सरोजिनी नायडू की जीवनी - Sarojini Naidu Biography |
जन्म - 13 फरवरी 1879 |
जन्म स्थान - हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) |
मृत्यु - 2 मार्च 1949 |
मृत्युस्थान - इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) |
बचपन का नाम - सरोजिनी चट्टोपाध्याय |
माता - वरदा सुंदरी देवी |
पिता - डाॅ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय (वैज्ञानिक एवं शिक्षाशास्त्री) |
शिक्षा - मद्रास विश्वविद्यालय, किंग्स काॅलेज लंदन, कैम्ब्रिज के ग्रिटन काॅलेज |
विवाह - 1898 |
पति - डाॅ. गोविन्दराजुलू नायडू (1898) |
बेटी - पद्मा नायडू, लीलामणि नायडू |
बेटे - रणधीर, निलावर, जयसूर्या नायडू, आदित्य निलावर नायडू |
पुरस्कार - केसर-ए-हिन्द (1928) |
उपनाम - भारत की कोकिला (Nightingale of India) |
अन्य नाम - नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया, भारत की बुलबुल (महात्मा गांधी द्वारा प्रदान) |
कांग्रेस की अध्यक्ष - 1925 (पहली भारतीय महिला) |
राज्यपाल - उत्तरप्रदेश, भारत 1947-1949 (स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल) |
रचनाएँ - द गोल्डन थ्रेशहोल्ड (पहला कविता संग्रह), द बर्ड ऑफ़ टाइम, द ब्रोकेन विंग्स, दमयन्ती टू नाला इन द आवर ऑफ़ एक्साइल, द इंडियन, सती, नाइटफाॅल सिटी इन हैदराबाद। |
सरोजिनी नायडू का जन्म कब हुआ - Sarojini Naidu Ka Janm Kab Hua
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को भारत के हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) में एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और माता का नाम वरदा सुंदरी देवी था। उनके पिता अपने समय के सुविख्यात वैज्ञानिक एवं संस्कृत के महान् विद्वान थे। उनके पिता ने हैदराबाद में निजाम काॅलेज की स्थापना की थी। इनकी माता कवयित्री थीं, जो बंगाली भाषा में कविताएँ लिखती थीं।
सरोजिनी नायडू अपने आठ भाई-बहनों में सबसेबङी थीं। उनका एक भाई बिरेंद्रनाथ क्रांतिकारी था और दूसरा भाई हरिंद्रनाथ एक कवि, नाटककार, और अभिनेता था। सरोजिनी नायडू (Biography of Sarojini Naidu) को बचपन से ही कविता लिखने का बहुत शौक था। सरोजिनी नायडू के पिता उसे गणितज्ञ और वैज्ञानिक बनाना चाहते थे, लेकिन सरोजिनी नायडू (Sarojni Naidu) को कविता लिखने में रुचि थी। कविता लिखने का गुण उनमें उनकी माता से आया था।
सरोजिनी नायडू की शिक्षा - Sarojini Naidu Education
सरोजिनी नायडू बचपन से ही मेधावी छात्रा थीं। सरोजिनी नायडू ने 12 वर्ष की आयु में ही मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। उनको उर्दू, तेलुगु, अंग्रेजी, हिन्दी, बंगाली, गुजराती, फारसी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने अंग्रेजी सीखी और अंग्रेजी में कविताएँ लिखना प्रारम्भ किया। 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने द लेडी ऑफ़ दि लेक नामक 1300 पदों की एक लंबी और शानदार कविता अंग्रेजी भाषा में लिखकर सबको चकित कर दिया था। उनकी कविताओं से प्रभावित होकर हैदराबाद के निजाम ने उन्हें विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दे दी।
