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औरंगज़ेब का जीवन परिचय - |
जन्म (Aurangzeb Born) - 3 नवम्बर, 1618 |
जन्मस्थान - गुजरात के दाहोद जिले |
मृत्यु - 3 मार्च, 1707 (88 वर्ष) |
मृत्युस्थान - अहमदनगर के पास (महाराष्ट्र) |
पूरा नाम - अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मोहम्मद औरगंजेब आलमगीर |
पिता - शाहजहाँ |
माता - मुमताज महल |
धर्म - सुन्नी इस्लाम |
गुरू - मीर मुहम्मद हकीम |
भाई - दारा शिकोह, शाह शुजा, मुराद |
बहनें - जहानारा, रोशनारा, गौहरारा |
विवाह - 18 मई, 1637 ई. |
पहली पत्नी - दिलरास बानो बेगम (रबिया बीबी) |
शासन काल - 31 जुलाई 1658 - 3 मार्च 1770 |
शासन अवधि - 50 वर्ष |
उपाधि - आलमगीर (Alamgirnama), जिन्दापीर, शाही दरवेश |
भाषा-ज्ञान - अरबी, फारसी, तुर्की भाषा का ज्ञान |
पत्नियाँ - उदैपुरी महल, बेगम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम, रबिया दुर्रानी, औरंगाबादी महल, उदयपुर महल, जैनबाङी महल, झैनाबादी महल |
पुत्र - मुहम्मद आजम शाह, मुहम्मद सुल्तान, बहादुर शाह प्रथम, सुल्तान मुहम्मद अकबर, मुहम्मद काम बख्श। |
पुत्रियाँ - जेब उन्न निसा, जीनत उन्न निसा, बद्र उन्न निसा, जब्त उन्न नीसा, मेहर उन निसा। |
प्रथम राज्याभिषेक - 31 जुलाई, 1658 ई. (दिल्ली में) |
द्वितीय राज्याभिषेक - 15 जून 1659 ई. (दिल्ली में) |
मकबरा - औरंगाबाद ज़िले के ख़ुल्दाबाद नामक शहर (महाराष्ट्र) |
औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर, 1618 को गुजरात के दाहोद जिले में हुआ था।
इनके पिता शाहजहाँ उस समय गुजरात के शासक थे। इनकी माता मुमताजमहल थी। औरंगजेब मुमताजमहल और शाहजहाँ के तीसरे पुत्र थे। 1626 में उनके पिता शाहजहाँ के असफल विद्रोह के कारण औरंगजेब और उनके भाई दारा शिकोह को उनके दादा जहाँगीर ने लाहौर दरबार में बन्धक बना दिया था।
26 फरवरी 1628 में शाहजहाँ को अधिकारिक तौर पर मुगल बादशाह घोषित किया गया और औरंगजेब अपने माता-पिता के साथ आगरा किले में लौटा गया। औरगंजेब ने आगरा में अरबी व फारसी भाषा में औपचारिक शिक्षा ली। औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा एवं अन्तिम शासक था।
एक बार 1633 में आगरा में कुछ हाथियों ने हमला कर दिया, जिससे प्रजा में भगदङ मच गई। औरंगजेब ने बङी बहादुरी के साथ अपने जान को जोखिम में डालकर इन हाथियों से मुकाबला किया। यह देख उनके पिता शाहजहाँ बहुत खुश हुए और उन्हें सोने से तौल दिया। साथ ही बहादुर की उपाधि भी दी। अपनी सूझ-बुझ से वे अपने पिता के सबसे प्रिय पुत्र बने गये।
औरंगज़ेब के पाँच बेटे थे -
औरंगज़ेब की पाँच बेटियाँ थी -
औरंगजेब को 1634 ई. में शाहजहाँ ने दक्कन का सूबेदार बनाया। 1644 ई. में औरंगजेब की एक बहन की अचानक मृत्यु हो गई, इसीलिए वे काफी दिनों तक अपने घर आगरा नहीं गये। वे कई हफ्तों के बाद आगरा गये, इसी बात से नाराज होकर शाहजहाँ ने औरंगजेब को दक्कन के सूबेदारी पद से हटा दिया। साथ ही उनके सारे राज्य-अधिकार छीन लिये गये। उनको दरबार में आने की मनाही थी।
