दक्षिण भारत में स्थित कर्नाटक भारत के बड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य में अनेक इन्जीनियरिंग (अभियांत्रिकी) और मेडिकल (आयुर्विज्ञान) कॉलेज हैं। कर्नाटक के उत्तर में महाराष्ट्र, दक्षिण में केरल, दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु तथा पूर्व में आंध्र प्रदेश राज्य हैं। इसके पश्चिम में अरब सागर है। कन्नड़ यहाँ की मुख्य भाषा है। तुळु और कोंकणी भाषा भी बोली जाती हैं।
कर्नाटक राज्य का लगभग 2,000 वर्ष का लिखित इतिहास उपलब्ध है। कर्नाटक पर नंद, मौर्य और सातवाहन नामक राजाओं का शासन रहा। चौथी शताब्दी के मध्य से इसी क्षेत्र के राजवंशों बनवासी के कदंब तथा गंगों का अधिकार रहा। श्रवणबेलगोला में गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा गंग वंश के मंत्री चामुंडराया ने बनवायी थी, जो विश्व प्रसिद्ध है। बादामी के चालुक्य वंश (500-735 ई. तक) ने नर्मदा से कावेरी तक के विशाल भूभाग पर राज किया और पुलिकेशी द्वितीय (609-642 ई.) ने कन्नौज के शाक्तिशाली राजा हर्षवर्धन को हराया था। इस राजवंश ने बादामी, ऐहोल और पट्टादकल में अनेक सुंदर कलात्मक तथा कालजयी स्मारकों का निर्माण कराया था। इसमें कुछ मंदिर चट्टानों को तराशकर बनाए गए है। एहोल के मंदिर में वास्तुकला का विकास हुआ।
चालुक्यों के स्थान पर बाद में मलखेड़ के राष्ट्रकूटों ने (753-973 ई.) कन्नौज के वैभवशाली समय में भी वसूल किया। इसी समय कन्नड़ साहित्य का विकास प्रारम्भ हुआ। भारत के प्रमुख जैन विद्वान् यहाँ के राजाओं के दरबार की शोभा थे। कल्याण के चालुक्य राजा (973-1189 ई.) और उनके बाद हलेबिड के होयसाल शासकों ने कलात्मक मंदिरों का निर्माण करवाया। ललित कलाओं और साहित्य को बढावा दिया। विजयनगर साम्राज्य (1336-1646 ई.) ने इन्हीं परपंराओं का पालन करते हुए कला, धर्म, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगु और तमिल साहित्य को बढावा दिया। उनके समय में व्यापार का भी बहुत विस्तार हुआ। अजीमुद्दौला को 1801 ई. में गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली (1798-1805 ई.) द्वारा कर्नाटक का नाम मात्र के लिए नवाब बनाया गया और उसे पेंशन दी।
बहमनी सुल्तानों और बीजापुर के आदिलशाहों ने सारासानी शैली में विशाल भवनों का निर्माण कराया। उर्दू, फ़ारसी के साहित्य की रचना इसी समय में हुई। इसके बाद पुर्तग़ाली अपने साथ नई फ़सलें जैसे- तंबाकू, मक्का, मिर्च, मूँगफली, आलू आदि लेकर आये और इनकी खेती प्रारम्भ हुई। पेशवा (1818) और टीपू सुल्तान (1799) की पराजय के बाद कर्नाटक ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। 19वीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों के कारण अंग्रेज़ी की शिक्षा, परिवहन, संचार और उद्योग में क्रान्तिकारी बदलाव आया और नगरों में मध्यम वर्ग का पनपना प्रारम्भ हुआ।
मैसूर राजवंश ने विकास की पहल की और औद्योगिकीकरण तथा सांस्कृतिक वृद्धि के लिए इन्हें अपनाया। आज़ादी की लड़ाई के समय कर्नाटक में एकता का अभियान चलाया गया। स्वतंत्रता मिलने पर 1953 में मैसूर राज्य का निर्माण हुआ, जिसमें कन्नड बहुल क्षेत्रों को साथ लेकर मैसूर राज्य का निर्माण 1956 में किया गया और इसे 1973 में कर्नाटक का नाम दिया गया। विजयनगर साम्राज्य के विघटन के दौरान अनेक हिन्दू जागीरदारों ने अपने स्वतन्त्र राज्य क़ायम कर लिये थे। इसी प्रकार का एक छोटा राज्य इक्केरी (बेदनूर) भी था। जो कि कर्नाटक के अंतर्गत आता है।
