पेशवा साम्राज्य

  Last Update - 2023-06-07

पेशवा साम्राज्य

बालाजी विश्वनाथ (1713-1720)

  • 1713 ई० में के शासक शाहू जी ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा की उपाधी दी थी।
  • 1720 ई० में बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के उपरान्त उनका पुत्र बाजीराव-1 पेशवा की गद्दी पर बैठा।

बाजीराव-1 (1720-1740)

  • दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव प्रथम था।
  • उसने 1737 में दिल्ली पर आक्रमण किया। इस वजह से मुगल बादशाह मोहम्मद शाह दिल्ली छोड़ने पर मजबूर हो गया। मोहम्मद शाह का दूसरा नाम रंगीला था।
  • बाजीराव ने 1728 ई० में पाल खेड़ा (नासिक) के मैदान में हैदराबाद के निजाम को पराजित किया।
  • बाजीराव, मस्तानी से अपने सम्बन्ध को लेकर प्रसिद्ध हुए थे। मस्तानी बुन्देलखण्ड के राजा छत्रसाल की पुत्री थी।
  • 1739 ई० में बाजीराव ने पुर्तगालियों से सालसीट तथा बेसिन छीन लिया था। इस विजय को बेसिन की विजय के नाम से याद किया जाता है।
  • हिन्दू पादशाही का आदर्श बाजीराव ने प्रारम्भ किया था। इसका अर्थ था भारत पर मुस्लिमों का शासन समाप्त करने के लिए सभी हिन्दू राजाओं का एक हो जाना और सम्पूर्ण भारत में हिन्दू राज्य की स्थापना करना।

बालाजी बाजीराव (1740-1761)

  • बालाजी बाजीराव को नाना साहेब के नाम से भी जाना जाता है।
  • 1749 ई० में मराठा शासक शाहू जी की मृत्यु हो गयी। उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था।
  • 1750 ई० में संगोला की संधि, राजाराम-2 तथा पेशवाओं के बीच हुई, जिसके तहत सारी अहम शक्तियां पेशवाओं के आधीन हो गयीं और राजाराम-2 नाममात्र का छत्रपति बना दिया गया।
  • बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 ई० में हुआ। जोकि अफगानी शासक अहमद शाह अब्दाली (जोकि दुर्रानी वंश का संस्थापक था) के मध्य हुआ।
  • पानीपत के इस तीसरे युद्ध में बालाजी बाजीराव व उनका बड़ा पुत्र विश्वनाथ राव मारे गए।

माधवराव-1 (1761-1772)

  • माधवराव पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद मराठा पेशवा की गद्दी पर बैठा।
  • माधवराव ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर पल रहे मुगल बादशाह शाहआलम-2 को पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठाया। मुगल बादशाह अब मराठों के पेंशन भोगी हो गए थे।
  • 1772 ई० में टीबी(छय) रोग के कारण इनकी मृत्यु हो गयी।
  • संतान न होने के कारण इनका छोटा भई नरायण राव-2 अगला पेशवा बना।

नारायण राव-2 (1772-1773)

  • पेशवा की गद्दी पाने के लिए नारायण राव-2 की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव व उसकी पत्नी ने मिलकर कर दी।

रघुनाथ राव (1773-1774)

  • कुछ अल्प समय के लिए रघुनाथ राव पेशवा तो बना, परन्तु कुछ ही समय पश्चात नारायण राव-2 की पत्नी ने अपने पुत्र को पेशवा बनाने के लिए नाना फडनवीस की सहायता से रघुनाथ राव को पद से घटा दिया।

माधवराव नारायण राव-2 (1774-1796)

  • पेशवा माधवराव की कम आयु होने के कारण मराठा राज्य की देखरेख बारह-भाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद करती थी।
  • इस परिषद के 2 मुख्य सदस्य थे महादजी सिंधिया व नाना फड़नवीस।
  • इसी के समय प्रथम आंग्ला-मराठा युद्ध हुआ (1775-1782)।
  • प्रथम आंग्ला-मराठा युद्ध का कारण रघुनाथ राव का पद से हटने के बाद ब्रिटिशरों के पास मद्द मांगने के लिए जाना था। सालाबाई की संधि से यह युद्ध समाप्त हुआ।

बाजीराव-2 (1796-1818)

  • बाजीराव-2 अंतिम पेशवा था तथा वो अंग्रेजों की सहायता प्राप्त करके पेशवा बना।
  • मराठा साम्राज्य के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था।
  • बाजीराव-2 लार्ड वैलेजली द्वारा शुरू की गयी सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा था।
  • दूसरा आंग्ला-मराठा युद्ध इसी के समय में हुआ था। यह युद्ध राजापुर घाट की संधि से समाप्त हुआ।
  • तीसरा आंग्ला-मराठा युद्ध भी इसी के कार्यकाल में हुआ था।
  • इस युद्ध के परिणाम स्वरूप पेशवा पद को ही समाप्त कर दिया गया एवं बाजीराव-2 को कानपुर के निकट बिठुर में पेंशन देकर भेज दिया गया।

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