जब शाहजहाँ का गुस्सा शांत हो गया, तो शाहजहाँ ने 1645 में औरंगजेब को गुजरात का सूबेदार बनाया दिया। यह मुगल साम्राज्य का सबसे अमीर प्रांत था। गुजरात में उन्होंने अच्छा शासन-प्रबंध किया जिसके चलते अफगानिस्तान का गवर्नर बना दिया गया। 1653 ई. में औरंगजेब एक बार फिर दक्कन के सूबेदार बने। इन्होंने अकबर द्वारा बने गये राजस्व-नियम को दक्षिण में भी लागू कर दिया। इस समय औरंगजेब के बङे भाई दाराशिकोह अपने पिता शाहजहाँ के सबसे प्रिय पुत्र थे। दोनों भाइयों की सोच विपरीत थी। इस वजह से दोनों के बीच सत्ता को लेकर लङाई होती रहती थी।
1657 ईस्वी में शाहजहाँ बहुत बीमार पङ गये। इसके चलते तीन भाईयों - दारा शिकोह, औरंगजेब और शाह शुजा के बीच उत्तराधिकार का युद्ध प्रारम्भ हो गया। तीनों भाईयों में औरंगजेब सबसे अधिक शक्तिशाली था। उन्होंने अपने भाईयों को बन्दी बना लिया और अपने वृद्ध पति शाहजहाँ को आगरा के किले में 7 साल तक बंदी बनाकर कर रखा। इस सत्ता-संघर्ष में औरंगजेब दाराशिकोह को मारकर अंतिम रूप से विजयी हुआ।
औरंगजेब शिवाजी की शक्ति को दबाना चाहता था, क्योंकि उस समय बीजापुर राज्य का स्थान नवस्थापित मराठा शक्ति ने ले लिया, जो मुगल सत्ता के लिए एक चुनौती थी। शिवाजी का पहला संघर्ष 1656 ई. मुगलों के साथ तब आरम्भ हुआ जब शिवाजी ने अहमदनगर और जुन्नार किले पर आक्रमण किया।
1660 ई. में औरंगजेब ने दक्षिण के मुगल सूबेदार शाइस्ता खाँ को शिवाजी पर आक्रमण करने के लिए भेजा। शाइस्ता खाँ ने पूना, शिवपुर और चाकन आदि किलों पर अधिकार कर लिया। शिवाजी ने 1663 ई. में पूना में स्थित शाइस्ता खाँ के महल पर रात में आक्रमण कर दिया। शाइस्ता खाँ मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागा, किन्तु उस समय उसका एक अँगूठा कट गया था।
पुरन्दर की सन्धि - Purandar Ki Sandhi
औरंगजेब ने 1665 ई. में आमेर के राजा मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी के विरुद्ध भेजा। जयसिंह ने उसे पराजित कर 22 जून, 1665 ई. को पुरन्दर की सन्धि करने के लिए विवश कर दिया। पुरन्दर की सन्धि जयसिंह की व्यक्तिगत विजय थी। उसने एक कूटनीति चाल के तहत शिवाजी से सन्धि कर ली, क्योंकि बीजापुर को जीतने के लिए शिवाजी से मैत्री करना आवश्यक था।
पुरन्दर की संधि की शर्तें -
शिवाजी की मृत्यु के बाद उसके पुत्र शम्भा जी ने मुगलों से संघर्ष जारी रखा, किन्तु असावधानी के कारण 1689 ई. में अपने मंत्री कवि कलश के साथ पकङा गया और 21 मार्च, 1689 ई. में शम्भा जी का कत्ल कर दिया गया। 1690 ई. तक मुगल साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर था, जो काबुल से लेकर चटगाँव और कश्मीर से लेकर कावेरी नदी तक फैला था।
