कोणीय-संवेग-संरक्षण का सिद्धान्त के अनुसार किसी पिण्ड के कोणीय संवेग तब तक संरक्षित रहता है जब तक कि निकाय पर कोई बाह्य बल-आघूर्ण कार्य न हो। अर्थात् L = Iω = नियतांक

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