केरल


केरल एक भारतीय राज्य, जो भारत के दक्षिण-पश्चिम सीमा पर स्थित है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। केरल को भारत का मसालों का बगीचा कहा जाता है। यह मलय पर्वत की क्रोड में बसा हुआ प्रदेश है, जिसमें भूतपूर्व त्रावणकोर और कोचीन की रियासतें सम्मिलित हैं।

इतिहास

  • केरल का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में इस प्रकार है-

"पांड्यांश्च द्रविडाश्चैव सहितांश्चोड्र केरलै:
आंध्रास्तालवनांश्चैव कलिंगानुष्ट्रकर्णिकान्।"

  • महाभारत सभापर्व 51 में केरल और चोल नरेशों द्वारा युधिष्ठिर को दी गई चंदन, अगुरु, मोती, वैदूर्य तथा चित्रविचित्र रत्नों की भेंट का उल्लेख है-

"चंदनागरु चानन्तं मुक्तावैदूर्यचित्रका:
चोलश्च केरलश्चोभौ ददतु: पांडवाय वै"।

  • केरल तथा दक्षिण के अन्य प्रदेशों को सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान जीता था।
  • रघुवंश में कालिदास ने केरल का उल्लेख इस प्रकार किया है-

"भयोत्सृष्टविभूषाणां तेन केरलयोषिताम्
अलकेषु चमूरेणश्चूर्णप्रतिनिधी कृत:"

अर्थात् "दिग्विजय के लिए निकली हुई रघु की सेनाओं के केरल पहुंचने पर केरल की युवतियों, जिन्होंने भय से सारे विभूषण त्याग दिए थे, की अलकों में सेना की उड़ाई हुई धूलि ने प्रसाधन के चूर्ण का काम किया।

  • सम्राट अशोक के शिलालेख 2 में पांड्य, सातियपुत्र और केरल राज्यों का उल्लेख है। ताम्रपर्णी नदी तक इनका विस्तार माना गया है।
  • परवर्ती काल में केरल को चेर भी कहा जाता था, जो केरल का रूपांतर मात्र है।

केरल की मुख्य नदियाँ मुरला, ताम्रपर्णी, नेत्रवती और सरस्वती आदि हैं। इतिहासकार हेमचंद्र रायचौधरी के अनुसार उड़ीसा में महानदी के तट पर स्थित वर्तमान सोनपुर के पास के प्रदेश को भी केरल कहते थे, क्योंकि यहाँ स्थित ययाति नगरी से केरल युवतियों का सम्बंध धोई कवि ने अपने पवनदूत नामक काव्य में बताया है; किंतु यह तथ्य संदेहास्पद है।

राज्य का निर्माण

स्वतंत्र भारत में जब छोटी-छोटी रियासतों का विलय हुआ, तब त्रावनकोर तथा कोचीन रियासतों को मिलाकर 1 जुलाई, 1949 को त्रावनकोर कोचीन राज्य बना दिया गया, लेकिन मालाबार मद्रास प्रांत (वर्तमान चेन्नई) के अधीन ही रहा। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत त्रावनकोर-कोचीन राज्य तथा मालाबार को मिलाकर 1 नवंबर, 1956 को केरल राज्य का निर्माण किया गया। हिन्दुओं और मुसलमानों के अतिरिक्त यहाँ ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। इस राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग कि.मी. है।

राजधानी तिरुवनन्तपुरम
राजभाषा(एँ) मलयालम भाषा
स्थापना 1 नवंबर, 1956
जनसंख्या 3,33,87,677
| घनत्व 859/वर्ग किमी
क्षेत्रफल 38,863 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 8.5074°N 76.972 °E
| ग्रीष्म 36.7 °C
| शरद 19.8 °C
ज़िले 14
मुख्य पर्यटन स्थल कोवलम, वरकला, अलप्पुझा, बेक्कल, मुन्नार, कन्नूर
लिंग अनुपात 1000:1,084 ♂/♀
साक्षरता 93.91 %
| स्त्री 91.98%
| पुरुष 96.02%
राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन
लोकसभा क्षेत्र 20
राज्यसभा सदस्य 9

भौगोलिक स्थिति

पूर्व में ऊंचे पश्चिमी घाट और पश्चिम में अरब सागर के मध्य में स्थित इस प्रदेश की चौड़ाई 35 कि. मी. से 120 कि. मी.तक है। भौगोलिक दृष्टि से केरल पर्वतीय क्षेत्रों, घाटियों, मध्यवर्ती मैदानों तथा समुद्र का तटवर्ती क्षेत्र हैं। केरल नदियों और तालाबों के सम्बंध में बहुत ही समृद्ध है। केरल में 44 नदियां बहती हैं जिनमें 41 नदियाँ पश्चिम की ओर और तीन पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं।

ये नदियाँ अपनी सहायक नदियों और उपधाराओं के साथ केरल की प्राकृतिक संपदा को बढ़ाती हैं। समुद्री झीलें केरल का मुख्य आकर्षण हैं। आर्थिक दृष्टि से भी प्राकृतिक संसाधन बहुत महत्वपूर्ण हैं। उत्तरी केरल राज्य के एक अंत:क्षेत्र दक्षिण भारत में माहि नगर स्थित है।

जलवायु

केरल राज्य में गर्म मौसम है क्योंकि यह भूमध्यरेखा से मात्र 8 डिग्री के अंतराल पर स्थित है। केरल राज्य की जलवायु की मुख्य विशेषता है- शीतल मन्द हवा और भारी वर्षा। पश्चिमी मानसून से प्रमुख वर्षा काल प्रारम्भ होता है। दूसरा वर्षाकाल उत्तरी-पश्चिमी मानसून है । प्रत्येक वर्ष लगभग 120 से लेकर 140 दिन तक वर्षा होती रहती है । केरल की औसत वार्षिक वर्षा 3017 मिली मीटर मानी जाती है । केरल में भारी वर्षा से बाढ़ भी आती हैं जिससे जन और धन की भी बहुत हानि होती है ।

भाषा

यहाँ की मुख्य भाषा मलयालम है। यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है । अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल का प्रमुख स्थान है । इसके पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। केरल राज्य में अंग्रेज़ी भाषा को प्रमुख स्थान प्राप्त है । मलयालम भाषा की भांति अंग्रेज़ी भाषा भी शिक्षा का प्रमुख माध्यम है । तमिल और कन्नड़ भाषाओं को अल्पसंख्यक भाषा कहा जाता है। केरल प्रदेश की भाषा मलयालम है। मलयालम द्रविड़ परिवार की भाषाओं में से एक है। मलयालम भाषा की उत्पत्ति के विषय में अनेक मत हैं-