शम्भा जी की मृत्यु के बाद उसके सौतले भाई राजाराम के नेतृत्व में मराठों का मुगलों से संघर्ष जारी रहा जो मराठा इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम के नाम से विख्यात है। औरंगजेब की यही दक्कन नीति उसके व्यक्तिगत तथा मुगल साम्राज्य दोनों के पतन का कारण बनी।
कहा जाता है कि जिस प्रकार स्पेन के नासूर ने नेपोलियन को नेस्तनाबूद कर दिया उसी प्रकार दक्कन के नासूर ने औरंगजेब को नेस्तनाबूद कर दिया।
मुगल बादशाह औरंगजेब का सिंहासनरूढ़ होना मुस्लिम धर्म विचारकों की विजय थी। उसके विचार में भारत काफिरें का देश था। अतः भारत को इस्लामिक देश में परिवर्तित करना उसके जीवन का मुख्य ध्येय था। औरंगजेब कट्टर सुन्नी मुसलमान था, तथापि वह सफल कूटनीतिज्ञ भी था। मुगल सिंहासन पर अधिकार करते ही उसने साम्राज्य के सभी बङे सरदारों को अपनी ओर मिलाने की चेष्टा की।
औरंगजेब ने अकबर द्वारा प्रारम्भ की गयी एवं जहाँगीर तथा शाहजहाँ द्वारा अनुसरण की गयी राजपूत नीति में परिवर्तन कर दिया। क्योंकि वह राजपूतों को अपनी धार्मिक नीति के कार्यान्वित होने में सबसे बङी बाधा मानता था। औरंगजेब के समय आमेर के राजा जयसिंह, मेवाङ के राजा राजसिंह और जोधपुर के राजा जसवन्त सिंह प्रमुख राजपूत राजा थे।
सामूगढ़ के युद्ध में दारा की पराजय के समाचार मिलते ही मिर्जा राजा जयसिंह औरंगजेब की सेवा में उपस्थित हो गया। जोधपुर के शासक जसंवतसिंह को भी फरमान भेजा कि वह भी दरबार में उपस्थित हो। धरमत के युद्ध में औरंगजेब का सामना करने के कारण जसवंतसिंह को शाही दरबार में उपस्थित होने में हिचकिचाहट हो रही थी लेकिन मिर्जा राजा जयसिंह के बीच-बचाव करने पर 14 अगस्त, 1658 ई. को शाही दरबार में उपस्थित होकर जसवंतसिंह ने औरंगजेब की अधीनता स्वीकार कर ली। 20 नवम्बर, 1658 ई. तक बूँदी का भावसिंह और कोटा का जगतसिंह भी औरंगजेब के शाही दरबार में पहुँच गये।
जयपुर के मिर्जा राजा जयसिंह ने दारा का पक्ष छोङने के बाद औरंगजेब की निष्ठापूर्वक सेवा की, परन्तु उसके पुत्र रामसिंह की देखरेख में आगरा में बंदी बनाकर रखे गये शिवाजी का वहाँ से भाग जाना एक ऐसी घटना थी जिससे औरंगजेब को जयसिंह तथा उसके पुत्र रामसिंह दोनों में विश्वास न रहा। उसने रामसिंह का मनसब छीन लिया और शाही दरबार से निष्कासित कर दिया तथा मिर्जा राजा जयसिंह को दक्षिण की सूबेदारी से हटा दिया। जयसिंह इस सदमे को सहन नहीं कर पाया 1667 ई. में बुरहानपुर में इसकी मृत्यु हो गई। हालांकि माना जाता है कि औरंगजेब ने उसे रास्ते में जहर दिला दिया था। अतः स्पष्ट है कि औरंगजेब के शासनकाल में राजपूत-मुगल सहयोग की बुनियाद हिलने लग गई थीं।
जसवन्त सिंह औरंगजेब के प्रति स्वामिभक्त रहा था और काबुल के प्रांतपति के रूप में उसने अफगानों के विद्रोह का दमन भी किया था। 1678 ई. में उसकी मृत्यु जमरूद नामक स्थान पर हो गई। उस समय उसका कोई वैध उत्तराधिकारी नहीं था और उस पर राजकोष का धन भी उधार था, इसलिए औरंगजेब ने अस्थाई तौर पर मारवाङ को केन्द्रीय प्रशासन के अधीन कर दिया। लेकिन जसवंत सिंह की दो रानियाँ उसकी मृत्यु के समय गर्भवती थी और दोनों ने पुत्र को जन्म दिया। इनमें एक ही बालक अजीत सिंह जीवित रहा। अब दुर्गादास के नेतृत्व में मारवाङ के राठौङ सरदारों ने अजीत सिंह को गद्दी सौंपने की माँग प्रस्तुत की। मगर औरंगजेब एक नवजात शिशु को शासक बनाने के पक्ष में शिविर से पलायन किया और जोधपुर पहुँचकर विद्रोह छेङ दिया। औरंगजेब ने विद्रोह के दमन के लिए सेना भेजी।
