औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण | Industrial Revolution in Hindi

  Last Update - 2024-01-04

औद्योगिक क्रांति एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है जिसने मानव समाज को सुधार की दिशा में मोड़ दिया। यह ऐसा काल है जब मशीनों, उद्योगों, और तकनीकी प्रगति के आविष्कार ने विश्व के निर्माण को प्रभावित किया। इस युग में, हाथ से चलने वाले औज़ारों को सुपरनैचरों और मशीनों द्वारा संचालित मशीनरी के साथ बदल दिया गया। यह सामाजिक, आर्थिक, और प्रौद्योगिकी में विपुल परिवर्तनों का कारण बना। उद्योगीकरण के कारण, उत्पादन प्रक्रिया ने वृद्धि की और आर्थिक विकास को बढ़ाया। इससे कृषि, वित्तीय सेवाएं, परिवहन, संचार और विज्ञान में विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति ने समाज को नये रूपों में संगठित किया, श्रमिक वर्ग के बारे में नये मानदंड स्थापित किए और व्यापार और व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित किया। इसका प्रभाव विश्वभर में दिखाई दिया और आज भी हमारे जीवन के हर क्षेत्र में महसूस होता है।

ब्रिटेन और बाद में यूरोप में वर्ष 1780 से 1820 के बीच हुए प्रचंड औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा वैचारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इसका प्रभाव इंग्लैण्ड तक ही सिमित नहीं रहकर यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस तरह विश्व में एक नए युग का प्राम्भ हुआ और वर्ष 1882 ई. में अर्नाल्ड टायनबी ने इसे औद्योगिक क्रान्ति की संज्ञा दी।

इस युग में जल तथा वाष्प के इंजन की शक्ति से चलित यंत्रों का आविष्कार हुआ जिसके कारण कारखानों की स्थापना होने लगी। कारखानों का निर्माण होने के कारण वस्तु -निर्माण का घरेलू तरीका शिथिल और कमजोर हो गया। इन कारखानों में मजदूरों को मजदूरी पर रखा जाता था। कारखानों की स्थापना और मजदूरों की बहुलता के कारण नए नए नगर बसने लगे। गाँव और शहरों से लोग पैसे कमाने के लिए शहरों के कारखानों में मजदूरी करने आने लगे। अधिक संख्या में कारखाने और मजदूरों की अधिक संख्यां के कारण खपत योग्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा। अधिकाधिक वस्तुओं के उत्पादन के कारण उत्पादित वस्तुओं को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने के लिए यातायात के नए और तेज गति वाले साधनों का विकास हुआ। इस औद्योगिक क्रान्ति का प्रभाव व्यापक था और सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप दूरगामी परिवर्तन हुए। 19वी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल गयी।

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण:

  1. विज्ञान और तकनीकी की प्रगति: नई औज़ारों, मशीनों, और तकनीकी आविष्कारों ने उत्पादन प्रक्रिया में बदलाव लाया।
  2. उद्योगीकरण: श्रमिकों को मशीनों द्वारा संचालित उद्योगों में काम करने की आवश्यकता पड़ी।
  3. वाणिज्यिकीकरण: व्यापार और व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि और विस्तार ने औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहित किया।
  4. वित्तीय परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति के साथ संबंधित वित्तीय बदलावों ने उद्योगों को वित्तपोषित करने में मदद की।
  5. आर्थिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति ने आर्थिक संरचना में परिवर्तन लाया और विश्वास्त्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया।
  6. जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या के वृद्धि के कारण अधिक जनशक्ति की आवश्यकता पड़ी और उद्योगों में अधिक कामगारों की जरूरत हुई।
  7. सामरिक आविष्कार: सामरिक तकनीकों और आविष्कारों ने युद्ध और सुरक्षा सेक्टर में औद्योगिक क्रांति को प्रभावित किया।
  8. कृषि क्रांति
  9. जनसंख्या विस्फोट
  10. व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति
  11. उपनिवेशों का कच्चा माल तथा बाजार
  12. पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी
  13. पुनर्जागरण काल और प्रबोधन
  14. राष्ट्रवाद
  15. कारखाना प्रणाली