  1. एक मत है कि किसी आदि द्रविड़ भाषा से विकसित होकर मलयालम एक स्वतंत्र भाषा हुई ।
  2. दूसरा मत है कि मलयालम तमिल से उत्पन्न भाषा है।
  • सभी विद्वान् मानते हैं कि भाषा के परिवर्तन के कारण मलयालम भाषा का उदय हुआ। तमिल और संस्कृत दोनों ही भाषाओं के साथ मलयालम का बहुत ही गहन सम्बन्ध है। साहित्यिक भाषा के रूप में मलयालम भाषा का विकास 13 वीं शताब्दी से ही प्रारम्भ हुआ। 13 वीं शताब्दी में लिखित रामचरितम् को मलयालम भाषा का आदि काव्य माना जाता है ।

अर्थव्यवस्था

भौगोलिक और भौगर्भिक कारक केरल की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। यहाँ की सघन आबादी के लिए उपलब्ध कृषि योग्य भूमि काफ़ी नहीं है। इस राज्य में जीवाश्म ईधनों और खनिजों के प्रमुख भंडारों की भी कमी है।

यहाँ सिर्फ इल्मेनाइट (टाइटेनियम का प्रमुख अयस्क), रयूटाइल (टाइटेनियम ऑक्साइड), मोनाजाइट (सीरियम और थोरियम फास्फेट युक्त खनिज) हैं, जो समुद्र तट की रेत में पाए जाते हैं। केरल में जलविद्युत की काफ़ी संभावनाएँ हैं। इडुक्की कॉम्पलेक्स विशालतम विद्युत उत्पादन संयंत्र है।

कृषि

केरल राज्य में कृषि की विशेषता है कि यहाँ व्यापारिक फ़सलें अधिक उगाई जाती हैं। राज्य के लगभग 50 प्रतिशत नागरिक कृषि पर निर्भर है। नारियल, रबड, काली मिर्च, अदरक, चाय, इलायची, काजू तथा कॉफी आदि का उत्पादन केरल में प्रमुख रूप से होता है। दूसरी फ़सलों में सुपारी, केला, अदरक तथा हल्दी आदि हैं। केरल राज्य में जायफल, दालचीनी, लौंग आदि मसालों के वृक्ष भी उगाए जाते हैं। चावल तथा टैपियोका केरल की मुख्य खाद्य फ़सलें हैं।

कृषि उत्पादन आँकड़े
  • आठवीं पंचवर्षीय योजना में चावल के क्षेत्र में वार्षिक कमी 22,000 हेक्टेयर थी।
  • नौवीं योजना में यह घटकर 13000 हेक्टेयर रह गई।
  • 2003 - 04 के 2.87 लाख हेक्टेयर की तुलना में यह बढकर 2004 - 05 में 2.90 लाख हेक्टेयर हो गई। यह वृद्वि 2,634 हेक्टेयर थी। चावल का उत्पादन 5.70 मीट्रिक टन से बढकर 6.67 लाख टन हो गया। यह वृद्धि 17 प्रतिशत थी।
  • सूखे की वजह से धान उत्पादन में 2003 से 2004 में कमी आई किंतु 2004 से 05 में उत्पादन में वृद्वि हुई। 2004 से 05 में चावल के उत्पादन में वृद्धि अल्लपुज्जा (75 प्रतिशत), पलक्कड (37 प्रतिशत) में दर्ज की गई।
  • आय और रोज़गार में नारियल केरल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। नारियल का फ़सल क्षेत्र नौ लाख हेक्टेयर तक है, जो कुल फ़सल क्षेत्र का लगभग 41 प्रतिशत है। केरल में नारियल 35 लाख लोगों की आय का साधन है।
  • मुख्य निर्यात काली मिर्च का है जिसमें केरल अन्य राज्यों में सदैव से ही सर्वश्रेष्ठ है। देश भर में काली मिर्च के उत्पादन का 98 प्रतिशत केरल में होता है और इस प्रकार काली मिर्च के क्षेत्र में केरल का एकाधिकार बना हुआ है।
  • केरल की अर्थ्व्यवस्था में चाय बागानी फ़सलों, रबड, कॉफी, चाय और इलायची का विशेष योगदान है। इन चार फ़सलों की लगभग 6.53 लाख हेक्टेयर में खेती होती है। यह राज्य के कुल कृषि क्षेत्र का 29 प्रतिशत है और राज्य में इन फ़सलों के अधीन क्षेत्र का 43 प्रतिशत है।
  • केरल में कुल रबड़ क्षेत्र (देश भर) का 83 प्रतिशत क्षेत्र है। वर्ष 2004 - 05 में रबड़ का कुल फ़सल क्षेत्र लगभग 4.81 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष से 2141 हेक्टेयर अधिक रहा। केरल में रबड़ का उत्पादन 6.91 लाख टन रहा जो पिछले वर्ष से 5 प्रतिशत अधिक था। उत्पादकता में वृद्धि 2004 - 05 में भी बनी रही।
  • वर्ष 2004 - 05 में देश में कॉफी का उत्पादन क्षेत्र 3.28 लाख हेक्टेयर था जिसमें से 0.846 लाख हेक्टेयर केरल में है जो कुल क्षेत्र का 26 प्रतिशत है। वर्ष 2004 - 05 में केरल की हिस्सेदारी 19.7 प्रतिशत रही। देश के कुल 2.75 लाख मीट्रिक टन कॉफी उत्पादन के मुक़ाबले केरल का उत्पादन 0.54 लाख मीट्रिक टन था, देश में 5.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में चाय के कुल बागानों की तुलना में केरल में केवल 0.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चाय की खेती की गई। चाय उत्पादन में केरल की हिस्सेदारी 2004 में पिछले वर्ष के 7 प्रतिशत से गिरकर 6 प्रतिशत रह गई। पिछले तीन वर्षों से उत्पादन में गिरावट चल रही है। बड़ी कंपनियों के चाय बागानों में संगठित क्षेत्र के 84,000 से ज्यादा मज़दूर काम करते हैं।
  • इलायची एक अन्य बागानी फ़सल है जिसका उत्पादन 2004 - 05 में 28 प्रतिशत से बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया।