कर्नाटक राज्य की स्थापना 1 नवंबर, 1956 को हुई थी। इसलिये कर्नाटक का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को मनाया जाता है।
राजधानी | बंगलोर |
राजभाषा(एँ) | कन्नड़ भाषा, तुळु भाषा, कोंकणी भाषा |
स्थापना | 1 नवंबर 1956 |
जनसंख्या | 5,28,50,562 |
| घनत्व | 714 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 1,91,976 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 12°58′13″N 77°33′37″E |
जलवायु | उष्णकटिबंधीय |
| ग्रीष्म | 40 °C |
| शरद | 6 °C |
ज़िले | 30 |
सबसे बड़ा नगर | बंगलोर |
मुख्य ऐतिहासिक स्थल | मैसूर |
मुख्य पर्यटन स्थल | बैंगलोर, मैसूर |
लिंग अनुपात | 1000:965 ♂/♀ |
साक्षरता | 66.60% |
| स्त्री | 56.9% |
| पुरुष | 76.1% |
राज्यपाल | थावर चंद गहलोत |
मुख्यमंत्री | सिद्धारमैया |
विधानसभा सदस्य | 224 |
विधान परिषद सदस्य | 75 |
राज्यसभा सदस्य | 12 |
भौतिक रूप से कर्नाटक को चार भिन्न क्षेत्रों में बांटा गया है- समुद्रतटीय मैदान, पर्वत श्रेणियाँ (पश्चिम घाट), पूर्व में स्थित कर्नाटक का पठार और पश्चिमोत्तर में कपास उत्पाक काली मिट्टी का क्षेत्र। समुद्रतटीय मैदान मालाबार तट का विस्तार हैं और यहाँ जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से भारी वर्षा होती है। तट पर स्थित रेत के टीले भूमि की ओर बढ़ते हुए छोटे जलोढ़ मैदानों में बदल जाते हैं, जिनमें नारियल के वृक्षों से घिरे अनूप (लैगून) हैं। समुद्र के अलावा अन्य किसी भी मार्ग से तट पर पहुँचना मुश्किल है। पूर्व में पश्चिमी घाट की ढलानों के रूप भूमि तेज़ी से उठती है, जहाँ समुद्र तल से औसत ऊँचाई 760- 915 मीटर है। घाट की वनाच्छादित उच्चभूमि को मलनाड कहा जाता है; यह क्षेत्र एक जल- विभाजक भी है और इसके शीर्ष से मैदानों की ओर कई द्रुतगामी धाराएँ बहती हैं, जिनमें 253 मीटर ऊंचे जोग (जरस्पा) जलप्रपात वाली शरावती नदी भी शामिल है। अन्य नदियाँ लहरदार कर्नाटक के पठार से होकर बहती हैं, जिसकी हल्की ढलान पूर्व की ओर है। पठारी क्षेत्र की समुद्रतल से औसत ऊँचाई लगभग 457 मीटर है; सामान्यत: इसकी मिट्टी सरंध्र और अनुपजाऊ है। यहाँ बहने वाली नदियों के बेसिन की, जिसमें दक्षिण में कावेरी और उत्तर में कृष्णा की सहायक तुंगभद्रा शामिल हैं, मिट्टी चिकनी तथा कुछ हद तक उपजाऊ है। पुराने ज़माने से ही इस क्षेत्र में सिंचाई के जलाशयों के निर्माण के लिए छोटी धाराओं पर बाधं बनाया जाता रहा है और हाल के वर्षों में इनसे अधिकांश पनबिजली का विकास हुआ है। राज्य के पश्चिमोत्तर हिस्से में ज्वालामुखीय चट्टान के क्षेत्र रेगर में समृद्ध कपास की खेती वाली भारतीय काली मिट्टी पाई जाती है।
पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते हुए पठार पर मलनाड ज़्यादा खुले क्षेत्र में परिवर्तित हो जाता है, जिसे मैदान कहते हैं, जहाँ कम वर्षा होती है और मॉनसूनी जंगलों का स्थान झाड़ीदार जंगल ले लेते हैं। मॉनसूनी जंगलों में वन्य जीवन समृद्ध है, जिसमें बाघ, हाथी, गौर और हिरन शामिल हैं। जंगली सूअर, भालू और तेंदुआ मैदानी क्षेत्र में रहते हैं। यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में मोर सबसे आम है। कर्नाटक राज्य में डांडेली में वन्यजीव अभयारण्य और बांदीपुर और नगरहोल में राष्ट्रीय अद्यान हैं।