औद्योगिक क्रांति प्रमुख आविष्कार:

  1. स्टीम इंजन: स्टीम इंजन का आविष्कार इंडस्ट्रियल युग की शुरुआत माना जाता है। यह ऊर्जा संचयन और यांत्रिक कार्यों को संभव बनाने में महत्वपूर्ण था।
  2. विद्युत शक्ति: विद्युत शक्ति का आविष्कार उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण मोटर और ऊर्जा स्रोत साबित हुआ। यह उद्योगों को अधिक ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम बनाया।
  3. माइक्रोस्कोप: माइक्रोस्कोप का आविष्कार वैज्ञानिक शोध और विज्ञान के क्षेत्र में गहरी जांच की संभावनाएं प्रदान किया। इससे रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान, और उद्योगिक प्रक्रियाओं में बहुतायती मानव ज्ञान प्राप्त हुआ।
  4. विद्युतीकरण: विद्युतीकरण ने उद्योगों के कार्यप्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया। यह उद्योगों को स्वचालित, सुरक्षित और उच्च क्षमता वाले बनाने में मदद करता है।
  5. संचार क्रांति: औद्योगिक क्रांति ने संचार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए। टेलीग्राफ, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन आदि के आविष्कार ने संचार को दूरसंचार की संभावनाएं प्रदान की।
  6. संशोधन और नवीनीकरण: औद्योगिक क्रांति ने वैज्ञानिक संशोधन और नवीनीकरण को बढ़ावा दिया। यह नए उत्पादों, प्रक्रियाओं, और तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  7. औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्‍लैंड में हुई।
  8. इंग्‍लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ा उद्योग से हुआ।
  9. मैनचेस्‍टर से वर्सले तक ब्रिंटले नामक इंजीनियर ने (1761 ई. में) नहर बनाई।
  10. रेल के जरिए खानों से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए भाप इंजन का इस्‍तेमाल जार्ज स्‍टीफेंसन ने किया।
  11. औद्योगिक क्रांति की दौर में इंग्‍लैंड का प्रतिद्वंदी जर्मनी था।
  12. लौह अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण इस्पात निर्माण है, इस्पात निर्माण का उदय का औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है।
  13. विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत कहा जाता है। विद्युत निर्माण का उदय का भी औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा।
  14. तेज चलने वाले शटर का आविष्‍कार जॉन (1733 ई. में) किया।
  15. स्पिनिंग म्‍यूल का आविष्‍कार क्राम्‍पटन (1776 ई.) ने किया।
  16. घोड़ा द्वारा चलाए जाने वाला करघा का आविष्‍कार कार्ट राइट ने किया।
  17. सेफ्टी लैंप का आविष्‍कार हम्‍फ्री डेवी ने (1815 ई.) में किया।

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव:

औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई। इस औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई। श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ।

  1. आर्थिक प्रगति: औद्योगिक क्रांति ने आर्थिक विकास को गति दी है। उद्योगों के विकास ने रोजगार के अवसर प्रदान किए और आय स्तर को बढ़ाया है।
  2. तकनीकी प्रगति: औद्योगिक क्रांति ने तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दिया है। नई मशीनरी, उपकरण, और प्रक्रियाओं का विकास हुआ है जो उत्पादन को अधिक सुगम और दक्ष बनाते हैं।
  3. जनसंख्या वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित किया है। औद्योगिक क्षेत्रों में अधिक रोजगार के अवसरों के कारण लोगों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं और यहां प्रवासन का आधिकारिक विस्तार हुआ है।
  4. अधिकृत और न्यायसंगत श्रम संबंध: औद्योगिक क्रांति ने श्रम संबंधों को बदला है। मशीनों के उपयोग के कारण श्रमिकों के लिए श्रम की भूमिका में परिवर्तन हुआ है और अधिकृत श्रम संबंध स्थापित हुए हैं।
  5. औद्योगिक प्रदूषण: औद्योगिक क्रांति के साथ ही औद्योगिक प्रदूषण की समस्या उभरी है। उद्योगों के प्रयोग के कारण वायु, जल, और भूमि प्रदूषण में वृद्धि हुई है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं।
  6. सामाजिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति ने सामाजिक परिवर्तन को भी प्रभावित किया है। यह सामाजिक वर्गों के बीच समानता को प्रोत्साहित करती है, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आवास के क्षेत्र में सुधारों को संभव बनाती है।

