हरियाणा उत्तर भारत के प्रांत पंजाब को 1966 में विभाजित करके बनाया गया था। इस राज्य की सीमा के उत्तर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम तथा दक्षिण सीमा पर राजस्थान और पूर्व में उत्तराखंड तथा उत्तर प्रदेश स्थित हैं। भारत की राजधानी दिल्ली के तीन तरफ़ हरियाणा की सीमायें लगी हुई हैं, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा में मिला है। हरियाणा प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ है, जो केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ पंजाब राज्य की भी राजधानी है।
हरियाणा के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र (उत्तर वैदिक युग, लगभग 800-500 ई.पू. का मध्यमा देश, यानी मध्य क्षेत्र) हिन्दू धर्म का जन्म स्थल माना जाता है। यह उस क्षेत्र में है, जहाँ आर्यों का पहला स्तोत्र गाया गया था और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपियाँ लिखी गई थीं। दक्षिणी पंजाब में रोहतक-गुड़गाँव का पर्वतीय प्रदेश, जिसमें मूलतः दिल्ली भी शामिल है। अब इस नाम का एक नया राज्य बन गया है। 1327 के एक अभिलेख में ढिल्लीका या दिल्ली को हरियाणा के अन्तर्गत बताया गया है-
देशोस्ति हरियानाख्यः पृथिव्यां स्वर्गसन्निमः, ढिल्लिकापुरी यत्र तोमरै-रस्ति निर्मिता।
कुछ विद्धानों के मत में हरयाणा या हरियाना शब्द, अहीराना का अपभ्रंश है। इस प्रदेश में प्राचीन काल से अच्छी चरगाह भूमि होने के कारण अहीरों या अभीर जाति के लोगों का निवास रहा है। हरियाणा का प्राचीन इतिहास बहुत गौरवपूर्ण है। यह वैदिक काल से प्रारंभ होता है। यह राज्य पौराणिक भरत वंश की जन्मभूमि माना जाता है, जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। महाकाव्य महाभारत में हरियाणा का ज़िक्र हुआ है। कौरवों और पांडवों की युद्धभूमि कुरुक्षेत्र हरियाणा में है। मुस्लिमों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में हरियाणा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बाद में हरियाणा दिल्ली का ही एक भाग बन गया और 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक यह अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहा।
ऐतिहासिक युद्ध भूमि के रूप में हरियाणा को जाना जाता है। पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठों के रास्तें में पड़ने वाले हरियाणा को सिकंदर महान (326 ई.पू.) के समय से अनेक सेनाओं के हमलों का सामना करना पड़ा। यह भारतीय इतिहास की अनेक निर्णायक लड़ाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। इनमें प्रमुख हैं-
राजधानी | चंडीगढ़ |
राजभाषा(एँ) | हिन्दी भाषा |
स्थापना | 1 नवंबर, 1966 |
जनसंख्या | 2,53,53,081 |
| घनत्व | 477 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 44,212 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 30°44′N 76°47′E |
| ग्रीष्म | 50 °C |
| शरद | 1 °C |
ज़िले | 21 |
सबसे बड़ा नगर | फ़रीदाबाद |
बड़े नगर | गुड़गांव, फ़रीदाबाद |
मुख्य ऐतिहासिक स्थल | कुरुक्षेत्र |
मुख्य पर्यटन स्थल | हिसार, गुड़गांव, पिंजौर, पानीपत, कुरुक्षेत्र |
लिंग अनुपात | 1000:861 ♂/♀ |
राज्यपाल | बंडारू दत्तात्रेय |
मुख्यमंत्री | मनोहर लाल खट्टर |
विधानसभा सदस्य | 90 |
लोकसभा क्षेत्र | 10 |
राज्यसभा सदस्य | 5 |
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में हरियाणा के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- चौधरी देवी लाल | अरुणा आसफ़ अली | बंसीलाल | सुचेता कृपलानी |
हरियाणा राज्य की स्थापना 1 नवम्बर, 1966 को हुई थी। इसलिये हरियाणा का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को मनाया जाता है। सन् 1857 का विद्रोह दबाने के बाद ब्रिटिश शासन के पुन: स्थापित होने पर अंग्रेज़ों ने झज्जर और बहादुरगढ़ के नवाब, बल्लभगढ़ के राजा और रेवाड़ी के राव तुलाराम के क्षेत्र या तो ब्रिटिश शासन में मिला लिए या अंग्रेज़ों ने पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिये और इस प्रकार हरियाणा पंजाब प्रांत का भाग बन गया। 1 नवंबर, 1966 को पंजाब प्रांत के पुनर्गठन के पश्चात् हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरित कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक् हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी हरियाणा विकास समिति ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबी भाषा सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिन्दीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबी भाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक् राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है।