निजाम की मदद से वर्ष 1895 में 16 वर्ष की आयु में वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड चली गई। वहाँ उन्होंने लंदन के किंग्स काॅलेज और उसके बाद कैम्ब्रिज के ग्रिटन काॅलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त कीं। इंग्लैण्ड में वे पढ़ाई के साथ-साथ अंग्रेजी में कविताएँ लिखती थी। इंग्लैण्ड में वह उनके समय के प्रसिद्ध साहित्यिक व्यक्तित्वों, जैसे आर्थर सिमोन और एडमंड गौस्सेब से मिलीं। वह गौस्सेब ही थे, जिन्होंने नायडू को आश्वस्त किया कि वह अपनी कविताओं में भारतीय कथा-वस्तु से ही जुङी रहें। इन विद्वानों द्वारा प्रोत्साहित करने के कारण सरोजिनी नायडू एक महान कवियित्री के रूप में प्रसिद्ध हुई।
सरोजिनी नायडू की उपाधियाँ - Sarojini Naidu Ke Upadhi
- सरोजिनी नायडू को कवि के रूप में महात्मा गांधी द्वारा नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया (Who is the Nightingale of India) की उपाधि दी गयी।
- सरोजिनी नायडू की खूबसूरत कविताओं एवं गीतों की वजह से उन्हें भारत की कोकिला (Bharat Kokila Sarojini Naidu in Hindi) नाम से सम्मानित किया गया।
- महात्मा गांधी द्वारा सरोजिनी नायडू को भारत की बुलबुल कहा गया।
- अंग्रेजों ने सरोजिनी नायडू को 1928 ई. में केसर-ए-हिन्द की उपाधि दी थी। इसके बाद जलियांवाला बाग हत्याकांड के कारण
- सरोजिनी नायडू ने केसर-ए-हिन्द की उपाधि अंग्रेजों को वापिस लौटा दी थी।
सरोजिनी नायडू का साहित्यिक जीवन - Sarojini Naidu Ka Sahityik Jivan
सन् 1905 में सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu in Hindi) की बुलबुले हिंद कविता प्रकाशित हुई। जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और भी ज्यादा बढ़ गई। उनका प्रसिद्ध नाटक मैहर-मुनीरफारसी भाषा में प्रकाशित हुआ। सरोजिनी नायडू जी का अपना पहला कविता संग्रह 1905 ई. में लंदन में द गोल्डन थ्रेशहोल्ड (स्वर्णिम दहलीज) प्रकाशित हुआ। इस कविता को इंग्लैण्ड के बङे-बङे अखबारों लंदन टाइम्स व द मेनचेस्टर गाड्र्यन में प्रकाशित किया गया। इसके बाद में वर्ष 1912 में द बर्ड ऑफ़ टाइम नामक कविता प्रकाशित की।
वर्ष 1917 में प्रेम के गीतों से भरपूर द ब्रोकन विंग्स नामक कविता संग्रह निकाला। इन कविताओं ने भारतीय और विदेशी पाठकों को बहुत आकर्षित किया। वह अपनी कविताएँ अंग्रेजी में लिखती थी लेकिन उन कविताओं में भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक भी दिखाई देती थी। वह बहुत ही सुंदर कविताएँ लिखा करती थी, जिसे लोग गाने के रूप में इस्तेमाल करते थे।
कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने काफी निबंध भी लिखती थी, उन्होंने राजनीतिक विचारों पर आधारित वर्ड्स ऑफ़ फ्रीडम नामक निबंध लिखा था। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर आधारित दी फेदर ऑफ़ दी डाॅन नामक निबंध भी लिखा था, जिसे उनकी बेटी पद्मा नायडू ने बाद में 1961 में प्रकाशित करवाया था। भारतीय संस्कृति पर आधारित द इंडियन वीवर्स1971 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1937 में भारतीय गीतों पर आधारित अंतिम कविता-संग्रहद सेपट्रेंड फ्लूट प्रकाशित हुई।
सरोजिनी नायडू की रचनाएँ - Sarojini Naidu Books
- द गोल्डन थ्रेशहोल्ड (पहला कविता संग्रह)
- द बर्ड ऑफ़ टाइम
- द ब्रोकेन विंग्स
- द जादूगर मास्क और ए ट्रेजरी
- द मैजिक ट्री एंड द गिफ्ट ऑफ़ इंडिया
- दमयन्ती टू नाला इन द आवर ऑफ़ एक्साइल
- द इंडियन
- सती
- नाइटफाॅल सिटी इन हैदराबाद
- डेथ एंड दी स्प्रिंग
- दी ब्रोकन विंग: सोंग ऑफ़ लव
- दी सेप्ट्रेड फ्लूट: सोंग्स ऑफ़ इंडिया
- इलाहाबाद: किताबिस्तान
- डेथ एंड स्प्रिंग
- दी मैजिक ट्री एंड दी विजार्ड मास्क
- ब्रोकन विंग खरीदें (1917)
- मुहम्मद जिन्ना: अन एम्बेसडर ऑफ़ यूनिटी