औद्योगिक क्रांति के परिणाम:

  1. आर्थिक विकास: औद्योगिक क्रांति ने आर्थिक विकास को बड़ी मात्रा में प्रोत्साहित किया है। उद्योगों की विकास ने रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं और आय स्तर को बढ़ाया है।
  2. तकनीकी प्रगति: औद्योगिक क्रांति ने तकनीकी प्रगति को तेजी से बढ़ाया है। नई मशीनरी, उपकरण, और प्रक्रियाएं विकसित हुई हैं, जो उत्पादन को आसान और दक्ष बनाती हैं।
  3. जनसंख्या वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित किया है। उद्योगों में अधिक रोजगार के अवसरों के कारण, लोगों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं और यात्रा का आधिकारिक विस्तार हुआ है।
  4. समाजिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति ने समाजिक परिवर्तन को गहरा प्रभाव दिया है। यह सामाजिक वर्गों के बीच समानता को प्रोत्साहित करती है, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आवास के क्षेत्र में सुधारों को संभव बनाती है।
  5. पर्यावरणीय प्रभाव: औद्योगिक क्रांति के साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव भी हुआ है। उद्योगों के प्रयोग के कारण वायु, जल, और भूमि प्रदूषण में वृद्धि हुई है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं।
  6. उत्पादन में असाधारण वृद्धि: कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा। इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई। वहां औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ। औद्योगिक एवं व्यापारिक निगमों का विस्तार हुआ। इन निमगों ने अपना विस्तार करने के लिए अपनी पूंजी की प्रतिभूतियां (Securities) बेचना आरंभ किया। इस तरह उत्पादन की असाधारण वृद्धि ने एक नई आर्थिक पद्धति को जन्म दिया।
  7. शहरीकरण: बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण गांवों के कुटीर उद्योगों का पतन हुआ। फलतः रोजगार का तलाश में लोग शहरों की ओर भागने लगे क्योंकि अब बड़े-बड़े उद्योग जहां स्थापित हुए थे, वहीं रोजगार की संभावनाएं थी। स्वाभाविक तौर पर शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। नए शहर अधिकतर उन औद्योगिक केन्द्रों के आप-पास विकसित हुए जो लोहे कोयले और पानी की व्यापक उपलब्धता वाले स्थानों के निकट थे। नगरों का उदय व्यापारिक केन्द्र के रूप में, उत्पादन केन्द्र, बंदरगाह नगरों के रूप में हुआ। शहरीकरण की प्रक्रिया केवल इंग्लैंड तक सीमित नहीं रही बल्कि फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली आदि में भी विस्तारित हुई। इस तरह शहर अर्थव्यवस्था के आधार बनने लगे।
  8. आर्थिक असंतुलन: औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया। विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई। औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे। आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई। औद्योगिक क्रांति के बाद राष्ट्रों की आपसी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई जिससे एक देश में घटने वाली घटना दूसरे देश को सीधे प्रभावित करने लगी। फलतः अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तेजी एवं मंदी का युग आरंभ हुआ।
  9. बैकिंग एवं मुद्रा प्रणाली का विकास: औद्योगिक क्रांति ने संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया। उद्योग एवं व्यापार में बैंक एवं मुद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। बैंकों के माध्यम से लेन-देन सुगम हुआ, चेक और ड्राफ्ट का प्रयोग बढ़ गया। मुद्रा के क्षेत्र में भी विकास हुआ। धातु के स्थान पर कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ।
  10. कुटीर उद्योगों का विनाश: औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक परिणाम था कुटीर उद्योगों का विनाश। किन्तु यहाँ समझने की बात यह है कि यह नकरात्मक परिणाम औद्योगिक देशों पर नहीं बल्कि औपनिवेशिक देशों पर पड़ा। दरअसल औद्योगिक देशों में कुटरी उद्योगों के विनाश से बेरोजगार हुए लोगों को नवीन उद्योगों के रूप में एक विकल्प प्राप्त हो गया। जबकि उपनिवेशों में इस वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई। भारत के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है।
  11. मुक्त व्यापार: औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप संरक्षणवाद के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति अपनाई गई। 1813 के चार्टर ऐक्ट के तहत इंग्लैंड ने EIC के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर मुक्त व्यापार की नीति को बढ़ावा दिया।