हरियाणा में दो बड़े भू-क्षेत्र है, राज्य का एक बड़ा हिस्सा समतल जलोढ़ मैदानों से युक्त है और पूर्वोत्तर में तीखे ढ़ाल वाली शिवालिया पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है। समुद्र की सतह 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है, यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है। शिवालिक पहाड़ियों से निकली अनेक मौसमी नदियां मैदानी भागों से गुज़रती है। इनमें सबसे प्रमुख घग्घर (राज्य की उत्तरी सीमा के निकट) नदी है। ऐसा माना जाता है कि कभी यह नदी सिंधु नदी में मिलती थी, जो अब पाकिस्तान में है। इस नदी के निचले क्षेत्र में आर्य-पूर्व सभ्यता के अवशेस मिलते हैं। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव ज़िलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत श्रृंखला के भी अवशेष मिलते हैं।
हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क परिस्थितियां हैं। केवल पुर्वोतर में थोड़ी आर्द्रता पाईन जाती है। यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं। इसके बावजूद यहाँ कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं, ख़ासकर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में, तथापि यमुना व घग्घर नदी की सहायक नदीयों में कभी-कभी बाढ़ भी जाती है। गर्मियों में ख़ुब गर्मी पड़ती है और सर्दियों में ख़ूब सर्दी। गर्मियों में (मई-जून) अधिकतम तापमान 46 डिग्री से। तक पहुंच जाता है। जनवरी में कभी-कभी न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है। राज्य के हिसार शहर में सबसे ज़्यादा गर्मी पड़ती है।
पूर्वोतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में मिट्टी गहरी व उर्वर है और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में ज़मीन रेतीलि है। राज्य के कुल क्षेत्र के 4/5 भाग में खेती होती है और इसमें से लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र सिंचित है। यद्यपि राज्य के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में सिंचाई नलकूपों के ज़रिये होती है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश सिंचाई नहर के ज़रिये होती है। राज्य में वन क्षेत्र नगण्य हैं। राजमार्गों के किनारे और ऊसर ज़मीनों पर यूकलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में सड़क किनारे आमतौर पर शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) के पेड़ पाए जाते हैं, जबकी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ व झाड़ियां आमतौर पर मिलती हैं।
कृषि की दृष्टि से हरियाणा एक समृद्ध राज्य है और यह केंद्रीय भंडार (अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली) में बड़ी मात्रा में गेहूँ और चावल देता है। हरियाणा में 65 प्रतिशत से भी अधिक लोगों की जीविका का आधार कृषि है। राज्य के घरेलू उत्पादन में 26.4 प्रतिशत योगदान कृषि का है। खाद्यान्न की उत्पादन क्षमता, जो के राज्य निर्माण के समय 25.92 लाख टन थी। आज का सकल कृषि उत्पादन इससे कहीं अधिक है। मुख्य फ़सलों का उत्पादन पहले से बहुत बढ़ गया है।
चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, जौ, गन्ना, कपास, दलहन, तिलहन और आलू राज्य की मुख्य फ़सलें हैं। नकदी फ़सलों में गन्ना, कपास, तिलहन और सब्जियों तथा फलों का उत्पादन अधिक हो रहा है। सूरजमुखी और सोयाबीन, मूंगफली, बागवानी को भी विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य में खेती को बढ़ावा देने की कोशिशें की जा रही हैं। मृदु उर्वरता को बढ़ाने के लिए ढेंचा और मूंग के उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राज्य में सिंचाई और पेय जल के समान वितरण के लिए सरकार ने 354 करोड़ रुपए की लागत से 109 किलोमीटर लंबी विशाल नहर भाखड़ा मुख्य नहर-हांसी शाखा-बुटाना शाखा बहुद्देशीय संपर्क नहर का निर्माण किया है। मानसून में यमुना नदी के अतिरिक्त पानी को काम में लेने के लिए 267 करोड़ रुपए की दादूपुर-शाहाबाद-वाल्वी नहर परियोजना शुरू की है। इसमें यमुना नगर, अंबाला और कुरुक्षेत्र में पड़ने वाली 92,532 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई और भूजल रिचार्ज सुविधाओं के लिए 590 क्यूसेक अतिरिक्त जल का प्रयोग किया जाएगा। घग्घर और इसकी सहयोगी नदियों पर चार कम ऊंचाई के बांध - कौशल्या बांध, दंग्राना बांध, दीवानवाला बांध और छामला बांध - योजनाओं पर कार्य चल रहा है जिन पर क्रमश: - 118 करोड़, 63.69 करोड़, 132.70 करोड़ और 20.41 करोड़ रुपए का ख़र्चा आएगा। इनसे मानसून के पानी का प्रयोग बढ़ेगा।
विश्व वैश्वीकरण में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्त्व को जानते हुए हरियाणा सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी की व्यापक और विस्तृत नीति बनाई है जिससे राज्य नये विकास की ओर बढ़े। इस योजना में सूचना प्रौद्योगिकी के आई.टी.ई.एस. और बी.पी.ओ. उद्योग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार की योजना टैक्नोलॉजी पार्को को विकसित करने की है भी जिसमें टैक्नोलॉजी पार्को और आई.टी. कॉरीडोर्स को स्थापित किया जा रहा है। इस प्रयास का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी को नैनो प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, मोबाइल कंप्यूटिंग और रोबोटिक्स से जोड़ना है। इसके अतिरिक्त गुड़गांव में सूचना प्रौद्योगिकी और आई.टी.ई.एस. / बी.पी.ओ. भी होंगे जो विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करेंगे। गुड़गांव के अतिरिक्त, राज्य सरकार की कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस हाई वे और फरीदबाद के पास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भागों को विकसित करने की योजनायें हैं। ये गुड़गांव-मानेसर मेगा आई.टी. हब के उपग्रह का काम करेंगे। वर्ष 2007-08 में राज्य से 17,500 करोड़ रुपये के सॉफ्टवेयर का निर्यात किया गया।
सरकार ने पूरे राज्य में ई-दिशा एकल सेवा केंद्र के नाम केंद्र के नाम से 1159 ग्रामीण और 104 शहरी सेवा केंद्र को स्थापित कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में शत प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 67 प्रतिशत कार्य सम्पन्न हो चुका है। इस समय कंप्यूटर प्रशिक्षण, ई-टिकटिंग, मोबाइल रिचार्ज, जॉब प्लेसमेंट सेवा, इंटरनेट सर्फिंग, डी.टी.पी. जैसी बिजनेस टु सिटिजन्स (बी2सी) सेवाएं इन केंद्रों से दी जा रही है। सरकार इन सेवा केंद्रों से बस के पास, बिजली के बिल भरने, नकल (भूमि रिकॉर्ड) जारी करने, अनुसूचित जाति/पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जन्म-मृत्यु के प्रमाण पत्र देने के लिए और नए राशन कार्ड बनाने जैसी गवर्मेंट टु सिटीजन्स (जी2सी) सेवाएं प्रदान करने पर भी कार्य कर रही है। कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 23,000 सरकारी कर्मचारियों को कंप्यूटर में प्रशिक्षित किया जा चुका है।
हरियाण का औद्योगिक क्षेत्र बहुत ही विस्तृत और विशाल है। राज्य में 1,343 बड़ी और 80,000 लघु उद्योग इकाइयां कार्यरत हैं। हरियाणा में बहुत सी वस्तुओं का उत्पादन होता है। कार, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, साइकिल, रेफ्रिजरेटर, वैज्ञानिक उपकरण आदि अनेक प्रकार के उत्पादकों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य हरियाणा है। विश्व बाज़ार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक हरियाणा है। पंचरंगा अचार के अतिरिक्त पानीपत में हथकरघे से बनी वस्तुएं और कालीन विश्व भर में प्रसिद्ध है और इनका निर्यात बड़े स्तर पर किया जाता है।