- दी इंडियन वीवर्स
- फीस्ट ऑफ़ यूथ
- भाषण और लेखन (1919)
- भारत के राजदंड बांसुरी गीत
- द विलेज साॅन्ग (1912)
- प्रकृति के गीत
- एक राष्ट्र के विचार।
जब उत्पीङन होता है, तो केवल आत्म-सम्मान की बात उठती है और कहते है कि यह आज खत्म हो जाएगा, क्योंकि मेरा अधिकार न्याय है। - सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू का विवाह कब हुआ - Sarojini Naidu Ka Vivah Kab Hua
सरोजिनी नायडू जब इंग्लैण्ड में फिजिशियन की पढ़ाई कर रही थी, तभी उनकी मुलाकात गोविंद राजुलू नायडू से हुई। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1898 में इंग्लैण्ड से भारत वापिस लौटीं। उसके बाद सरोजिनी (Sarojini) ने अपनी पिता से अनुमति लेकर 19 वर्ष की आयु में 1898 में डाॅक्टर गोविन्दराजुलू नायडू के साथ विवाह कर लिया। ब्राह्मण मैरिज एक्ट (1872) के तहत मद्रास में उनका विवाह हुआ था। गोंविदराजुलू नायडू गैर-ब्राह्मण तथा पेशे से डाॅक्टर थे। उन्होंने अन्तर्जातीय विवाह किया था, जो उस समय भारतीय समाज में मान्य नहीं था।
उनके पति तमिल परिवार के थे। इसलिए विवाह से पूर्व इनका नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय था, लेकिन विवाह के बाद इनका नाम सरोजिनी नायडू हो गया था। यह एक तरह का क्रांतिकारी कदम था, उन्हें काफी संघर्ष करना पङा था लेकिन पिता ने उनका पूरा सहयोग किया था। उनका वैवाहिक जीवन काफी खुशहाल रहा। उन्होंने अपना वैवाहिक जीवन हैदराबाद में बिताया।
सरोजिनी नायडू के पाँच बच्चे थे, उनके दो बेटी थीं - पद्मा नायडू, लीलामणि नायडू और चार बेटे थें-रणधीर नायडू, निलावर नायडू, जयसूर्या नायडू। उनकी बेटी पद्मा नायडू सरोजिनी नायडू की तरह कवयित्री बनी और साथ ही साथ राजनीति में उतरी और 1961 में पश्चिम बंगाल की राज्यपाल भी बनी।
”हम गहरी सच्चाई का मकसद चाहते हैं, भाषण में अधिक से अधिक साहस और कार्यवाही में ईमानदारी।” - सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान - Sarojini Naidu Ka Swatantrata Mein Yogdan
सरोजिनी नायडू (Freedom Fighters Sarojini Naidu) एक महान् कवयित्री तथा भारतीय स्वतंत्रता क्रांतिकारी भी थी। सन् 1902 में सरोजिनी नायडू की मुलाकात भारत क महान् स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले जी से हुई। उनसे प्रभावित होकर सरोजिनी नायडू ने राजनीति में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
”सरोजिनी नायडू ने गोपाल कृष्ण गोखले से कहा - देश को गुलामी की जंजीरों में जकङा देखकर कोई भी ईमानदार व्यक्ति बैठकर केवल गीत नहीं गुनगुना सकता। कवियित्री होने की सार्थकता इसी में है कि संकट की घङी में, निराशा और पराजय के क्षणों में आशा का सन्देश दे सकूँ।
गोपाल कृष्ण गोखले को वो अपना राजनीतिक पिता थी। उन्होंने सरोजिनी नायडू को क्रांतिकारी कविताएँ लिखने के लिए कहा। गोपाल कृष्ण गोखले ने सरोजिनी नायडू को कविताओं में क्रांतिकारी स्वभाव लाने को कहा और सुन्दर शब्दों में स्वतंत्रता की लङाई में साथ देने के लिए छोटे छोटे गाँव के लोगों को प्रोत्साहित करने को कहा। गोपाल कृष्ण गोखले की सोच से प्रभावित होकर सरोजिनी नायडू ने स्वयं को राजनीति के प्रति समर्पित कर दिया।
वर्ष 1905 - बंगाल के विभाजन (1905) के समय भी सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu History in Hindi) भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुई थीं। इस 1905 में हुए बंगाल विभाजन से सरोजिनी काफी आहत हुई और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का फैसला लिया।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उनकी कई लोगों से मुलाकात हुई थी -