उद्योग

केरल में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं है। यहाँ पर पनबिजली, घने वन, दुर्लभ खनिज, परिवहन और अच्छी संचार प्रणाली, सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहाँ के परंपरागत उद्योग हैं- हथकरघा, काजू, नारियल जटा तथा हस्तशिल्प। अन्य महत्वपूर्ण उद्योगों में रबड, चाय, चीनी मिट्टी के बर्तन, बिजली तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टेलीफ़ोन के तार, ट्रांसफार्मर, ईंट और टाइल्स, औषधियां और रसायन, सामान्य इंजीनियरी वस्तुएं, प्लाईवुड, रंगरोगन, बीड़ी और सिगार, साबुन, तेल, उर्वरक तथा खादी और ग्रामोद्योग उत्पाद शामिल हैं। इसके अलावा महीन उपकरण, मशीनी औज़ार, पेट्रोलियम पदार्थ, पेंट, लुगदी, काग़ज़, अखबारी काग़ज़, कांच तथा अलौह धातुओं के उत्पादन के लिए राज्य में कई कारखाने हैं। निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में प्रमुख हैं- काजू, चाय, मसाले, लेमन ग्रास ऑयल, समुद्री खाद्य उत्पाद, शीशम और नारियल रेशा। राज्य में इल्मेनाइट, रटल, मोनाजाइट, जिरकोन, सिलीमेनाइट, चिकनी मिट्टी तथा स्फटिक युक्त बालू जैसे महत्वपूर्ण खनिज भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लगभग सभी मुख्य उत्पादों में औद्योगिक निर्यात में लगातार वृद्धि हुई है।-

  • सॉफ्टवेयर का निर्यात 2003 - 04 के दौरान 240 करोड़ रुपए का था, जो 2004 - 05 में 400 करोड़ रुपए का हो गया। यह वृद्धि 66 प्रतिशत थी। 2004 - 05 में निपटारे के लिए 2658 औद्योगिक विवाद थे जो 2003 - 04 की तुलना में काफ़ी कम थे। इसी तरह 2004 - 05 में हड़तालें और तालाबंदी भी 2003-04 की तुलना में कम रहे।
  • 31 मार्च 2005 तक केरल में 14655 जॉइंट स्टॉक कंपनियां थीं जिनमें से 13210 प्राइवेट लिमिटेड और 1445 पब्लिक लिमिटेड थी। केरल में सर्वाधिक संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं (1071 में से 113) जिनमें 115697 लोगों को रोज़गार मिला हुआ है। इनमें से 63 उपक्रमों में इंजीनियरिंग, बिजली का सामान, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक, चीन-मिट्टी, कृषि तथा लकड़ी के सामान का काम किया जाता है।
  • केरल सरकार औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण / परामर्श सेवाएं प्रदान करती है। औद्योगिक प्रोत्साहन के कार्य में लगी महत्वपूर्ण एजेंसियां और विभाग हैं- के. एफ. सी., के. एस. आई. डी. सी., सिडबी किनफरा, उद्योग और वाणिज्य निदेशालय, एस.आई.डी.सी., एस.आई.एस.आई., किटको और सी.एम.डी.।
  • उद्योग और वाणिज्य निदेशालय भूमि अधिग्रहण करके, उसे विकसित करके, सड़क, जलापूर्ति, बिजली तथा आवश्यक इमारतें बनाकर, सारी सुविधाएं लघु उद्योगों को उपलब्ध कराता है। लघु उद्योग विकास निगम अपनी बड़ी औद्योगिक संपदाओं व लघु औद्योगिक संपदाओं के जरिए लघु उद्योगों को मूल संरचनात्मक सुविधाएं उपलब्ध कराता है।
  • निर्यात संवर्द्धन के लिए मुख्यत: विशेष ध्यान आर्थिक क्षेत्र पर दिया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य निर्यात के लिए मुक्त वातावरण और अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रतिस्पर्धी माहौल उपलब्ध कराने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करना है।
  • कोच्चि में तीन विशेष आर्थिक क्षेत्र हैं-
  1. कलमसरी के किनफरा में इलेक्ट्रानिक पार्क,
  2. कोचीन विशेष आर्थिक क्षेत्र,
  3. बंदरगाह आधारित विशेष आर्थिक क्षेत्र।
  • इसके अलावा अन्य हैं -
  1. मल्लपुरम फूड पार्क,
  2. टैक्नोपार्क,
  3. तिरुवनंतपुरम में एपरल पार्क, फिल्म और वीडियो पार्क, एनिमेशन विशेष आर्थिक क्षेत्र।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु उद्योग एक बहुत गतिशील और जीवंत क्षेत्र है। 31 मार्च 2005 तक केरल में 2,80,584 लघु औद्योगिक इकाइयां पंजीकृत थीं जिसमें 4230.03 करोड़ रुपए का निवेश था और 12,60,007 लोगों को रोज़गार मिला था। 2004 - 05 में 4935 इकाइयां पंजीकृत हुईं जिनमें 198.63 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है और 22585 लोग काम कर रहे हैं।
  • केरल सरकार ने ज़िला औद्योगिक केंद्रों के माद्यम से प्रत्याशा शीर्षक के अंतर्गत केरल स्थानीय उद्योग संवर्द्धन कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। इस योजना का उद्देश्य 25,00 लघु उद्योग स्थापित करना है जिनमें वर्ष 2005 - 06 में 1,00,000 लोगों को रोज़गार मिलेगा।
औद्योगिकीकरण

अधिकांश आबादी औद्योगिकीकरण से अप्रभावित है। बेरोज़गारी की समस्या गंभीर है और बेरोज़गार लोगों में शिक्षा का उच्च स्तर इस समस्या को और गंभीर बना देता है। अधिकांश श्रमिक पारंपरिक, कम मज़दूरी वाले कुटीर उद्योगों, जैसे नारियल के रेशों और काजू प्रसंस्करण या बुनाई में संलग्न हैं। केरल के एक-चौथाई से अधिक श्रमिक सेवा-क्षेत्र में है। खाद्य प्रसंस्करण, औद्योगिक रोज़गार का सबसे बड़ा साधन है। अन्य उत्पादों में उर्वरक, रसायन, बिजली के उपकरण, टाइटेनियम, ऐलुमिनियम, प्लाइवुड, चीनी मिट्टी के बर्तन और कृत्रिम रेशे शामिल हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिकी और इसका अधिकाधिक उपयोग करने की क्षमता एक महत्वपूर्ण पहलू है। केरल सरकार ने राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अनेक क़दम उठाए हैं। जिनमें से प्रमुख हैं-