जुलाई, 1991 से अब तक 3828 औद्योगिक उद्यमियों से ज्ञापन जमा किए गए और 2228 ज्ञापन क्रियांवित कर दिए गए हैं। इन विज्ञापनों में 21,578 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और 3,92,237 लोगों को रोज़गार मिल गया है। नवीन औद्योगिक नीतियों के परिणामस्वरूप विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने के 94 प्रस्ताव राज्य को प्राप्त हुए हैं जिसके अनुसार औद्योगिक ढांचे पर 2 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के बाद कई हज़ार करोड़ रुपये मानेसर के विस्तार के अतिरिक्त फ़रीदाबाद, रोहतक और जगाधरी को औद्योगिक आदर्श नगर के रूप में विकसित किया जा रहा है। पानीपत में 33,000 करोड़ रुपये से पैट्रो रसायन केंद्र स्थापित किया गया है। 2,000 करोड़ रुपये लगा कर कुंडल-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस राजमार्ग का विकास हो रहा है। इस राजमार्ग के आसपास अनेक आर्थिक केंद्र बनाये जायेगें जिससे औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में निवेश के अवसर उपलब्ध होंगे। बहादुरगढ़ और रोहतक में नये औद्योगिक विकास तथा सोनीपत, कुंडली, राई और बाड़ी में उद्योगों का विकास करके आर्थिक विकास को बढ़ाया जा रहा है। राज्य सरकार अंबाला, साहा, यमुनानगर, बरवाल, करनाल, रोहतक और कैथल आदि शहरों का औद्योगिकरण करने को प्रयासरत हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य में कुछ औद्योगिक निवेश पंजाबी उद्यमियों ने किया है, जिसका मानना है कि पंजाब के बजाय हरियाणा में निवेश करना अधिक सुरक्षित और लाभदायक है (क्योंकि दिल्ली के बाज़ार से यह नज़दीक है)।
हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास निगम और हरियाणा नगर विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन की बहुत मांग है। वर्तमान समय में 94 बड़ी तथा 5031 लघु औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हुई है जिन पर 4124 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और 92,559 लोगों को रोज़गार मिला है। इसके अतिरिक्त अनेक औद्योगिक इकाइयों का विस्तार करने से 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश हुआ है। भारतीय तेल निगम ने पानीपत में 5,000 करोड़ रुपये के निवेश से पैरेक्सीलीन/पीटीए की स्थापना की है। मारूति उद्योग, हीरो होंडा और अनेक ऑटोमोबाइल उद्योगों का बहुत विस्तार हुआ है जिन पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये लगाये गये हैं।
भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन के लिए उसे मंत्रिपरिषद से सहायता और सलाह मिलती है, जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति जवाबदेह होती है।
विधानसभा का चुनाव सामान्यतः पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए होते हैं। हरियाणा और पंजाब के लिए एक उच्च न्यायालय है। राज्य 19 ज़िलों में बंटा हुआ है : अंबाला, भिवानी, फ़रीदाबाद, फ़तेहाबाद , गुड़गांव, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, पंचकुला, पानीपत, रिवाड़ी, रोहतक, सिरसा सोनीपत और यमुना नगर। पंचायती राज (ग्रामीण स्वशासन) का विस्तार सभी गांवों तक हो चुका है।
पंजाब की तरह हरियाणा में भी विद्यालय और महाविद्यालय, दोनों स्तरों पर शिक्षा को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका के अलावा निजी संस्थानों ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। राज्य के विकास कार्यक्रमों में शिक्षा को उच्च प्राथमिकता दी गई है। कला एवं विज्ञान महाविद्यालयों की संख्या 1966-67 में 40 से बढ़कर 1997-98 में 140 हो गई, इस अवधि में उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालियों की संख्या 597 से 3,517; माध्यमिक बुनियादी पाठशलाएं 735 से 1,718 और प्राथामिकता बुनियादी पाठशालाओं की संख्या 4,447 से 10,134 हो गई। विभिन्न स्तरों के ये संस्थान राज्य के 6,759 गांवों और 94 कस्वों में स्थित हैं। इनके अलावा हरियाणा में अब चार विशविद्यालय है : कुरुक्षेत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, हिसार में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय और विख्यात पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय सहित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, इसके अलावा, राज्य में डेयरी के सभी उत्पादों के विजास के लिए करनाल में राष्ट्रीय डेयरी शोध संस्थान की स्थापना की गई। शिक्षा के विकास में हरियाणा का स्थान भारत के उत्तरी राज्य पंजाब, मध्य और कुछ पश्चिमी राज्यों में केवल पंजाब के बाद आता है, लेकिन दक्षिणी राज्यों से काफ़ी पीछे रहता है। 