अपरासरणीय सिद्धान्त के अनुसार जड़ की उपापचयी क्रियाओं में निर्माण हुए ऊर्जा के द्वारा जल सान्द्रता प्रवणता के विपरीत दिशा में अवशोषित की जाती है।

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