेक्टर का निर्माण हुआ जो एक झील के नाम से विख्यात हुआ। शहर के प्रमुख टाउन प्लानर नरेन्द्र सिंह लांबा और चीफ इंजीनियर जे.सी. वर्मा ने सुखना झील को इस प्रकार बनवाया कि यह चंडीगढ़ के निवासियों की मनपसंद सैरगाह बन गयी। आज भी सुबह-शाम के समय यहाँ लोगों को सैर करते देखा जा सकता है। सन 1958 में बनी तीन कि.मी. लंबी इस झील के आसपास 2452 हेक्टेयर ज़मीन पर पेड़-पौधों की हरियाली है कि डूबते सूर्य और उमड़ते- घुमड़ते बादलों के झुरमुट को पर्यटक अपने कैमरे में क़ैद कर लेने को सदैव तत्पर रहते हैं।
सुखना झील पर हर वर्ष आम फ़ॅस्टिवल का आयोजन किया जाता है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के अलावा सावन की तीज के झूले भी यहाँ पड़ते हैं। चंडीगढ़ आने वाले पर्यटकों का यह सर्वाधिक प्रिय स्थल है। सायबेरियन पक्षियों की सर्दियों की शरणस्थली सुखना झील में मोटरबोटिंग की सख्त मनाही है, लेकिन नौका विहार, स्कीइंग और पानी के अन्य खेल यहाँ खेले जा सकते हैं।
सेक्टर-10 में 20 एकड़ भूमि में फैली है यह घाटी। यहाँ वोगनवेला की 3000 से भी अधिक किस्में देखी जा सकती हैं। यहाँ हर वर्ष वोगनविला शो का आयोजन भी किया जाता है। सेक्टर 10 में ही स्थित गवर्नमेंट म्यूज़ियम और आर्ट गैलरी भी यहाँ आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इस संग्रहालय में गांधार शैली की बौद्धकालीन प्रतिमाओं के अलावा राजपुर, कांगड़ा, पहाड़ी और मुग़ल शैली की कलाकृतियां भी देखी जा सकती हैं।
सुखना झील और रॉक गार्डन के बीचोबीच 88 एकड़ भूमि पर बना है वनस्पति जगत् का यह अनुपम गार्डन जो पेड़-पौधों में रुचि रखने वालों के लिए अच्छा पर्यटन स्थल है।
सेक्टर एक में मौजूद यह गार्डन एक व्यक्ति के एकल प्रयास का अनुपम और उत्कृष्ट नमूना है, जो दुनिया भर में अपने अनूठे उपक्रम के लिए बहुत सराहा गया है। रॉक गार्डन के निर्माता नेकचंद एक कर्मचारी थे जो दिन भर साइकिल पर बेकार पड़ी ट्यूब लाइट्स, टूटी-फूटी चूडि़यों, प्लेट, चीनी के कप, फ्लश की सीट, बोतल के ढक्कन व किसी भी बेकार फेंकी गई वस्तुओं को बीनते रहते और उन्हें यहाँ सेक्टर एक में इकट्ठा करते रहते। धीरे-धीरे फुर्सत के क्षणों में लोगों द्वारा फेंकी गई फ़ालतू चीज़ों से ही उन्होंने ऐसी उत्कृष्ट आकृतियों का निर्माण किया कि देखने वाले दंग रह गए। नेकचंद के रॉक गार्डन की कीर्ति अब देश-विदेश के कलाप्रेमियों के दिलों में घर कर चुकी हैं।
चंडीगढ़ में अनेक संग्रहालय हैं। यहाँ का सरकारी संग्रहालय और कला दीर्घा में गांधार शैली की अनेक मूर्तियों का संग्रह है। यह मूर्तियां बौद्ध काल से संबंधित हैं। संग्रहालय में अनेक लघु चित्रों और प्रागैतिहासिक कालीन जीवाश्म को भी रखा गया है। अन्तर्राष्ट्रीय डॉल्स म्युजियम में दुनिया भर की गुडियाओं और कठपुतियों को रखा गया है।
लगभग 2600 हेक्टेयर में फैले इस अभयारण्य में बड़ी संख्या में वन्यजीव और वनस्पतियां पाई जाती हैं। मूल रूप से यहाँ पाए जाने वाले जानवरों में बंदर, खरगोश, गिलहरी, साही, सांभर, भेड़िए, जंगली सूकर, जंगली बिल्ली आदि शामिल हैं। इसके अलावा सरीसृपों की अनेक प्रजातियां यहाँ हैं। अभयारण्य में पक्षियों की विविध प्रजातियों भी पायी जाती है।
शक्ति की देवी चंडिका देवी का मंदिर जो कालका-चंडीगढ़ मार्ग पर स्थित है, हिंदुओं की प्रिय धर्मस्थली है।
चण्डीगढ़ के पर्यटन स्थल |
---|
ओपन हैंड | केपिटल कॉम्प्लेक्स | पिंजौर गार्डन | रॉक गार्डन चंडीगढ़ | रोज़ गार्डन | सुखना झील चंडीगढ़
|