- गोपाल कृष्ण गोखले
- एनी बेसेंट
- रवींद्रनाथ टैगोर
- गांधीजी
- जवाहरलाल नेहरू
- मोहम्मद अली जिन्ना।
सरोजिनी नायडू की उपलब्धियां - Sarojini Naidu Achievements
वर्ष 1914 - लंदन में 1914 को सरोजिनी नायडू पहली बार महात्मा गाँधी से मिली। गाँधीजी के व्यक्तित्व ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और गांधीजी ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। अब सरोजिनी नायडू ने अपनी पूरी ताकत भारत देश को आजाद करवाने में लगा दी। देश की राजनीति में सक्रिय होने के पहले वह दक्षिण अफ्रीका में गाँधी के साथ काम कर चुकी थी। महात्मा गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में चले रहे गोरे और काले के बीच के मतभेदों को मिटाया। दक्षिण अफ्रीका में चल रहे गांधी जी के आन्दोलन में उन्होंने एक स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया।
वर्ष 1917 - भारत में 1917 में कई कुप्रथाएँ प्रचलन में थी जिस कारण महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पङता था। तब सरोजिनी नायडू ने भारतीय महिला संघ की स्थापना करके भारतीय महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की।
वर्ष 1919 - सन् 1919 में जब प्रथम सत्याग्रह संग्राम का प्रतिज्ञा-पत्र तैयार किया गया तो उसमें उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया। 1919 में गांधीजी द्वारा रोलेक्ट एक्ट के विरोध में असहयोग आन्दोलन चला था, उसमें भी सरोजिनी नायडू ने गांधीजी का साथ दिया था। सन् 1922 ई. में गांधीजी पर मुकदमा चला और उन्हें 6 वर्ष की सजा हो गई। इस समय सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu Information) ने खादर वस्त्र धारण किया और देश के कोने-कोने में सत्याग्रह संग्राम का संदेश पहुँचाने के कार्य में लग गई। सरोजिनी नायडू गांधीजी को अपना आदर्श मानती थी। उन्होंने महात्मा गाँधी के साथ कई राष्ट्रीय आंदोलनों में हिस्सा लिया। वह गांधीजी को मिकी माउस कहकर पुकारती थी।
वर्ष 1930 - नमक कानून तोङने के लिए 1930 में महात्मा गाँधी के साथ सरोजिनी नायडू ने डांडी यात्रा की। 21 मई 1930 को नमक कानून तोङने के अपराध में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोङो आंदोलन में गाँधीजी के साथ हिस्सा लिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सरोजिनी नायडू गांधीजी के साथ जेल भी गई थी।
वर्ष 1931 - द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) में भी सरोजिनी नायडू मदन मोहन मालवीय तथा गांधीजी के साथ लंदन गई थी। 20 मई 1932 को अपना गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।
वर्ष 1942 - 1942 में गांधी द्वारा चलाये गये भारत छोङो आन्दोलन में भी सरोजिनी नायडू शामिल हुई। उन्हें भारत छोङो आंदोलन के दौरान 21 महीने के लिए जेल जाना पङा था। सरोजिनी नायडू को गांधीजी के साथ ही आगा खां महल में सजा दी गई। लगभग 2 साल बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। इस समय कवियित्री होने के साथ-साथ स्वतन्त्रता संग्राम के उच्च कोटि की नेता भी थी।