शाही सेना ने मंदिरों आदि को तोङा और ऐसे दमनात्मक कार्य किए जिससे राजपूतों की विरोध-भावना और भङकी। 1679 में मारवाङ के युद्ध के समय ही औरंगजेब ने जजिया पुनः लागू करने के आदेश भी दिये थे। उसने जसवंत सिंह के भाई अमर सिंह के पौत्र इन्द्र सिंह को मारवाङ का राजा घोषित कर दिया परन्तु औरंगजेब के प्रतिनिधि होने के नाते इन्द्रसिंह राजपूतों की निष्ठा प्राप्त नहीं कर सका। उसे वापस पद से हटा दिया गया। मारवाङ पर पुनः मुगलों का सैनिक नियंत्रण स्थापित हो गया। राजपूत विद्रोह ने तब और उग्र रूप धारण कर लिया जब मेवाङ के शासक राजसिंह ने अजीत सिंह की सहायता के लिए युद्ध में प्रवेश किया।
इसी समय औरंगजेब का बेटा राजकुमार अकबर, जो अजमेर का सूबेदार था, विद्रोही हो गया और राजपूतों से मिलकर औरंगजेब को सत्ता से हटाने के लिए प्रयासशील हुआ। औरंगजेब को सत्ता से हटाने के लिए प्रयासशील हुआ। औरंगजेब ने स्वयं राजपूतों के विरूद्ध कार्रवाई की। उसने अकबर और राजपूतों के बीच फूट डाल दी और राज सिंह के उत्तराधिकारी जगत सिंह के साथ संधि कर ली। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु तक राठौङों का विद्रोह चलता रहा और मारवाङ में संघर्ष की स्थिति बनी रही।
औरंगजेब की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी बहादुरशाह प्रथम ने अजीत सिंह को मारवाङ का शासक मान लिया। दोनों पक्षों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध बहाल हो गये।
औरंगजेब का उत्तराधिकारी बहादुरशाह प्रथम था।
पहला संगठित विद्रोह - गोकुल
दूसरा संगठित विद्रोह - राजाराम
औरगंजेब को कला के प्रति कोई रूचि नहीं थी, बहुत कम निर्माण कार्य करवाये।
औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण करवाया।
औरंगज़ेब ने लाहौर में जामा मस्जिद व बादशाही मस्जिद (1674 ई.) का निर्माण करवाया। इसके अलावा जहाँआरा का मकबरा, खान-ए-खाना का मकबरा (दिल्ली) भी बनवाये थे।
औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 ई. को अहमदनगर के पास (महाराष्ट्र) में हुई थी।
जवाहरलाल नेहरू ने 1946 में प्रकाशित अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में औरंगजेब को एक धर्मांन्त और पुरातनपंथी व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है।
1. औरंगजेब का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर - 3 नवम्बर, 1618
2. औरंगजेब का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर - गुजरात के दाहोद जिले
3. औरंगजेब का पूरा नाम क्या था ?
