संकरण के लक्षण – (1) संकरण में एक परमाणु की बाह्यतम कक्षा के असमान अयुग्मित कक्षक (कभी-कभी युग्मित कक्षकों के साथ) प्रयुक्त होती हैं। (2) यह आवश्यक नहीं है कि बाह्यतम कक्षा में उपस्थित सभी अयुग्मित कक्षक, संकरण में भाग लें। इस अवस्था में अप्रयुक्त कक्षक, अंसकरित कक्षक कहलाते है, जो समान्तर अतिव्यापन द्वारा π-बन्ध बनाने में प्रयुक्त होते हैं। (3) संकरण में लगभग समान ऊर्जा के परमाणवीय कक्षक ही भाग लेते हैं। (4) बनने वाले संकरित कक्षकों की संख्या, संयोग करने वाले परमाणवीय कक्षक ही भाग लेते हैं। (5) संकरित कक्षकों की ऊर्जा व आकृति समान होती है। (6) संकरण में केवल परमाणवीय कक्षक भाग लेते हैं, इलेक्ट्रॉन नहीं।

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