सन् 1916 ई. में उनकी भेंट जवाहरलाल नेहरू से हुई। उन्होंने अपनी कविताओं द्वारा देशवासियों को स्वतन्त्रता के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। सरोजिनी नायडू के भाषण (Sarojini Naidu Speech) को सुनकर लोगों में देशप्रेम की भावना जागृति होती थी, वे पूरी तरह से देशहित में लग जाती थी। अपने भाषण द्वारा उन्होंने युवाओं को देश के प्रति कर्त्तव्यों का बोध करवाया। उन्होंने देशभर में भ्रमण करके चारों तरफ स्वाधीनता का सन्देश फैलाया। अब इनका अधिकतर समय राजनीतिक कार्यों में व्यतीत होने लगा, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के कारण उनका कविता-लेखन का कार्य धीमा पङ गया। अब सरोजिनी नायडू एक बङे नेता के रूप में सामने आई। सरोजिनी जी ने भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई।
सरोजिनी नायडू की विचारधारा - Sarojini Naidu Ki Vichardhara
सरोजिनी नायडू ने पर्दा-प्रथा पर प्रहार, हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल और स्वदेशी की भावना का प्रचार आदि मुद्दों को लेकर देश के विभिन्न भागों में जागृति का संदेश लेकर गई। उन्होंने अशिक्षा, अज्ञानता और अन्धविश्वास आदि कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया। उनका कहना था कि देश की उन्नति के लिए रूढ़ियों, परम्पराओं, रीति-रिवाजों के बोझ को उतार फेंकना होगा।
सरोजिनी नायडू द्वारा महिलाओं को प्रोत्साहन देना
- सरोजिनी नायडू ने महिलाओं को भी देश को आजाद करवाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं में भी क्रांतिकारी भावनाओं को उजागर किया।
- उस समय महिलाओं की स्थिति काफी पिछङी हुई थी लेकिन सरोजिनी नायडू ने उन्हें घर की चार दीवारी से बाहर निकालकर देश की स्वतंत्रता की लङाई में भागीदारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
- महिला सशक्तिकरण के लिए महिला मुक्ति और महिला शिक्षा आंदोलन शुरू किया और वे अखिल भारतीय महिला परिषद की सदस्य बनी।
- उन्होंने महिलाओं को जागरूक किया था और महिलाओं को अनेक अधिकार दिलाए।
- सरोजिनी नायडू ने वर्ष 1918 के बाॅम्बे प्रेसीडेंसी वूमन ऐसोसियेशन तथा कर्वे द्वारा स्थापित महिला यूनिवर्सिटी द्वारा स्त्री जागृति पर भी काम किया।
यदि आप मजबूत है, तो आपको कमजोर लङके या लङकी को खेलने और काम में दोनों में इनकी मदद करनी होगी। - सरोजिनी नायडू
कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष - Kaangres Kee Pahalee Bhaarateey Mahila Adhyaksh
- सरोजिनी नायडू वर्ष 1925 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की अध्यक्ष चुनी गई। सरोजिनी नायडू कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष थीं।
- इनका स्वागत करते हुए गांधीजी ने कहा था पहली बार एक भारतीय महिला को सबसे बङी सौगात मिली है।
स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल - Sarojini Naidu Governor
- 15 अगस्त 1947 को भारत देश अंग्रेजों से स्वतन्त्र हुआ, तो सरोजिनी नायडू को वर्ष 1947 में उत्तरप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने यह पद स्वीकार करते हुए कहा कि मैं खुद को एक जंगल के पक्षी की तरह कैद कर दिए गया महसूस कर रही हूँ।
- तब पंडित जवाहरलाल नेहरू के कहने पर उन्होंने यह पद स्वीकार कर लिया, क्योंकि वह जवाहरलाल नेहरू की इच्छा को टाल ना सकी और उनका उनके प्रति प्रेम और स्नेह था।
- जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर सरोजिनी नायडू उत्तरप्रदेश (संयुक्त प्रांत) राज्य की राज्यपाल बनीं। वे स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं।
- वह राज्यपाल के पद पर 1949 ई. तक रही।
