• रत्न

  • निर्वाण

  • कैवल्य

  • जिन


विवेक उत्पन्न होने पर औपाधिक दुख सुखादि - अहंकार, प्रारब्ध, कर्म और संस्कार के लोप हो जाने से आत्मा के चितस्वरूप होकर आवागमन से मुक्त हो जाने की स्थिति को कैवल्य कहते हैं।