वन विभाग के पास राज्य के 20.15 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र का प्रबंधन है। वनों का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है-
कर्नाटक की लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि कार्य में लगी है। तटीय मैदान में सघन खेती होती है, जहाँ प्रमुख खाद्यान्न चावल और प्रमुख नकदी गन्ना है। अन्य प्रमुख फ़सलों में ज्वार और रागी शामिल हैं। अन्य नकदी फ़सलों में काजू, इलायची, सुपारी और अंगूर प्रमुख हैं। पश्चिमी घाट की ठंडी ढलानों पर कॉफी और चाय के बागान हैं। पूर्वी क्षेत्र में सिंचाई के कारण गन्ने और अल्प मात्रा में रबड़ केले व संतरे जैसे फलों की खेती संभव हो सकी है। पश्चिमोत्तर में मिलने वाली काली मिट्टी में कपास, तिलहन और मूंगफली की फ़सलें उगाई जाती है।
पश्चिम में मलनाड क्षेत्र के जंगलों में सागौन, चंदन व बांस मिलते हैं और अन्य वनोपजों में चर्मरंजक गोद लाख (गोंद के जैसा पदार्थ, जिसका उपयोग वार्विश के निर्माण में होता है) शामिल हैं। अन्य वृक्षों में यूकलिप्टस और शीशम आते हैं। मैसूर नगर में चंदन के तेल का प्रसंस्करण होता है और यह राज्य की अग्रणी निर्यात सामग्री है।
कुछ स्थानों पर कर्नाटक की उच्च खनिज भंडार वाली पूर्व कैंब्रियन युग की चट्टानें हैं, जो कम से कम 57 करोड़ वर्ष पुरानी हैं। कर्नाटक भारत में क्रोमाइट का सबसे बड़ा उत्पादन है; यह देश में मैग्नेसाइट उत्पादन दो राज्यों में से एक (दूसरा राज्य तमिलनाडु) है। उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क भंडार मुख्यत: चिकमगलूर और चित्रदुर्ग ज़िलों में हैं; अल्प मात्रा में अभ्रक ताम्र अयस्क, बॉक्साइट, रक्तमणि का भी खनन होता है। भारत में सोना इस क्षेत्र में स्थित कोलार स्वर्ण क्षेत्र से निकाला जाता है। राष्ट्रीयकृत हो चुकी सोने की प्रमुख खानें 2,743 मीटर तक गहरी हैं।
कर्नाटक राज्य में लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है और 55.60 प्रतिशत जनता कृषि और इससे जुडे रोज़गारों में लगी है। राज्य की 60 प्रतिशत, लगभग 114 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। कुल कृषि योग्य भूमि के 72 प्रतिशत भाग में अच्छी वर्षा होती है, बाक़ी लगभग 28 प्रतिशत भूमि में सिंचाई की व्यवस्था है। राज्य में 10 प्रतिशत कृषि मौसमी क्षेत्र हैं। यहाँ की प्रमुख मिट्टी लाल मिट्टी है, फिर दूसरे स्थान पर काली मिट्टी है। आज्य की कुल भूमि का 51.7 प्रतिशत भाग राज्य का बुआई क्षेत्र है। वर्ष 2007-08 में लगभग 117.35 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है।
राज्य के खनिज संसाधन, भद्रावती में लौह और इस्पात उद्योग और बंगलोर में भारी इंजीनियरिंग कारख़ाने को आधार प्रदान करते है। राज्य के अन्य उद्योगों में सूती वस्त्र की मिलें चीनी प्रसंस्करण, वस्त्र निर्माण, खाद्य सामग्री, बिजली की मशीनरी उर्वरक, सीमेंट और काग़ज़ उद्योग शामिल हैं। मैसूर शहर बंगलोर दोनों में प्राचीन काल से स्थापित रेशम उद्योग है, जहाँ भारत के मलबेरी रेशम का अधिकांश हिस्सा उत्पादित होता है। जोग जलप्रपात के पास स्थित शरावती परियोजना कर्नाटक के उद्योगों को बिजली प्रदान करने वाले अनेक जलविद्युत संयंत्रों में सबसे बड़ी है।
कनार्टक सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अतुलनीय है।
