शिशुनाग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची:शिशुनाग वंश का इतिहास: शिशुनाग वंश भारतीय इतिहास (मगध राज्य-दक्षिण बिहार) का एक प्राचीन राजवंश था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है, जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा। शिशुनाग वंश का शासनकाल बिम्बिसार और अजातशत्रु के बाद का था। शिशुनाग वंश का शासन काल लगभग 412 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व के मध्य तक का है। शिशुनाग वंश के राजाओं ने मगध को प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर को राजधानी बनाया और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया था। शिशुनाग वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
- शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग के प्रतिनिधि थे।
- महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा के वेश्या पत्नी से उत्पन्न पुत्र था।
- पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था।
- शिशुनाग वंश बुद्ध के समकालीन है।
- शिशुनाग वंश का शासनकाल बिम्बिसार और अजातशत्रु के बाद का था।
- शिशुनाग वंश का शासन काल लगभग पाँचवीं ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है।
- शिशुनाग वंश के राजाओं ने मगध को प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर को राजधानी बनाया और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया था।
- शिशुनाग ने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति पर वहां के शासक अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और उसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
- इस प्रकार मगध की सीमा पश्चिम मालवा तक फैल गई। तदुपरान्त उसने वत्स को मगध में मिलाया।
- वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से, पाटलिपुत्र के लिए पश्चिमी देशों से, व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।
- इस वंश के राजा मगध की प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर से जुड़े और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया।
- शिशुनाग का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह मगध साम्राज्य के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
- उसने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में अवंति (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया।
- शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी बौद्ध परिषद की बैठक और पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।
- शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी मगध के मौर्य वंश से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है।
- पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।
- माना जाता है कि नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद द्वारा कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया।