• स्थूलभद्र

  • भद्रबाहु

  • कालकाचार्य

  • देवर्षि क्षमाश्रमण


आचार्य भद्रबाहु प्रथम (पंचम श्रुतकेवली) के शिष्य थे। 12 वर्षीय दुर्भिक्ष के अवसर पर आपने उनकी बात को अस्वीकार करके दक्षिण की ओर विहार न किया और उज्जैनी में ही रह गये। दुर्भिक्ष आने पर उनके संघ में शिथिलाचार आया और वे अर्ध फालक (देखें श्वेतांबर ) बन गये। भद्रबाहु स्वामी की दक्षिण में समाधि हो गयी, परंतु दुर्भिक्ष के समाप्त होने पर उनके शिष्य विशाखत्त्चार्य आदि लौटकर पुन: उज्जैनी में आये। उस समय आप (स्थूल भद्र) ने अपने संघ को शिथिलाचार छोड़ पुन: शुद्धाचरण अपनाने को कहा। इस पर संघ ने रुष्ट होकर इन्हें जान से मार दिया। ये एक व्यंतर बनकर संघ पर उपद्रव करने लगे। जिसे शांत करने के लिए संघ ने कुलदेवता के रूप में इनकी पूजा करनी प्रारंभ कर दी। इनके अपर नाम स्थूलाचार्य व रामल्य भी थे। इस कथा के अनुसार इनका समय भद्रबाहु तृतीय से लेकर विशाखाचार्य के कुछ काल पश्चात् तक वी.नि.133-167 (ई.पू.394-360) आता है।

जैन साहित्य का संकलन किस भाषा व् लिपि में है?

जैन साहित्य को इस नाम से भी जाना जाता है?

जैन सूत्र में कितनी लिपियों का उल्लेख है?

जैनधर्म के क्रमिक पतन के कारणों में निम्न में कौन-सा उत्तरदायी कारण नहीं था?

जैनागम में कहा गया है कि वस्तु का स्वभाव ही उसका धर्महै, जिसे निश्चयनय कहा है; इसके साथ ही तीन रत्न भी बताए गए हैं | यह तीन रत्न हैंः?

जैनाचार्य तथा जैन धर्म के प्रमुख नेता श्री संघभद्र ने जैन संघ में परिवर्तन करके उसके दो भाग कर दिये जिनके नाम है?

जैनियों के पहले तीर्थकर कोन थे?

जैनुल आबिदीन, जिसने गौ हत्या प्रतिबन्धित कर दी थी, कहां का शासक था?

जो कला शैली भारतीय और ग्रीक / यूनानी शैली का सम्मिश्रण है, उसे कहते है

जो कला शैली भारतीय और ग्रीक/ यूनानी शैली का सम्मिश्रण है उसे कहते हैं।