  1. टेक्नोपार्क, तिरुवनंतपुरम। यह भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय स्तर का सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र है।
  2. कोच्चि में किनफरा स्थित सूचना प्रौद्योगिकी पार्क,
  3. केरल सूचना प्रौद्योगिकी मिशन का अक्षय कार्यक्रम
  4. राज्य सरकार की ई-शासन पहल, जैसे - फ्रैंड्स
  • टेक्नोपार्क की समन्वित सूचना के साथ प्रौद्योगिकी वातावरण के रूप की अवधारणा की गई है जिसमें उद्योग की आवश्यकता की सभी मूलभूत और आधुनिक सुविधाएं उपलबध हैं। सरकार ने इस परिसर को सभी व्यवधानों से मुक्त कर दिया है, केवल बिजली की सुरक्षा के लिए मुख्य विद्युत निरीक्षक से प्रमाणपत्र लेना होता है। भारत सरकार की अधिकांश स्वीकृतियों के लिए टेक्नोपार्क एकमात्र संपर्क की भूमिका निभाता है। टेक्नोपार्क ने 2004 में सूचना प्रौद्योगिकी परिसर के लिए मूल संरचनात्मक और अन्य सेवाओं के सृजन और विपणन की अच्छी प्रणाली क़ायम करने और उसके रख-रखाव के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त किया। टेक्नोपार्क ऐसी पहली सेवा संस्था है जिसे 2004 में अमेरिका की कारनेगी मैल्टन यूनिवर्सिटी से सी.एम.एम.आई. लेवल 4 प्रमाणपत्र मिला।
  • वर्तमान समय में इस परिसर में 84 अंतर्राष्ट्रीय और स्वदेशी कंपनियां हैं, जिनमें 634.25 करोड़ रुपए का निवेश है। पिछले वर्ष टेक्नोपार्क से 350 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ। 2004-05 में परिसर के विस्तार के लिए और भूमि अधिग्रहीत की गई। 86 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की गई और इस पर कब्ज़ा लिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस नए परिसर (86 एकड़) को विशेष आर्थिक क्षेत्र घोषित किया है।
  • कोच्चि में 92 एकड़ के क्षेत्रफल में एक इंफो पार्क है जिसमें 3.5 लाख वर्ग फीट का निर्मित हिस्सा है। बड़ी कंपनियों जैसे विप्रो, ओ.पी.आई, ए.सी.एस., आई.बी.एस. और टी.सी.एस ने इंफो पार्क में कार्य आरंभ कर दिया है। यहाँ इंफो पार्क सुविधाओं में 1400 कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी का कुल निवेश 80.43 करोड़ रु. है। इंफो पार्क कंपनियों का कुल निर्यात 32 करोड़ रु है।
  • केरल को ई-शासन के मामले में भारत का दूसरा सर्वश्रेष्ठ राज्य होने का गौरव प्राप्त है। फ्रैंड्स (फास्ट रिलायबिल इंस्टैंट एफिशिएंट नेटवर्क फार डिस्बर्समेंट सर्विस) एक ही स्थान पर निपटान प्रणाली है जहां नागरिक सभी कर और अन्य वित्तीय देय सरकार को देते हैं।
  • अगस्त 2004 में मल्लपुरम ज़िले में फ्रैंड्स परियोजना के विस्तार के रूप में अक्षय ई-केंद्रों के माध्यम से केरल सरकार ने बिलों के भुगतान की सुविधा शुरू की है।
  • देश में अपनी तरह का पहला कॉल सेंटर राज्य की राजधानी में स्थापित किया गया है। इससे आम नागरिक टेलीफ़ोन के माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों में हुए लेन-देन के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।

सिंचाई

  • केरल भी जलापूर्ति के लिए भूतल जल सिंचाई प्रणाली पर निर्भर है, जो गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा संचालित होती है। बहुत बड़ा भूखंड बड़ी और मंझोली सिंचाई परियोजनाओं के लिए नियत है। मार्च 2005 तक कुल 3572.40 करोड़ के निवेश में से 2,462.51 करोड़ रुपए का निवेश (69 प्रतिशत) बड़ी और मंझोली सिंचाई परियोजनाओं के लिए था।
  • केरल में सिंचाई व्यवस्था बड़ी, मंझोली और लघु सिंचाई परियोजनाओं का भूजल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से होती है। पूरी की गई प्रमुख परियोजनाएं- मलमपूजहा, चलाकुड्डी, पीची, पंपा, पेरियार, चित्तूरपूजा, कुट्टियाडी, नेय्यर और चिम्मनी, पझारी, कांजरापूजा तथा कल्लाड हैं। पोथुड़ी, गायत्री, वलयार वज़ानी, मंगलम और चीरा कुझी मंझोली परियोजनाएं हैं। चार बड़ी परियोजनाओं- मुवात्तुपूजा, इदमलयार, करापूज़ा तथा कुटियार कुट्टी - कारापारा तथा कारापूजा तथा वाणासुर सागर, तिरथाला में पुल तथा जल नियामक तथा चामारावत्तोम में मंझोली योजनाओं पर काम चल रहा है।
  • दसवीं योजना में सिंचाई पर निवेश 930 करोड़ रुपए निर्धारित था। इसमें से प्रमुख निवेश बड़ी तथा मध्यम सिंचाई योजनाओं पर 600 करोड़ रुपए तथा उसके बाद लघु सिंचाई योजनाओं पर 205 करोड़ रुपए तथा बाढ़ नियंत्रण और समुद्र क्षरण अवरोधी योजनाओं पर 50 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए। पहले तीन वर्षों में 435.95 करोड़ रुपए बजट में आवंटित थे और 494.63 करोड़ रुपए व्यय हुए। इसमें से अधिकांश बड़ी और मंझोली सिंचाई के लिए था।
  • कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम मुख्य रूप से इस उद्देश्य से शुरू किया गया था कि अर्जित सिंचाई क्षमता और उपयोग में लाई गई क्षमता के अंतराल को कम किया जा सके। 2003 - 04 में कार्यक्रम की पुनर्रचना की गई और इसे एक नया नाम दिया गया - कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन कार्यक्रम।
  • कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम प्राधिकरण का मुख्य कार्य नालियां, नाले बनवाना और बाड़ाबंदी लागू करना है। प्राधिकरण की प्रमुख गतिविधियां 16 पूरी हो चुकी सिंचाई परियोजनओं में हुई, जैसे- 2.03 लाख हेक्टेयर के कुल क्षेत्रफल में मलमपुझा, मंगलम, पोथुंडी, वालयार, चीराकुझी, वाझानी, पीची, चालाकुडी, नैयार, गायत्री, पंपा, पेरियार घाटी, चित्तरपुझा, कुट्टीयाडी, पझाची और कांजिरपुझा। कमांड क्षेत्र विकास के कार्यक्रम भारत सरकार की वित्तीय सहायता से चलाए जाते हैं। *2004-05 की उपलब्धियों में 1998 हेक्टेयर में नहरें, 6156 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए नालियां, 10 हेक्टेयर में इस प्रणाली की परख करना तथा 2302 हेक्टेयर में 83 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। पानी को, रोके गए क्षेत्रों के पुन: उद्धार के लिए 1033 हेक्टेयर संचित जल को उपयोगी बनाया गया और 3 मूल्यांकन रिपोर्ट प्रकाशित की गईं।

