स्थलबाहु के नेतृत्व में दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार हुआ
पाटलिपुत्र में हुई परिषद् के पश्चात् जो जैन धर्म के लोग भद्रबाहु के नेतृत्व में रहे , वे श्वेताम्बर कहलाए
प्रथम शतक ई. पू. में जैन धर्म को कलिंग के राजा खारवेल का समर्थन मिला
बौद्धों के विपरित जैन धर्म की प्रारम्भिक अवस्था में जैन धर्म के लोग चित्रों का पूजन करते थे