1991 तक स्थापिक विभिन्न स्तरों के संस्थानों की संख्या को देखते हुए शिक्षा कार्यक्रमों से लाभान्वित हो रही जनसंख्या का प्रतिशत कम है। 2001 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या का 68.59 प्रतिशत साक्षर है (राष्ट्रीय औसत 65.38 प्रतिशत है)। पिछले दशक में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला साक्षरता के मामले में हरियाणा ने काफ़ी लंबा सफ़र तय किया है (2001 में 56.31 प्रतिशक जबकि 1991 में 32.5 प्रतिशक)। अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए (सामान्य तथा तकनीकी) सरकार द्वारा सभी स्तरों पर सहायता दी जाती है। राज्य में विभिन्न नौकरियों और शिक्षा पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति वर्ग के सदस्यों को कृषि, उद्योग, व्यापार और स्वरोज़गारपरक गतिविधियों के लिए ॠण व अनुदान भी उपलब्ध कराती है। उदाहरण के लिए, 1997-98 में इस उद्देश्य से लगभग 24 करोड रुपए खर्च किए गए।
राज्य में ज़िला और उपखंड अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थय केंद्रों का संजाल है और 1966 के बाद से इनकी संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है, किंतु इनकी गुणवत्ता अपेक्षित स्तर की नहीं है। उल्लेखनीय है कि 1992 से राज्य से सभी गांवों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
हरियाणा में लगभग 22,800 किमी लंबी पक्की सड़कें है, राज्य के लगभग सभी गांव पक्की सड़कों से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। सरकारी स्वामित्व वाला हरियाणा राज्य परिवहन स्थानीय और अंतर्राज्यीय यात्री बसें संचालित करता है। इस प्रणाली के अंतर्गत 1997-98 में दैनिक यात्रियों की संख्या 13,86,326 थी।
हरियाणा के सांस्कृतिक जीवन में राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के विभिन्न अवसरों की लय प्रतिबिंबित होती है और इसमें प्राचीन भारत की परंपराओं व लोककथाओं का भंडार है। हरियाणा की एक विशिष्ट बोली है और उसमें स्थानीय मुहावरों का प्रचलन है। स्थानीय लोकगीत और नृत्य अपने आकर्षक अंदाज़ में राज्य के सांस्कृतिक जीवन को प्रदर्शित करतें हैं। ये ओज से भरे हैं और स्थानीय संस्कृति की विनोदप्रियता से जुड़े हैं। वसंत ॠतु में मौजमस्ती से भरे होली के त्योहार में लोग एक-दूसरे पर गुलाल उड़ाकर और गीला रंग डालकर मनाते हैं, इसमें उम्र या सामाजिक हैसियत का कोई भेद नहीं होता। भगवान कृष्ण के जन्मदिन, जन्माष्टमी का हरियाणा में विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि कुरुक्षेत्र ही वह रणभूमि थी, जहां कृष्ण ने योद्धा अर्जुन को भगवद्गीता (महाभारत का एक हिस्सा) का उपदेश दिया था।
सूर्यग्रहण पर पवित्र स्नान के लिए देश भर से लाखों श्रद्धालु कुरुक्षेत्र आते हैं। अग्रोह (हिसार के निकट) और पेहोवा सहित राज्य में अनेक प्राचीन तीर्थस्थल हैं। अग्रोहा अग्रसेन के रूप में जाना जाता है, जो अग्रवाल समुदाय और उसकी उपजातियों के प्रमुख पूर्वज या प्रवर्तक माने जाते हैं। इसलिए अग्रोहा समूचे अग्रवाल समुदाय की जन्मभूमि है। भारत के व्यापारी वर्गों में प्रमुख यह समुदाय अब देश में फैल गया। अग्रसेन की जन्मभूमि के सम्मानस्वरूप इस समुदाय ने कुछ वर्ष पहले अग्रोहा में एक चिकित्सा विद्यालय की स्थापना की। पवित्र नदी सरस्वती (वेदों के अनुसार ज्ञान और कला की देवी) के किनारे स्थित पेहोवा को पूर्वजों के श्राद्ध पिंडदान के लिए एक महत्त्वपूर्ण पवित्र स्थान माना जाता है। अप्राकृतिक या प्राकृतिक, दोनों तरह की आत्मा की शांति के लिए पेहोवा में धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं। विभिन्न देवताओं और संतों की स्मृति में आयोजित होने वाले मेले हरियाणा की संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। अनेक स्थानों पर पशु मेले भी आयोजित किए जाते हैं। यह क्षेत्र अच्छे नस्ल के दुधारू पशुओं, ख़ासकर भैंसों और खेति के काम में आने वाले पशुओं और संकरित पशुओं के लिए भी जाना जाता है।
