हाइगेंस का सिद्धांत बतलाता है कि किसी तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु द्वितियक तरंगों का स्त्रोत होता है, जो जुड़कर कुछ समय पश्चात एक तरंगाग्र बनाते हैं। हाइगेंस की रचना हमें यह बतलाती है कि नया तरंगाग्र द्वितियक तरंगों का अग्र आवरण है। जब प्रकाश की चाल दिशा पर निर्भर नही करती हो तो द्वितियक तरंगें गोलीय होती हैं। किरणें तब दोनों तरंगाग्रों के लंबवत् होती हैं तथा यात्रा काल किसी भी किरण की दिशा में समान होता है। इस सिद्धांत से परावर्तन तथा अपवर्तन के सुज्ञात नियम प्राप्त होते है।