उत्तर - अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मोहम्मद औरगंजेब आलमगीर
4. औरंगजेब ने कौनसी-कौनसी उपाधियाँ धारण की थी ?
उत्तर - आलमगीर, जिन्दापीर, शाही दरवेश
5. औरंगजेब के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर - शाहजहाँ
6. औरंगजेब की माता का नाम क्या था ?
उत्तर - मुमताज महल
7. औरंगजेब का विवाह कब हुआ था?
उत्तर - 18 मई, 1637 ई.
8. औरंगजेब की पत्नी कौन थी?
उत्तर - दिलरास बानो बेगम
9. औरंगजेब के गुरू का नाम क्या था ?
उत्तर - मीर मुहम्मद हकीम
10. औरंगजेब के भाई कौन-कौन थे ?
उत्तर - दारा शिकोह, शाह शुजा, मुराद
11. औरंगजेब की दिलरास बानो बेगम के अलावा और बेगमों के नाम बताइये ?
उत्तर - उदैपुरी महल, बेगम नवाब बाई, दिलरास बानो बेगम (रबिया दुर्रानी), औरंगाबादी महल, उदयपुर महल, जैनबाङी महल, झैनाबादी महल।
12. औरंगजेब को किन-किन भाषाओं का ज्ञान था ?
उत्तर - अरबी, फारसी, तुर्की भाषा का ज्ञान
13. शाहजहाँ ने औरंगजेब को सन् 1634 में कहाँ का सूबेदार नियुक्त किया था ?
उत्तर - दक्कन का सूबेदार
14. औरगंजेब के शासनकाल का समय क्या था ?
उत्तर - 31 जुलाई 1658 से 3 मार्च 1770
15. औरंगजेब का राज्याभिषेक कितनी बार हुआ था ?
उत्तर - दो बार
16. औरंगजेब का प्रथम राज्याभिषेक कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर - 31 जुलाई 1658 ई., दिल्ली में
17. औरंगजेब का द्वितीय राज्याभिषेक कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर - 15 जून 1659 ई., दिल्ली में
18. पहला राज्याभिषेक के बाद औरंगजेब ने कौन-सा उपाधि ली ?
उत्तर - अबुल मुजफ्फर आलमगीर
19. दूसरे राज्याभिषेक के बाद औरंगजेब ने कौन-सी उपाधि धारण की थी।
उत्तर - गाजी
20. औरंगजेब ने आलमगीर की उपाधि कब धारण की ?
उत्तर - 1658
21. अकबर के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला मुगल शासक कौन था ?
उत्तर - औरंगजेब (50 वर्षों तक शासन)
22. कौन मुगल साम्राज्य का छठा एवं अन्तिम शासक था।
उत्तर - औरंगजेब
23. शाहजहाँ ने औरंगजेब को कब गुजरात का सूबेदार बनाया ?
उत्तर - 1645 ई.
24. औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को किस किले में नजरबंद किया था ?
उत्तर - आगरा का किला (7 वर्ष)
25. धरमत का युद्ध किनके बीच लङा गया ?
उत्तर - जसवंत सिंह, शाही सेना व औरगंजेब के बीच (15 अप्रैल, 1658 ई.)
26. सामूगढ़ (धौलपुर) का युद्ध कब और किसके बीच हुआ।
उत्तर - 29 मई, 1658 ई. को औरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य
27. देवराई/दौराई का युद्ध कब और किससे बीच हुआ ?