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम:

  1. रोजगार का विस्तार: औद्योगिक क्रांति के द्वारा नए उद्योगों का विकास हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह लोगों को रोजगार प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है और आय को बढ़ाता है।
  2. शिक्षा और ज्ञान का प्रसार: औद्योगिक क्रांति ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीकी क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित किया है। इसके परिणामस्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि हुई है और ज्ञान का प्रसार हुआ है।
  3. सामाजिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति ने सामाजिक परिवर्तन को गहरा प्रभाव दिया है। यह समाज में वर्गों के बीच समानता को प्रोत्साहित करता है, महिलाओं की स्थिति में सुधार प्रदान करता है और सामाजिक बदलावों को संभव बनाता है।
  4. शहरीकरण: औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप शहरीकरण की प्रक्रिया तेजी से बढ़ी है। उद्योगों के विकास के साथ, शहरों की आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति का विस्तार हुआ है। यह नए नगरों का निर्माण, आवास क्षेत्रों की वृद्धि, और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ जुड़ा हुआ है।
  5. मानसिकता में परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति ने मानव मानसिकता में भी परिवर्तन लाया है। यह लोगों की सोच और दृष्टिकोण में वृद्धि हुई है, उन्नति की आशा को प्रोत्साहित करता है और सामरिकता और विज्ञान के महत्व को मान्यता दिलाता है।
  6. जनसंख्या में वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को संभव बनाया। वस्तुतः कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रयोग ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कार भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न की पूर्ति करना संभव हुआ। बेहतर पोषण एवं विकसित स्वास्थ्य एवं औषधि विज्ञान के कारण नवजात शिशु एवं जीवन की औसत आयु में वृद्धि हुई। फलतः मृत्यु दर में कमी आई।
  7. नए सामाजिक वर्गों का उदय: औद्योकिग क्रांति ने मुख्य रूप से तीन नए वर्गों का जन्म दिया। प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे। द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे। तीसरा श्रमिक वर्ग जो अपने श्रम और कौशल से उत्पादन करते थे।
  8. मानवीय संबंधों में गिरावट: परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया। जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिन न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था। उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया।
  9. नैतिक मूल्यों में गिरावट: नए औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई। भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्रचार बढ़ा। अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा। इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृति फैलने लगी। उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बढ़ने से भ्रष्टाचार एवं अपराधों को बढ़ावा मिला।
  10. शहरी जीवन में गिरावट: शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतान पड़ता था। अत्यधिक जनसंख्या के कारण औद्योगिक केन्द्रों के आस-पास कच्ची बस्तियों का विस्तार होने लगा जहां गंदगी रहती थी।
  11. सांस्कृतिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ। परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ।
  12. श्रम: औद्योगिक क्रांति ने बाल-श्रम को बढ़ावा दिया और बच्चों से उनका बचपन छीन लिया। इस समस्या से आज सारा विश्व जूझ रहा है।
  13. महिला आंदोलनों का जन्म: औद्योगिक क्रांति ने कामगारों की आवश्यकता को जन्म दिया जो केवल पुरूषों से पूरा नहीं हो पा रहा था। अतः स्त्री की भागीदारी कामगार वर्ग में हुई। अब स्त्रियों की ओर से भी अधिकारों की मांगे उठने लगी, उनमें चेतना जागृत हुई।

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