सरोजिनी नायडू की मृत्यु कब हुई - Sarojini Naidu Ki Mrityu Kab Hui
- सरोजिनी नायडू की मृत्यु 2 मार्च 1949 को दिल का दौरा पङने से लखनऊ (उनके कार्यालय में) में ही हुई थी। उनकी मृत्यु 70 वर्ष की उम्र में हुई।
- 13 फरवरी 1964 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में 15 पैसे का डाक टिकट जारी किया था।
राष्ट्रीय महिला दिवस -
सरोजिनी नायडू की 135वीं जयंती के अवसर पर, यानी 13 फरवरी 2014 को भारत में ‘राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई। क्योंकि वह महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत थीं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था और एक क्रांतिकारी की तरह वह अंग्रेजों से लङी थी। वह एक महान् कवियित्री भी थी, उन्होंने अपने ओजस्वी कविताओं और गीतों से देशवासियों के दिलों में देशभक्ति और आजादी की भावनाएँ भर दी थी। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के माध्यम से की नारी-मुक्ति एवं नारी-शिक्षा का प्रयास भी किया था। सरोजिनी नायडू (About Sarojini Naidu) के इन कार्यों को देखकर हम कह सकते है कि वह भारत की महिलाओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
-एक देश की महानता, बलिदान और प्रेम
उस देश के आदर्शों पर निहित करता है।
सरोजिनी नायडू से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न - Sarojini Naidu Question and Answer
1. सरोजिनी नायडू का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर - 13 फरवरी 1879, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश)
2. सरोजिनी नायडू के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर - डाॅ. अघोरनाथ चट्टोपाध्याय (वैज्ञानिक एवं शिक्षाशास्त्री)
3. सरोजिनी नायडू की माता का नाम क्या था ?
उत्तर - वरदा सुंदरी देवी
4. सरोजिनी के बचपन का नाम (विवाह के पूर्व) क्या था ?
उत्तर - सरोजिनी चटोपाध्याय
5. सरोजिनी नायडू को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर - भारत की कोकिला, भारत की बुलबुल, नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया
6. सरोजिनी नायडू के पिता उसे क्या बनाना चाहते थे ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू के पिता उसे गणितज्ञ और वैज्ञानिक बनाना चाहते थे, लेकिन सरोजिनी नायडू को कविता लिखने में रुचि थी।
7. सरोजिनी नायडू ने 13 वर्ष की आयु में कौन सी कविता लिखी ?
उत्तर - द लेडी ऑफ़ लेक (1300 पदों-अंग्रेजी भाषा)
8. सरोजिनी नायडू की कविता से प्रभावित होकर किसने उन्हें विदेश में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति दी थी ?
उत्तर - हैदराबाद के निजाम ने
9. सरोजिनी नायडू ने अपनी उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त कीं?
उत्तर - निजाम की मदद से वर्ष 1895 में 16 वर्ष की आयु में वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड चली गई। वहाँ उन्होंने लंदन के किंग्स काॅलेज और उसके बाद कैम्ब्रिज के ग्रिटन काॅलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त कीं।
10. किन विद्वानों ने सरोजिनी नायडू को महान् कवियित्री बना दिया ?
उत्तर - इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध साहित्यकार आर्थर सिमोन और एडमंड गौस्सेब (भारतीय कथा-वस्तु का विचार देने वाले)।
11. भारत कोकिला कौन कहलाती है ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू
12. सरोजिनी नायडू का मैहर मुनीर नाटक कौन सी भाषा में है ?