बिजली

केरल में पिछले दो दशकों से विद्युत प्रणाली में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। विकास के आरंभिक चरणों में राज्य की पनबिजली क्षमता पर ध्यान केंद्रित किया गया। केरल विद्युत प्रणाली में 30 बिजली उत्पादन केंद्र है, जिनमें से 24 मेगावाट पनबिजली की, 5 तापबिजली के और 1 पवनचक्की है। इनमें से भी केरल राज्य विद्युत बोर्ड के पास 24 पनबिजली, दो तापबिजली और 1 पवनचक्की है।

31.3.05 तक केरल में कुल स्थापित क्षमता 2,671.22 मेगावाट थी, जिसमें से केरल राज्य विद्युत बोर्ड की 1,820.60 मेगावाट पनबिजली की, कोझीकोड की 2.0 मेगावाट पवन चक्की की और 234.60 मेगावाट तापबिजली संयंत्रों की थी। मलनकारा पनबिजली परियोजना 23 अक्तूबर 2005 को शुरू की गई, जिससे स्थापित क्षमता में 10.5 मेगावॉट की वृद्धि हुई।

माइक्रो-जलविद्युत कार्यक्रम के तहत बहुत छोटी पनबिजली परियोजनाओं को दो ज़िला पंचायतों-कासरगोड में कम्माडी और कोझिकोड ज़िले में चक्रकुंडु में लागू करने का काम ए.एन.ई.आर.टी. ने अपने हाथ में लिया है। यूनिडो ने बिजली प्रबंधन केंद्र में लघु पनबिजली का एक क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया है। केंद्र ने राज्य में 30 छोटी पनबिजली परियोजनाओं के बारे में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। इनमें से 13 छोटी पनबिजली परियोजनाएं प्रतिबंधित बिजली परियोजनाओं तथा स्वतंत्र बिजली परियोजनाओं के अंतर्गत निवेदकों को बूट आधार पर आवंटित की गई हैं। 100 किलोवॉट की छोटी बिजली योजनाओं में से पहली इदुक्की ज़िले के मनिकुलम में चालू हो गई है। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संसाधन आकलन के अंतर्गत अध्ययन के लिए दो क्षेत्रों - कसरगोड में पसवाई कुंब तथा इदुक्की ज़िले में कल्याणाथांडु को चुना गया है।

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के परिप्रेक्ष्य में केरल के 14 ज़िलों के 9.30 गांवों के 3578 घरों को बिजली पहुंचाने के लिए 348.79 करोड़ रुपए के परिव्यय का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रस्तुत किया गया। भारत सरकार ने पहले चरण के लिए 221.75 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी, जिसमें सात ज़िलों में बिजली पहुंचाने का काम होगा। ये ज़िले है- कसरगौड़ वायनाड, कन्नूर, कोझिकोड, मलप्पुरम, इदुक्की और पलक्कड़।

परिवहन

नाम लम्बाई (कि.मी)
एन.एच. 17 - राष्ट्रीय राजमार्ग 420.777
एन.एच. 47 - वालयार कलिमकविला 416.800
एन.एच. 47 A - वैलिंगटन द्वीप से कोच्चि बाईपास 5.920
एन.एच. 49 - बोडीमेट्टू मुवात्तपुझा कोच्चि 167.593
एन.एच. 208 - कोल्लम आयनिकवू मुवात्तपुझा 81.280
एन.एच. 212 - कोझीकोड कल्लेगड 117.600
एन.एच. 213 - कोझीकोड कलपलक्कड 125.300
एन.एच. 220 - कोल्लम कोट्टयम कुमिनी 190.300
  • केरल राज्य की यातायात प्रणाली में 1.61 लाख कि.मी. सडकें,
  • 1,148 कि.मी. रेल लाइनें,
  • 1,687 कि.मी. जलमार्ग और *18 हवाई अड्डों के 111 स्टेचू मील वायुमार्ग हैं।

केरल में सुविकसित सड़क और रेल प्रणालियाँ हैं। यह राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों से जुड़ा हुआ है। पूर्व की और पालाघाट दर्रें से होकर आने वाला रेलमार्ग राज्य में उत्तर से दक्षिण की ओर भारत के सुदूर दक्षिणी शहर कन्याकुमारी जाने वाले रेलमार्ग से मिलता है। यहाँ के तीन प्रमुख बंदरगाह-कोषिकोड, कोच्चि-एर्णाकुल और आलप्पुषा से तटीय और विदेशी जहाजों का आवागमन होता है। कोच्चि-एर्णाकुलम में एक प्रमुख पोतस्थल और तेलशोधन संयंत्र भी है और यह भारतीय तटरक्षक और नौसेना कमान का मुखयालय भी है। बंदरगाहों से भारी सामान लाने व ले जाने के लिए 1,770 किमी लंबे अंतर्देशीय जलमार्गों का इस्तेमाल होता है। तिरुवनंतपुरम में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और कोषिकोड और कोच्चि में घरेलू उड़ानों के लिए हवाई अड्डे हैं।

सड़कें

केरल देश का पहला राज्य है जहां इसके दूरदराज़ के गांवों तक शत प्रतिशत सड़कें मौजूद हैं। राज्य सड़कों की कुल लंबाई 138196.471 कि.मी. है, जिसमें से 21467.492 कि.मी. लोक निर्माण विभाग के पास, 1523.954 कि.मी. राष्ट्रीय राजमार्ग के पास और 95515.888 कि.मी. पंचायत के अधीन है।

केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग
  • केरल राज्य परिवहन परियोजना ने जून 2002 में विश्व बैंक की सहायता से 584 कि. मी. लंबी विद्यमान सड़कों को सुधारने तथा चौडा करने, 993 कि. मी. सड़कों की भारी मरम्मत करने तथा 150 कि. मी. के निष्पादन से संबंधित रखरखाव के लिए कार्यक्रम आरंभ किया है। इसमें 93 किलोमीटर लंबी अंतर्वर्ती जल नहर की योजना भी शामिल है।

रेलवे

राज्य में 1,148 किलोमीटर लंबी रेल लाइनों के अंतर्गत 13 रेलवे मार्ग हैं। बड़ी रेल लाइन 1,053.86 किलोमीटर ओर छोटी लाइन 94;14 किलोमीटर लंबी है।

उड्डयन

राज्य में तीन प्रमुख हवाई अड्डे तिरूवनंतपुरम, कोच्चि (नेदुंबसेरी) और कोझीकोड में हैं। उनमें से प्रथम दो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।

बंदरगाह

  • 585 कि. मी; लंबी तटवर्ती पंक्ति में केरल में एक बड़ा बंदगाह कोच्चि में है और 17 छोटे मध्यवर्ती बंदरगाह है।
  • प्रधानमंत्री ने 16.12.2005 को वल्लारपदम अंतर्राष्ट्रीय मालवाहक पोत टर्मिनल का शिलान्यास किया। इसके पूरा हो जाने पर कोच्चि बंदरगाह हिंद महासागर का एक विशल बंदरगाह बन जाएगा।