विकास निधि के अंतर्गत की जा रही है।
कनार्टक राज्य में 155 समुद्री मील लगभग 300 किमी लंबे समुद्र तट पर केवल एक ही बड़ा बंदरगाह है - मंगलौर या न्यू मंगलौर। इसके अतिरिक्त 10 छोटे बंदरगाह है-
कर्नाटक में धरोहर वाले महल, घने वन और पवित्र स्थलों की भरमार है। होम स्टे नामक नई अवधारणा ने राज्य में पर्यटन के नए आयाम जोड़ दिए हैं। हंपी और पट्टकल को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया है।
कर्नाटक के बेलारी ज़िले में स्थित संगनकल्लू से नव- पाषाणयुगीन तथा ताम्र- पाषाणयुगीन संस्कृतियों के प्रमाण मिले हैं। 1872 ई. में इस स्थल से घर्षित पाषाण कुल्हाड़ियाँ प्राप्त हुई हैं। 1884 ई. में इस स्थल के नजदीक एक पहाड़ी पर शैल चित्र तथा उकेरी गई मानव, हस्ति, वृषभ, पक्षी तथा तारों की आकृतियों की खोज की गई। इस क्षेत्र में दो राखी-ढेरियाँ पाई गई हैं। प्रथम राखी ढेरी के उत्खनन में तीन चरण अनावृत्त किए हैं।
नंजनगूड प्राचीन तीर्थनगर कर्नाटक में कावेरी की सहायक काबिनी नदी के तट पर मैसूर से 26 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यह नगर 10वीं और 11वीं शताब्दी में गंग चोल वंश के समय से ही विख्यात रहा है। इस नगर में श्रीकांतेश्वर नंजुनदेश्वर (शिव) को समर्पित एक प्रसिद्ध मन्दिर है। सम्भवतः यह कर्नाटक का सबसे बड़ा मन्दिर है।
यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में शामिल हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। 2002 में भारत सरकार ने इसे प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। हम्पी में स्थित दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं- विरुपाक्ष मन्दिर, रघुनाथ मन्दिर, नरसिंह मंन्दिर, सुग्रीव गुफ़ा, विट्ठलस्वामी मन्दिर, कृष्ण मन्दिर, प्रसन्ना विरूपक्ष, हज़ार राम मन्दिर, कमल महल तथा महानवमी डिब्बा आदि।
भूमि के काग़ज़ात की ऑन लाइन डिलीवरी योजना 2000 में शुरू हुई और 200 लाख काग़ज़ात की डिजिटलीकरण कर दिया गया है तथा ऑनलाइन म्यूटेशन की प्रक्रिया से तालुक स्तर पर कियोस्क में आर. टी. सी. को आसानी से उपलब्ध कराया जा रहा है, जिनकी स्थापना इस प्रयोजन के लिए विशेष रूप से की गई है। अब यह निर्णय लिया गया है कि मौजूदा सॉफ्टवेयर का उन्नयन किया जाए ताकि नए विशेषताओं और तकनीकी आधार को सुदृढ़ बनाया जा सके। नए भूमि सॉफ्टवेयर में सभी मौजूदा विशेषताओं को शामिल किया जाएगा जैसे कि कावेरी कार्यक्रमों, बैंकों, कचहरियों को जोड़ा जाएगा और इसमें नई विशेषताएं होंगी जैसे कि भूमि अधिग्रहण के मामलों को जोड़ना, गैर कृषि भूमि का दाख़िला ख़ारिज़ करना।
इसके अलावा ई-गवर्नेंस ने बैंगलोर एक कार्यक्रम शुरू किया है, जो बहुसेवा केंद्र है जहां लोग बिजली, टेलीफ़ोन आदि के बिल जमा कर सकते हैं और एक ही जगह 25 अन्य सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। इसने नेम्मादी नामक कार्यक्रम शुरू किया है। इसके अंतर्गत 765 ऐसे टेलीसेंटर हैं जहां आय, जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके अलावा मानव संसाधन प्रबंधन सेवा भी विकसित की गई है, जो सभी विभागों की केन्द्रीय पहलों और सर्वाधिक सामान्य कार्यों के रूप में कार्य करती है।