हरियाणा की हवेलियां (पारंपरिक पारिवारिक आवास) वास्तुशिल्प की सुंदरता, ख़ासकर उनके द्वारों की संरचना, के लिए जानी जाती हैं। इन हवेलियों के द्वारों का अभिकल्पन और हस्तकौशल ही विविध नहीं, बल्कि इन पर्व विभिन्न विषयों की श्रृंखला भी विस्मयकारी है। ये हवेलियां हरियाणा की गलियों को मध्ययुगीन स्वरूप और सुंदरता प्रदान करती है। इन भवनों में अनेक चबूतरे होते हैं, जो रिहायशी, सुरक्षा, धार्मिक और अदालती कार्यों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। इन भवनों से इनके स्वामियों की सामाजिक स्थिति का संकेत मिलता है। इन चबूतरों पर उकेरी हुई कलाकृतियां इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की याद दिलाती है।
हरियाणा राज्य में 1970 में ही सभी गांवों में शत प्रतिशत बिजली पहुंचा दी गई थी। सन् 1966 में राज्य में 20,000 नलकूप थे जिनकी संख्या मार्च 2008 में 4.51 लाख हो गई थी। 2007-08 में बिजली की दैनिक औसत उपलब्धता 723.10 करोड़ यूनिट थी। 2007-08 में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या 42.70 लाख थी। 31 मार्च, 2008 में बिजली की स्थापित उत्पादन क्षमता 4368 मेगावाट थी।
हरियाणा धार्मिक और ऐतिहासिक इमारतों की दृष्टि से समृध्द है। चाहे मामला कुरुक्षेत्र की पवित्र धरती पर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का ज्ञान देने का हो, पानीपत की तीन महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों का हो या फिर फ़िरोज़शाह तुग़लक़ द्वारा अपनी प्रेमिका गूजरी के लिए बीहड़ बयांबान जंगल में हिसारे-फिरोजां का निर्माण कर उसमें गूजरी महल बनवाने का हो। यहां के कण-कण में इतिहास बोलता है। राज्य में रूरल टूरिज्म को बढ़ावा की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है।
हरियाणा में 44 से ज़्यादा पर्यटन स्थल हैं। प्रमुख पर्यटन केंद्रों में-
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार हरियाणा राज्य की कुल जनसंख्या 2,10,82,989; ग्रामीण 1,49,68,850; शहरी 61,14,139 थी।
हरियाणा के नगर |
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अंबाला | करनाल | कुरुक्षेत्र | कैथल | गुड़गाँव | जींद | पलवल | फ़रीदाबाद | भिवानी | रोहतक | सोनीपत
| हिसार | पेहवा | झज्जर
|
हरियाणा के पर्यटन स्थल | |
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भिवानी |
दादरी | देवसार धाम | नौरंगाबाद | लोहार पीर | शिव मन्दिर
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फ़रीदाबाद |
बड़खल झील | बाबा फ़रीद गुम्बद | सूरजकुंड
|
गुड़गाँव |
उजिना | धनकोट | पक्षी अभयारण्य | मलाब | शीतला माता मन्दिर | संघेल | सयैद | सुल्तानपुर राष्ट्रीय
उद्यान
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जींद |
अश्वनी कुमार तीर्थ | वराह | इकाहमसा | मुंजावता | यक्षिणी तीर्थ | पुष्कर | जामनी
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हिसार |
हांसी | पृथ्वीराज चौहान का क़िला | बरसी द्वार | दरगाह चार क़ुतुब | अगरोहा | गुजरी महल
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कैथल |
नवग्रह | हनुमान मंदिर | अम्बकेश्वर महादेव मंदिर | गुरुद्वारा नीम साहिब | बाबा लदाना | रज़िया
सुल्तान की क़ब्र | फल्गु तालाब
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पंचकुला |
मोरनी पहाड़ियाँ
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कुरुक्षेत्र |
चन्द्रकूप | ब्रह्म सरोवर | बाण गंगा | स्थानेश्वर महादेव मन्दिर | सन्निहित सरोवर
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अन्य |
गौस अली शाह की बावड़ी
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हरियाणा के ज़िले |
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अम्बाला जिला | भिवानी जिला | फरीदाबाद जिला | फतेहाबाद जिला | गुड़गांव जिला | हिसार जिला | झज्जर जिला | जींद जिला | कैथल जिला | करनाल जिला | कुरुक्षेत्र जिला | महेंद्रगढ़ जिला | मेवात जिला | पंचकुला जिला | पानीपत जिला | रेवाड़ी जिला | रोहतक जिला | सिरसा जिला | सोनीपत जिला | यमुनानगर जिला |