उत्तर - औरंगजेब व दाराशिकोह के मध्य (11-15 अप्रैल 1659 ई.)
28. जसवंतसिंह राठौङ की मृत्यु कब और कहाँ हुई ?
उत्तर - जामरूद (अफगानिस्तान) नामक स्थान पर 28 नवम्बर, 1678 ई. में जसंवतसिंह राठौङ की मृत्यु हुई।
29. जसवंतसिंह राठौङ की मृत्यु पर औरंगजेब ने क्या कहा था ?
उत्तर - इनकी मृत्यु पर औरंगजेब ने कहा आज कुफ्र (धर्म विरोध) का दरवाजा टूट गया है।
30. सन् 1660 में औरंगजेब ने किसे बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया था ?
उत्तर - मीर जुमला को
31. औरंगजेब ने बीजापुर को कब जीता था ?
उत्तर - 1686 ई.
32. औरंगजेब ने गोलकुण्डा पर कब विजय प्राप्त की थी?
उत्तर - 1687 ई.
33. शिवाजी का पहला संघर्ष मुगलों के साथ कब आरम्भ हुआ ?
उत्तर - शिवाजी का पहला संघर्ष मुगलों के साथ 1656 ई. में आरम्भ हुआ।
34. शिवाजी ने मुगलों के विरुद्ध किस किले पर पहला आक्रमण किया था ?
उत्तर - अहमदनगर एवं जुन्नार के किले पर
35. सन् 1663 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस मुगल सूबेदार को पराजित किया था ?
उत्तर - शाइस्ता खाँ
36. छत्रपति शिवाजी महाराज की दक्षिण में बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए औरंगजेब ने किसे भेजा था ?
उत्तर - मिर्जा राजा जयसिंह
37. जयसिंह एवं शिवाजी के मध्य पुरन्दर की संधि कब हुई ?
उत्तर - 22 जून, 1665 ई.
38. औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को कैद करके कहाँ रखा था ?
उत्तर - जयपुर भवन
39. औरंगजेब ने शिवाजी को कब बंदी बना लिया था ?
उत्तर - 22 मई, 1666 ई.
40. किस राजा ने आगरा से शिवाजी को निकालने में मदद की ?
उत्तर - मिर्जा जयसिंह के पुत्र रायसिंह ने आगरा से शिवाजी को निकालने में मदद की।
41. किस मुगल बादशाह को जिंदापीर और दरवेश के नाम से जाना जाता है ?
उत्तर - औरंगजेब
42. औरंगजेब मूलतः था ?
उत्तर - कट्टर सुन्नी मुसलमान
43. औरगंजेब ने इस्लाम के महत्त्व को समझते हुए किसको अपने शासन का आधार बनाया।
उत्तर - कुरान (शरियत) को
44. औरंगजेब की धार्मिक नीति का प्रमुख उद्देश्य क्या था ?
उत्तर - भारत को दार-उल-हर्ब (काफिरों का देश) के स्थान पर दार-उल-इस्लाम (इस्लाम का देश) बनाना था।
45. औरंगजेब ने जजिया कर पुनः कब लगाया था -
उत्तर - 1679 ई. में
46. किस मुगल शासक ने संगीत और नृत्य पर प्रतिबंध लगाया था ?
उत्तर - औरंगजेब
47. किस मुगल शासक ने हिन्दू-त्यौहारों और उत्सवों को मनाये जाने पर रोक लगा दी थी ?
उत्तर - औरंगजेब
48. औरंगजेब ने किन-किन करों को हटा दिया था ?
उत्तर - औरंगजेब ने अपने राज्याभिषेक के अवसर पर विभिन्न करों राहदारी (आन्तरिक पारगमन शुल्क), पानदारी (व्यापारिक चुंगियों), आवबावो (स्थानीय कर) तथा गैर इस्लामी करों को हटा दिया।
49. औरंगजेब कौन सा वाद्ययंत्र बजाने में निपुण था ?