ऑनलाइन सरकारी ई-टैक्सी सेवा

केरल पर्यटन में अब एक और भाग जुड़ गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल सावरी नाम की ऑनलाइन ई-टैक्सी सेवा ऐप लॉन्च कर दी है, जो पूरे भारत की पहली सरकारी ऑनलाइन टैक्सी सेवा है। इससे पहले अब तक किसी भी राज्य ने इस प्रकार की पहल नहीं की थी। इस ऐप के लॉन्च इवेंट में ऑटो रिक्शा को भी मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो राज्य के श्रम विभाग द्वारा शुरू की गई नई ऑनलाइन टैक्सी हायरिंग सेवा के तहत काम करेगा। इस पहल से केरल के लोग कम पैसों में सुरक्षित तरीके से यात्रा कर सकेंगे और इससे किसी प्रकार के विवाद की भी आशंका नहीं है। इस ऑनलाइन टैक्सी सेवा से कई मोटर परिवहन कर्मचारियों को नौकरी मिल सकेगी जो ऑनलाइन टैक्सी सेवाओं के चलते बेरोजगार हो गए थे। इसके लिए केरल मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स वेलफेयर फंड बोर्ड कार्यान्वयन एजेंसी लीगल मेट्रोलॉजी, ट्रांसपोर्ट, आईटी, पुलिस आदि विभागों के सहयोग से काम करेगी।

केरल सावरी सरकार द्वारा निर्धारित दर के अलावा केवल 8 फीसदी सेवा शुल्क वसूली करेगी जो अन्य ऑनलाइन टैक्सियों में 20 से 30 फीसदी होती है। इससे जो भी राशि इकट्ठा होगी, उसे इस परियोजना में जरूरी चीजों के लिए लगाया जाएगा। केरल सावरी योजना में शामिल होने वाले सभी चालकों के लिए एक पुलिस मंजूरी प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं, इस ऐप में एक पैनिक बटन की भी सुविधा दी गई है, जिसका उपयोग किसी भी दुर्घटना या कोई अन्य खतरा महसूस होने पर किया जा सकता है। केरल सावरी योजना को पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया गया है। फिलहाल, तिरुवंतपुरम निगम सीमा में 500 ऑटो टैक्सी चालकों को इस योजना का सदस्य बनाया गया हैं, जिसके लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया है।

शिक्षा

  • केरल में अखिल भारतीय 65.38 प्रतिशत की तुलना में 90.92 प्रतिशत (2001 की जनगणना), की उच्च साक्षरता दर है। केरल में ज़िलों के बीच कोट्टायम ज़िले में 95.90 प्रतिशत की उच्चतम साक्षरता दर और पल्लकड़ में 84.31 प्रतिशत निम्नतम साक्षरता दर है। साक्षरता दरों में क्षेत्रीय और लैंगिक भेदभाव केरल में सबसे कम है।
  • ज़िला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम, सर्वशिक्षा अभियान के तहत सृजित मूल संरचना और स्थानीय सरकारों के योगदान से सुविधाओं के सुधार में योगदान मिला है।
  • केरल में सात विश्वविद्यालय और दो मानद विश्वविद्यालय हैं। पिछले 5 वर्षों में केरल में तकनीकी शिक्षा संस्थानों की संख्या में अपार वृद्धि हुई है।

प्रारम्भिक शिक्षा

  • केरल में 2005 में कुल 12650 स्कूल थे, जिनमें से 6827 लोअर प्राइमरी, 3042 अपर प्राइमरी और 2781 हाईस्कूल थे। इसके अलावा 483 सीबीएसई स्कूल, 78 आईसीएसई स्कूल, 27 केंद्रीय विद्यालय और 13 जवाहर नवोदय विद्यालय थे।
  • केरल में अनुदान प्राप्त स्कूल प्रणाली भी अभी तक विद्यमान है। कुल 12650 स्कूलों में से 7287 सहायता प्राप्त निजी स्कूल (57.60 प्रतिशत) हैं। कुल 3042 अपर प्राइमरी स्कूलों में से 31.36 प्रतिशत सरकारी, 61.47 प्रतिशत सहायता प्राप्त निजी स्कूल और 7.17 प्रतिशत गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल हैं। कुल 2781 हाईस्कूलों में से 35.78 प्रतिशत सरकारी, 51.17 प्रतिशत सहायता प्राप्त निजी तथा 13.05 प्रतिशत गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल हैं।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी शैक्षिक परियोजना सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य 2010 तक 6 से 14 साल तक के आयु-वर्ग के समस्त बच्चों को उपयोगी और प्रासंगिक मूलभूत शिक्षा प्रदान करना है।
  • 2004-05 में सरकारी और सहायता प्राप्त दोनों तरह के स्कूलों में संरक्षित अध्यापकों की संख्या 3148 थी। इसमें 524 हाईस्कूल अध्यापक, 1904 पीडी अध्यापक और 720 विशेष अध्यापक थे।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार माध्यमिक स्तर की शिक्षा को मान्यता देने के लिए राज्य में उच्चतर माध्यमिक पाठ्यक्रम शुरू किया गया। प्रथम चरण में, 1990-91 के दौरान 31 सरकारी स्कूलों का दर्जा बढ़ाकर उच्चतर माध्यमिक स्कूल बना दिया गया। 2005-06 के अकादमिक वर्ष से उच्चतर माध्यमिक स्तर पर ग्रेडिंग प्रणाली शुरू कर दी गई है।
  • अधिक कुशल और रोज़गारोन्मुख जनशक्ति तैयार करके रोज़गार के अधिकाधिक अवसर जुटाने के उद्देश्य से राज्य में व्यावसायिक उच्चतर माध्यमिक शिक्षा शुरू की गई। शुरुआत में यह पाठ्यक्रम 1983-84 में 19 सरकारी स्कूलों में शुरू किया गया। 2004-05 में स्वीकृत छात्र संख्या 26874 थी और वास्तविक छात्रों की संख्या 25382 थी।
  • केरल में राज्य के गठन के समय की तुलना में उच्च शिक्षा प्रणाली में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या के मामले में काफ़ी वृद्धि हुई है। इस प्रणाली में 7 विश्वविद्यालय और 2 मानद विद्यालय हैं। केरल के विश्वविद्यालय की आमदनी का मुख्य स्रोत राज्य सरकार से मिलने वाला योजनागत और गैर योजनागत अनुदान हैं। विश्वविद्यालय का योजनागत व्यय 2003-04 में 11014.6 लाख रूपए था जो 2004-05 में बढ़कर 12858.1 लाख रुपए हो गया।