स्त्री-पुरुष अनुपात को संतुलित करने और ग़रीब परिवारों को नैतिक संबल प्रदान करने के लिए कर्नाटक सरकार ने भाग्यलक्ष्मी योजना शुरू की है। यह दो लड़कियों तक सीमित है और ग़रीबी रेखा से नीचे रह रहे सभी परिवारों के लिए है। लड़की के जन्म के समय उसके नाम से 10,000 रुपए जमा किए जाएंगे और ब्याज सहित 18 वर्ष पूरा हो जाने पर दिए जाएंगे।
यह एक अन्य योजना है जो माँ और शिशु के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए बनाई गई है। इसके तहत प्रसव के बाद माँ और शिशु की ज़रूरत का सामान दिया जाता है। यह सुविधा ग़रीबी रेखा से नीचे रह रहे सभी परिवारों के लिए है।
शिक्षा के लिए बेहतर पहुंच और इसे जारी रखने के लिए राज्य सरकार ने यह योजना प्रारम्भ की है। इसके तहत सरकार और अनुदान प्राप्त स्कूलों में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के और लड़कियों को साइकिलें दी जाएंगी।
कर्नाटक | |
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राजधानी |
बेंगळूरू
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प्रमुख नगर |
मैसूर | बेंगळूरू | कुर्ग | श्रीरंगपट्टनम
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प्रमुख नदियाँ |
पलार | पेन्नार | भीमा
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ज़िले |
उडुपी ज़िला | उत्तर कन्नड़ ज़िला | कोडगु ज़िला | कोप्पल ज़िला | कोलार ज़िला | गडग ज़िला | गुलबर्गा
ज़िला | चामराजानगर ज़िला | चिकमंगलूर ज़िला | चित्रदुर्ग ज़िला | तुमकुर ज़िला | दक्षिण कन्नड़ ज़िला |
दावणगेरे ज़िला | धारवाड़ ज़िला | बगलकोट ज़िला | बीजापुर ज़िला | बीदर ज़िला | बेलगाम ज़िला | बेल्लारी
ज़िला | बैंगलोर (ग्रामीण) ज़िला | बैंगलोर ज़िला | मांड्य ज़िला | मैसूर ज़िला | रायचूर ज़िला | शिमोगा
ज़िला | हावेरी ज़िला | हासन ज़िला
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भाषा |
कन्नड़ भाषा | तुळु भाषा | कोंकणी भाषा
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कर्नाटक के पर्यटन स्थल |
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कृष्णराज सागर बाँध | नारायणपुर | चामुंडी पहाड़ी | जगनमोहन महल मैसूर | जी. आर. एस फैंटेसी पार्क |
कोरवंगला | कोप्पल | जिननाथपुर | जलदुर्ग | गोकण | कोल्लूर | नंजनगुड मंदिर | मैसूर चिड़ियाघर |
श्रीरंगपट्टनम | महाराजा पैलेस | रेल संग्रहालय | श्रवणबेलगोला | सेंट फिलोमेना चर्च | सोमनाथपुर |
वृन्दावन गार्डन | दरिया दौलत बाग़ | जयचामराजेन्द्र संग्रहालय | विरुपाक्ष मन्दिर | कब्बन पार्क |
प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय | बडाव लिंग, हम्पी | लोककथा संग्रहालय | ओरियेंटल रिसर्च इंस्टीटयूट |
पापनाथ मंदिर | मल्लिकार्जुन मंदिर | संगमेश्वर मंदिर | विद्याशंकर मंदिर | कमल महल | काशीविश्वनाथ
मंदिर | कदासिद्धेश्वर मंदिर | जम्बुलिंग मंदिर | हज़ार राम मन्दिर | विट्ठलस्वामी मन्दिर | इस्कॉन
मन्दिर | हुबली-धारवाड़ | शिवसमुद्रम | चंद्रशेखर मंदिर | हरिहर | गोलगनाथ मंदिर | गवी गंगादरश्रवरा
मन्दिर | गाँधी भवन | राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय | इल्कल | चौदिया मेमोरियल | येनियार मंदिर | हलसी
| रानी का स्नानागार | सुमेर महल | बुल मन्दिर | हुबली | बेंगळूरू पैलेस | लाल बाग़ | विधान सौध |
वेनकटप्पा आर्ट गैलरी | शिव मूर्ति | रावन फाड़ी | बानेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान | मेगुती जैन मंदिर |
लाद खान मन्दिर | चित्रदुर्ग क़िला | अब्बे झरना | सूर्यनारायण मंदिर | चेन्नाकेशव मन्दिर | तालकावेरी |
गोल गुम्बद | होनेमरडु | जोगी मुंडी | मदिकेरी | एहोल | श्री क्षेत्र सिद्धेश्वर | सोंडा | स्वर्णवल्ली
मठ | मुत्तिनाकेरे पक्षी अभयारण्य | रिट्टी | सावांणूर | सिरसी | हानगल | कुमार स्वामी | श्रृंगेरी मठ |
चित्रापुर मठ | पुष्करणी | आर्ट ऑफ़ लिविंग | अमृतेश्वर मंदिर | डोड्डा सैमपिगे मारा | बिलिगिरी
रंगास्वामी मंदिर | बिलगिरि रंगन पर्वतमाला | माले महादेश्वर बेट्टा | रामेश्वर मंदिर | जीवित पाक कला
संग्रहालय | गुम्बज, श्रीरंगपट्टनम | श्रीरंगपट्टनम क़िला
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कर्नाटक के नगर |
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अनेगुंडी | कल्याणी | श्रीरंगपट्टनम | गुलबर्ग | गोकाक | बीजापुर | बीदर | बेंगळूरू | मैसूर | रायचूर |
तालकड़ | मुदगल | बादामी | हम्पी | इल्कल | दावणगेरे | हुबली | शिमोगा | कुर्ग | चिकमंगलूर | कोलार |
अर्काट | उडुपी | मंगलोर | मांड्या | टेक्कलकोट | तालीकोटा | कोल्लेगाला | हुबली-धारवाड़ | करकल |
इक्केरी | बसवन्ना बागेवाड़ी
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कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थान |
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अम्बु | आर्यपुर | कोरवंगला | आलंद | इट्टागी | एहोल | कमतौल | कर्णाटक | जिंजी | बेलगांव | मान्यखेत |
बनवासी | हलेबिड | जिननाथपुर | चंद्रवल्ली | ब्रह्मगिरि | कुरुवत्ती | गंगावली | नारायणपुर | नंजनगुड |
नंदिगिरि | नागखंड | हरिहर | गब्बुर | गोकण | बाणावर | कोप्पल | गंगापुर | गंगवाड़ी | कोपन | तिरुमकुडलू
| बलगामी | गुहारण्य | मुदगल | हलसी | गोकाक | चीतलदुर्ग | जरसोप्पा | तुंगभद्र | वातापी | बेलूर |
द्वारसमुद्र | तालगुण्ड | लाद खान मन्दिर | पापनाथ मंदिर | काशीविश्वनाथ मंदिर | वक्कलीरी | लोहाचल |
जम्बुलिंग मंदिर | मल्लिकार्जुन मंदिर | पुन्नाडू | मुडिबद्री तीर्थ | जतिंग रामेश्वर | सूर्यनारायण
मंदिर | तालाकट | चित्तलदुर्ग | लकुंडी | लिंगसुगुर | शातवाहन राष्ट्र | मस्की | चंद्रशेखर मंदिर |
येनियार मंदिर | यादगिरि | कदासिद्धेश्वर मंदिर | गोलगनाथ मंदिर | जटिंगा रामेश्वर | सिद्धपुर |
चन्द्रगिरि पहाड़ी | श्रीराज्य | रामगिरि | श्रृंगेरी | शृंगभेरी | शिरोवन | शाहपुर | पट्टदकल |
त्रिचनापल्ली | गाधीमठ | हांगल | हुच्चमल्लीगुड़ी | रजतपीठपुर | यादवगिरि | होलकोंडा | हुविनाहडगट्ट |
रावन फाड़ी | होनहल्ली | होमनाबाद | बेलारी | वेलिग्राम | वेंडाली | संगनकल्लू | होस्पेट | गुम्बज,
श्रीरंगपट्टनम | श्रीरंगपट्टनम क़िला
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कर्नाटक के ज़िले |
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उडुपी जिला | उत्तर कन्नड़ जिला | कोडगु जिला | कोप्पल जिला | कोलार जिला | गडग जिला | गुलबर्गा जिला | चामराजानगर जिला | चिकमंगलूर जिला | चित्रदुर्ग जिला | तुमकुर जिला | दक्षिण कन्नड़ जिला | दावणगेरे जिला | धारवाड़ जिला | बगलकोट जिला | बीजापुर जिला | बीदर जिला | बेलगाम जिला | बेल्लारी जिला | बैंगलोर (ग्रामीण) जिला | बैंगलोर जिला | मांड्य जिला | मैसूर जिला | रायचूर जिला | शिमोगा जिला | हावेरी जिला | हासन जिला | रामानगरा जिला
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