उत्तर - वीणा
50. औरंगजेब ने कब सती-प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाया था ?
उत्तर - 1663 ई.
51. औरंगजेब की नीतियों का किस सिख गुरु ने विरोध किया था ?
उत्तर - सिक्खों के 9 वें गुरू गुरु तेग बहादुर सिंह ने
52. औरंगजेब ने हिन्दू मंदिरों को तोङने का आदेश कब दिया था ?
उत्तर - 1669 ई.
53. औरंगजेब ने अकबर द्वारा शुरू किए गए किस उत्सव को समाप्त कर दिया ?
उत्तर - नौरोज उत्सव तथा झरोखा दर्शन
54. औरंगजेब ने राज्य की गैर मुस्लिम जनता पर कौन-सा कर लगाया ?
उत्तर - जजिया
55. किस मुगल बादशाह के समय सर्वाधिक मनसबदार थे -
उत्तर - मुगल बादशाह औरंगजेब
56. किस मुगल बादशाह के शासनकाल में हिंदू मनसबदारों की संख्या अधिक थी ?
उत्तर - औरंगजेब के समय में कुल हिंदू मनसबदारों की संख्या 337 थी।
57. औरंगजेब ने किन-किन हिन्दू मंदिरों को तोङा था ?
उत्तर - औरंगजेब ने सम्पूर्ण भारत में हिन्दू मंदिरों को तोङा था। इनमें कुछ प्रसिद्ध मन्दिर बनारस का विश्वनाथ मंदिर, मथुरा का केशवदेव जी, वृंदावन का गोविन्ददेवजी, गुजरात का सोमनाथ मंदिर आदि प्रमुख थे।
58. किस मुगल बादशाह के शासनकाल में सर्वाधिक विद्रोह हुए थे ?
उत्तर - औरंगजेब के शासनकाल में
59. औरंगजेब के शासनकाल का पहला विद्रोह कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर - जाट विद्रोह - मथुरा में जाट नेता गोकुला के नेतृत्व में 1669 ई. में
60. गोकुला के बाद दूसरा जाट विद्रोह कब और किसने किया था ?
उत्तर - राजाराम के नेतृत्व में 1685 ई. में दूसरा जाट विद्रोह हुआ
61. किसने अकबर की हड्डियों को खोदकर निकाल कर जला दिया था ?
उत्तर - राजाराम
62. औरंगजेब के समय का एकमात्र धार्मिक विद्रोह जो अंतिम विद्रोह भी था -
उत्तर - सिक्ख विद्रोह
63. सन् 1704 गुरु गोविंद सिंह ने औरंगजेब के पास जो पत्र भेजा उसका क्या नाम था ?
उत्तर - जफरनामा
64. सतनामियों का विद्रोह कब हुआ था ?
उत्तर - 1672 ई.
65. बीबी का मकबरा का निर्माण किसने करवाया था ?
उत्तर - मुगल बादशाह औरंगजेब के पुत्र आजम शाह ने अपनी माता दिलरास बानो बेगम (रबिया दुर्रानी) की याद में
66. रबिया दुर्रानी की याद में बनवाया बीबी का मकबरा कहाँ स्थित है ?
उत्तर - औरंगाबाद के पास (महाराष्ट्र)
67. कौनसा मकबरा द्वितीय ताजमहल कहलाता है ?
उत्तर - बीबी का मकबरा
68. दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद का निर्माण किसने किया था ?
उत्तर - औरंगजेब ने
69. औरंगजेब का मकबरा कहाँ है ?
उत्तर - औरंगाबाद के जिले खुल्दाबाद (महाराष्ट्र)
70. औरंगजेब की मृत्यु कब और कहाँ पर हुई ?
उत्तर - 3 मार्च, 1707 (88 वर्ष) में अहमदनगर के पास।