उत्तर - फारसी भाषा में
13. महात्मा गांधी ने सरोजिनी नायडू को कौनसी उपाधि दी ?
उत्तर - नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया, भारत की बुलबुल
14. सरोजिनी नायडू गांधीजी किन नाम से पुकारती थी ?
उत्तर - मिकी माउस
15. सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला क्यों कहा जाता है ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू की खूबसूरत कविताओं एवं गीतों की वजह से उन्हें भारत की कोकिला नाम से सम्मानित किया गया।
16. सरोजिनी नायडू को किन-किन भाषाओं का ज्ञान था ?
उत्तर - उर्दू, तेलुगु, अंग्रेजी, हिन्दी, बंगाली, गुजराती, फारसी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
17. सरोजिनी नायडू का पहला कविता संग्रह कौन-सा था ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू जी का अपना पहला कविता संग्रह 1905 ई. में लंदन में द गोल्डन थ्रेशहोल्ड (स्वर्णिम दहलीज) प्रकाशित हुआ।
18. सरोजिनी नायडू का अन्तिम कविता-संग्रह कौन-सा प्रकाशित हुआ ?
उत्तर - वर्ष 1937 में भारतीय गीतों पर आधारित अंतिम कविता-संग्रह द सेपट्रेंड फ्लूट प्रकाशित हुआ।
19. सरोजिनी नायडू का विवाह कब व किसके साथ हुआ?
उत्तर - 1898 ई. में डाॅक्टर गोविन्दराजुलू नायडू के साथ
20. सरोजिनी नायडू का विवाह कहाँ हुआ था ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू का विवाह ब्राह्मण मैरिज एक्ट (1872) के तहत मद्रास में हुआ था।
21. विवाह के बाद सरोजिनी का नाम क्या हो गया था ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू
22. सरोजिनी नायडू के कितने बच्चे थे ?
उत्तर - 5 बच्चे
23. सरोजिनी नायडू की कौनसी पुत्री राजनीति क्षेत्र में राज्यपाल बनी थी ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू की बेटी पद्मा नायडू सरोजिनी नायडू की तरह कवयित्री बनी और साथ ही साथ राजनीति में उतरी और 1961 में पश्चिम बंगाल की राज्यपाल भी बनी।
24. सरोजिनी नायडू पहली बार महात्मा गांधी से कब मिली थी ?
उत्तर - 1914 (दक्षिण अफ्रीका)
25. सरोजिनी नायडू किसे अपना राजनीतिक पिता मानती थी ?
उत्तर - गोपालकृष्ण गोखले
26. सरोजिनी नायडू की गोपाल कृष्ण गोखले ने मुलाकात कब हुई ?
उत्तर - 1902
27. किस घटना से आहत होकर सरोजिनी नायडू भारतीय स्वतऩ्त्रता संग्राम में शामिल हो गई ?
उत्तर - 1905 के बंगाल विभाजन से
28. भारतीय महिला संघ की स्थापना किसने की ?
उत्तर - सरोजनी नायडू ने 1917 में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थापना की।
29. सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांगे्रस की अध्यक्ष कब बनी थी ?
उत्तर - 1925
30. कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष कौन थी ?
उत्तर - सरोजिनी नायडू
31. ब्रिटिश सरकार ने सरोजिनी नायडू को केसर-ए-हिन्द से कब सम्मानित किया ?
उत्तर - 1928 (अंग्रेजों द्वारा)
32. स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल कौन थी?
उत्तर - सरोजिनी नायडू
33. सरोजिनी नायडू किस राज्य की राज्यपाल बनीं ?
उत्तर - उत्तरप्रदेश राज्य की 1947-1949
34. सरोजिनी नायडू की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी ?
उत्तर - 2 मार्च 1949 को लखनऊ में दिल का दौरा पङने से।
35. राष्ट्रीय महिला दिवस कब एवं क्यों मनाया जाता है ?
उत्तर - भारत में 13 फरवरी को सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।