वे अपनी आर्थिक गतिविधियों का निर्वघ्न रूप से अनुसरण करते हुए धर्मपालन भी करते थे
वैदिक कर्मकाण्ड और यज्ञ व्यापार एवं वाणिज्य में बाधक थे
जैन धर्म की शान्ति और अहिंसा के सिद्धान्त व्यापार और वाणिज्य के विकास में सहायक थे
जैन धर्म के कर्म -सिद्धान्त का वणिकों और व्यापारियों पर अत्यधिक अनुकूल प्रभाव पड़ा