स्वास्थ्य

  • केरल ने जन्मदर, मृत्युदर, शिशु मृत्यु दर, प्रसूति मृत्यु, जन्म पर औसत आयु तथा टीकाकरण के क्षेत्र में बहुत ही अच्छा स्वास्थ्य स्तर प्राप्त कर लिया है। केरल में प्रति हज़ार जनसंख्या पर जन्म दर 16.90, मृत्यु दर 6.40, शिशु मृत्यु दर 10, प्रसूति मृत्युदर 0.87 थी। यद्यपि केरल ने बेहतर स्वास्थ्य देखभाल संकेतक प्राप्त कर लिए हैं, फिर भी लोग संक्रामक और गैर संक्रामक दोनों तरह की बीमारियों से अस्वस्थ होते जा रहे हैं।
  • केरल की स्वास्थ प्रणाली में एलोपैथी, आयुर्वेद और होम्योपैथी शामिल हैं। इन तीनों प्रणालियों के सरकारी क्षेत्र में 2696 संस्थान हैं और 48834 बिस्तर हैं। केरल के टीकाकरण का सार्वजनिक स्तर प्राप्त कर लिया है। 2004-05 में बीसीजी की कवरेज 104.3 प्रतिशत थी। एकत्रित आंकडों के अनुसार कैंसर का इलाज कराने वाले ज्यादा लोग 55 से 64 वर्ष के आयु वर्ग के थे।

पेय जलापूर्ति

  • केरल में 2004 - 05 तक 82.59 प्रतिशत शहरी तथा 62.24 प्रतिशत ग्रामीण लोगों को नलों का पानी उपलब्ध करा दिया गया। कुल मिलाकर 67.52 प्रतिशत लोगों को पानी उपलब्ध कराया गया। जबकि 2003 - 04 में यह 65.2 प्रतिशत के लिए था। 2003-04 में ग्रामीण और शहरी लोगों को जलापूर्ति क्रमश: 60 और 80 प्रतिशत थी। 2004 - 05 में 7.43 लाख अतिरिक्त लोगों को संरक्षित जल उपलब्ध कराया गया। इसमें से 66887 (9 प्रतिशत) अनुसूचित जाति के और 8175 (1 प्रतिशत) अनुसूचित जनजाति के थे।
  • केरल जल आपूर्ति प्राधिकरण की 1 अप्रैल 2005 तक 1895 जल आपूर्ति योजनाएं कार्यरत थीं। इनमें 65 शहरी योजनाएं, 952 ग्रामीण बहु पंचायत योजनाएं और 878 ग्रामीण एकल पंचायत योजनाएं थीं। 2004-05 में 40 योजनाएं शुरू की गईं जिनमें 6 शहरी और 34 ग्रामीण थीं। केरल सरकार ने बाहरी सहायता से 2 जलापूर्ति योजनाएं शुरू की हैं, वे हैं-
  1. जेबीआईसी से सहायता प्राप्त केरल जल आपूर्ति परियोजना, और
  2. विश्व बैंक से सहायता प्राप्त केरल ग्रामीण जलापूर्ति और सफाई योजना (जलनिधि)

ग़रीबी उन्मूलन

ग़रीबी दूर करने के लिए ग़रीबी उन्मूलन कार्यक्रम बनाया गया है। केरल स्थानीय प्रशासन और राज्य ग़रीबी उन्मूलन मिशन द्वारा लागू कुटुंबश्री में भाग लेकर महत्वूपर्ण काम कर रहा है। एनएसएसओ के 55 वें चरण (1999 - 2000) के अनुसार केरल में 9.35 प्रतिशत ग़रीबी ग्रामीण इलाकों में और 20.27 प्रतिशत ग़रीबी शहरी इलाकों में है। 1999 - 2000 के आंकड़े दर्शाते हैं कि केरल में 12.72 प्रतिशत ग़रीबी थी, जब कि पूरे देश में 26.36 प्रतिशत। कुटुंबश्री प्रणाली ग़रीबी दूर करने और इसके लिए उठाए गए क़दमों की निगरानी करता है। इसी कार्यक्रम के विस्तार के रूप में आश्रय नामक कार्यक्रम केरल के एक तिहाई भाग में लागू किया गया है जो अत्यंत ग़रीब लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।

संस्कृति

केरल की संस्कृति वास्तव में भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। भारतीय उपमहाद्वीप की तरह केरल की संस्कृति का भी एक पुरातन इतिहास है जो अपने आप में महत्त्वपूर्ण होने का दावा करता है। केरल की संस्कृति भी एक समग्र और महानगरीय संस्कृति है जिसमें कई लोगों और जातियों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। केरल के लोगों के बीच समग्र और विविधतावादी सहिष्णुता और दृष्टिकोण की उदारता की भावना का उद्वव अभी है जिससे नेतृत्व संस्कृति का विकास लगातार जारी है। केरल का इतिहास सांस्कृतिक और सामाजिक संष्लेषण की एक अनोखी प्रक्रिया की रोमांटिक और आकर्षण कहानी कहता है। केरल ने हर चुनौती का माक़ूल जवाब देते हुए प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन किया है और साथ ही पुरानी परंपराओं और नए मूल्यों का मानवीय तथ्यों से संलयन किया है। भारतीय उपमहाद्वीप की तरह केरल की संस्कृति का भी एक पुरातन इतिहास है जो अपने आप में महत्त्वपूर्ण होने का दावा करता है।

केरल की संस्कृति अपनी पुरातनता, एकता, निरंतरता और सार्वभौमिकता की प्रकृति के कारण उम्र के हिसाब से माध्यम बनाए हुए है। इसके व्यापक अर्थ में यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य की आत्मा की सर्वोच्च उपलब्धियों को गले लगाती है। कुल मिलाकर यह धर्म और दर्शन, भाषा और साहित्य, कला और स्थापत्य कला, शिक्षा और सीखना और आर्थिक और सामाजिक संगठन के क्षेत्र में लोगों की समग्र उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करती है।

त्योहार

केरल में अनेक रंगारंग त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से अधिकतर त्योहार धार्मिक हैं जो हिन्दू पुराणों से प्रेरित हैं।

