अवस्था-सातत्य – जैसे-जैसे ताप क्रांतिक बिन्दु की ओर बढ़ाया जाता है, द्रवों और वाष्प के गुणधर्म समान होते जाते हैं और अंततः क्रांतिक बिन्दु पर पहुँचते-पहुँचते वे एक समान हो जाते हैं। यद्यपि सामान्यतया इस ताप पर द्रव में परिवर्तन नहीं होता किन्तु मंद संक्रमण सम्भव है।