राज्यपाल
- राज्य की कार्यपालिका का प्रधान राज्यपाल होता है।
- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्षों के लिए की जाती है, किंतु वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है।
- वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तथा उसके परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। वह महाधिवक्ता तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है।
- उसे राज्य व्यवस्थापिका का अधिवेशन बुलाने, स्थगित करने तथा व्यवस्थापिका के निम्न सदन ‘विधानसभा’ को भंग करने की शक्ति है।
- यदि राज्य के विधानमंडल का अधिवेशन नहीं चल रहा हो, तो राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है।
- यदि राज्य का प्रशासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चल रहा हो तो वह राष्ट्रपति को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के संबंध में सूचना देता है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है।
मुख्यमंत्री
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। सामान्यतया विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है।
- वर्तमान समय में विधानपरिषद भारतीय संघ के केवल 7 राज्यों; उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना में है।
- विधान परिषद एक स्थाई सदन है।
- विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है।
- प्रत्येक 2 वर्ष पर एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्यों का निर्वाचन होता है।
- संविधान में यह व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक राज्य की विधान परिषद में सदस्यों की संख्या उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होगी, किंतु साथ ही यह संख्या 40 से कम नहीं हो सकती।
- 36 सदस्यों वाली जम्मू कश्मीर की विधान परिषद इस नियम का अपवाद है।
विधान परिषद
विधान परिषद के गठन के लिए निम्न पांच आधारों का सहारा लिया जाता है।
- ⅓ सदस्य राज्य के स्थानीय संस्थाओं द्वारा चुने जाते हैं।
- ⅓ सदस्य राज्य की विधान सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं ।
- 1/12 सदस्य राज्य के पंजीकृत स्नातकों द्वारा निर्वाचित होते हैं।
- 1/12 सदस्य राज्य के ऐसे अध्यापकों द्वारा निर्वाचित होते हैं, जो माध्यमिक पाठशाला या इससे उच्च शिक्षण संस्था में कम से कम 3 वर्ष से अध्यापन कार्य कर रहे हो।
- ⅙ सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। राज्यपाल द्वारा मनोनयन उन व्यक्तियों में से किया जाता है जिनका साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारिता और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान हो।
विधानसभा
- विधानसभा राज्य के विधानमंडल का निम्न सदन है।
- विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रुप से राज्य के मतदाताओं द्वारा होता है।
- राज्य की विधान सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 600 होती है।
- साधारण अवस्था में राज्य विधानसभा का कार्यकाल उस की पहली बैठक से 5 वर्ष का होता है, किंतु राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के परामर्श पर, इसे समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
पंचायती राज
- ब्रिटिश शासन के दौरान 1882 ई. में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था।
- संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है।
- 1958 ई. में राष्ट्रीय विकास परिषद ने बलवंत राय मेहता समिति की लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए इसे क्रियान्वित करने के लिए कहा।
- 2 अक्टूबर, 1959 ई. को पंडित जवाहरलाल नेहरु ने राजस्थान के नागौर में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की योजना को प्रारंभ किया। इसे पंचायती राज कहा गया।
- राजस्थान प्रथम राज्य है जहां सर्वप्रथम संपूर्ण राज्य में पंचायती राज की स्थापना की गई।
- जनता पार्टी में पंचायत राज में सुधार के लिए अशोक मेहता समिति गठित की, जिसने द्विस्तरीय पंचायत संगठन की संस्तुति की। इससे पूर्व त्रिस्तरीय संगठन अस्तित्व में था। इस समिति की प्रस्तुतियां लागू नहीं हुई।
- 73वां संविधान संशोधन पंचायती राज के लिए तथा 74वां संविधान संशोधन नगर निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए किया गया।