  • ओणम केरल का विशिष्ट त्योहार है, जो फ़सल कटाई के मौसम में मनाया जाता है। यह त्योहार खगोलशास्त्रीय नववर्ष के अवसर पर आयोजित किया जाता है।
  • केरल में नवरात्रि पर्व सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  • महाशिवरात्रि का त्योहार पेरियार नदी के तट पर भव्य तरीके से मनाया जाता है और इसकी तुलना कुम्भ मेला से की जाती है।
  • सबरीमाला के अय्यप्पा मंदिर में इसी दौरान मकरविलक्कु भी आयोजित होता है। 41 दिन के इस उत्सव में देश-विदेश के लाखों लोग सम्मिलित होते हैं।
  • वलमकली या नौका दौड़ केरल का अपने ढंग का अनोखा आयोजन है। पुन्नमदा झील में आयोजित होने वाली नेहरू ट्रॉफी नौका दौड़ को छोड़कर शेष सभी नौका दौड़ उत्सवों का कोई न कोई धार्मिक महत्व है।
  • त्रिसूर के वडक्कुमनाथ मंदिर में हर वर्ष अप्रैल में पूरम त्योहार मनाया जाता है, जिसमें सजे-धजे हाथियों की भव्य शोभायात्रा निकलती है और आतिशबाज़ी का प्रदर्शन किया जाता हैं।
  • क्रिसमस और ईस्टर ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार हैं। पुम्बा नदी के तट पर हर वर्ष मरामोन सम्मेलन होता है, जहां एशिया में ईसाइयों का सबसे बड़ा जमावड़ा लगता है।
  • मुसलमान मिलादे शरीफ, रमज़ान रोज़े, बकरीद और ईद-उल-फितर का त्योहार मनाते हैं।

पर्यटन

  • पर्यटन गतिविधियों के लिए केरल में स्थायी और सफल वृद्धि के लिए अपेक्षित वातावरण पहले से विद्यमान है। पर्यटन क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण तत्व है - प्राकृतिक सौंदर्य, सामान्य जलवायु, स्वच्छ पर्यावरण, मैत्री भाव वाले शांतिप्रिय लोग हैं जो सांस्कृतिक विविधता के प्रति बेहद सहिष्णु हैं और अनूठे पर्यावरण को निर्मित करने की क्षमता रखते हैं। केरल देश में सर्वप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। समुद्र तट, गर्म मौसम, समुद्री झीलें, पर्वतीय स्थल, जल प्रपात, वन्य जीवन, आयुर्वेद, वर्ष भर त्योहार तथा विविध पेड़ पौधे केरल को पर्यटकों के लिए एक अनूठा गंतव्य स्थल बनाते हैं।
  • पर्यटन विभाग, केरल पर्यटन विकास निगम, ज़िला पर्यटन संवर्द्धन परिषद, बेकल पर्यटन विकास निगम, स्थानीय प्रशासनों तथा निजी क्षेत्र की पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान में जो मुख्य क्षेत्र विकास के लिए देखे जा रहे है: वे हैं ग्रामीण पर्यटन, माइस पर्यटन (एम.आई.सी.ई - मीटिंग, इंसेंटिव, कन्वेंशस तथा इवेंट्स/एक्सीबीशन ट्रेड शोज़) यानी - बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां/व्यापार प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक पर्यटन, विरासत पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन तथा चिकित्सा पर्यटन।
  • थेणमाला पर्यटन सुविधा केन्द्र के साथ पर्यटन परियोजना है, जिसमें शॉप कोर्ट गार्डन, प्लाजा, पिकनिक क्षेत्र, चट्टान पर चढाई, नदी पार का मुक्त प्रेक्षागृह, रेस्तरां, झूलते पुल, कमल के तालाब, संगीतमय नृत्य, फव्वारे, शिल्पमूर्ति वाले बाग, हिरण पुनर्वास केंद्र, नौकायन, बैटरी चालित वाहन आदि हैं। वन विभाग के समन्वय से पकरूवी में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। वर्ष 2004-05 में, 104622 पर्यटक थेणमाला पर्यावरण (इको) पर्यटन स्थल देखने गए और 3563820 लाख रुपए की राजस्व प्राप्ति हुई।
  • राज्य में 2004 में विदेशी पर्यटकों से विदेशी मुद्रा में 1266.77 करोड़ रुपए की आय हुई और घरेलू पर्यटकों से 3881.92 करोड़ रुपए की आय हुई। पर्यटन से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कुल आय लगभग 6829 करोड़ रुपए हुई। पर्यटन में 8 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है और प्रतिवर्ष 500 करोड़ रुपए का निवेश किया जाता है।
केरल के पर्यटन स्थल
तिरुअनंतपुरम
पद्मनाभस्वामी मंदिर | त्रावनकोर महल | वेली टूरिस्ट विलेज | वेली झील | शंकुमुगम तट | कोवलम तट | श्रीचित्रा कला दीर्घा | कुतिरामलिका पैलेस संग्रहालय | मालाबार तट | नेपियर संग्रहालय | कनककुन्नु महल | चाचा नेहरू बाल संग्रहालय | तिरुवनंतपुरम वेधशाला | चिड़ियाघर | वाइजिनजाम | पोन्मुडि | अगस्त्यकूडम | नेय्यर वन्यजीव अभयारण्य
कन्नूर
अरक्कल महल | अरलम वन्यजीव अभयारण्य | एज़िमला | कन्नूर क़िला | थलस्सरी क़िला | पयमबल्लम बीच | मुजुपिलंगड बीच | स्नेक पार्क
कोच्चि
मत्तनचेरी | फोर्ट कोच्चि बीच | मत्तनचेरी महल
इडुक्की
तेक्केडी
कसरगोड
कपिल तट | चन्द्रगिरी क़िला | अनंतपुरा मंदिर | निलेस्वरम | मधुर सिद्धिविनायक मंदिर | कोट्टनचेरी पहाड़ियाँ | वीरमाला पहाड़ियाँ | बेकल क़िला | अजानूर | रानीपुरम | मलिक दीनार मस्जिद | बेकल तट | मलिक दीनार मस्जिद
वयनाड
मुत्तन्गा | वयनाड वन्यजीव अभयारण्य | बेगुर
मल्लपुरम
निलम्बुर
पालक्काड
नेल्लियमपती
पतनमतिट्टा
शबरीमलै | शबरीमलै मंदिर
कोट्टायम
कुमारकोम
अन्य
अल्पई | अलवई | माता अमृतानंदमयी आश्रम | अथिरापल्ली झरना
केरल के नगर
आलष्पुषा | कन्नूर | कोच्चि | त्रिशूर | कसरगोड | निलेस्वरम | कोट्टायम | तिरुअनंतपुरम | कालीकट | पालक्काड | माहि | अलेप्पि | ऐर्नाकुलम | ओत्तपालम
केरल के ऐतिहासिक स्थान
अनंतवरम | अर्नाकुलम | अलवाई | आदिचनल्लूर | क्विलन | इरेनियल | ओफीर | कंडनसेरी | कण्णनूर | पुवार | करूर | तिरुवंजिकलम | चंगनाच्चेरि | क्रंगनौर | कौराल | बेगुर | कोट्टनर | तिरुवेंची | चेट्टीकुलगराई | तिरुवांकुर | थ्रिक्ककरई | वेनाड | कायल | कोरकाई | विजिंजम | वेक्करई | बंजि | सबरीमलाई | पत्तनम | मुन्नार | मुजरिस | मालाबार | त्रावणकोर
केरल के ज़िले