चौहान-वंश

  Last Update - 2023-06-12

चौहान वंश : चौहान वंश की स्थापना वासुदेव द्वारा 551 ई0 में सपादलक्ष के क्षेत्र में की गयी थी। वासुदेव को ही चौहानों का आदि पुरूष भी कहा जाता है। संभार झील का बिजोलिया शिलालेख चौहान वंश की स्थापना के सम्बन्ध में जानकारी देता है। चौहान वंश की राजधानी अजमेर थी।

चौहान वंश के प्रमुख राजाओं की सूची निम्नवत है -

  • - इन्होंने 551 ई० में चौहान वंश की स्थापना की।
  • - इन्होंने ही 1113 ई० में अजमेर नगर की स्थापना की थी
  • - इनको बीसलदेव के नाम से भी संबोधित किया जाता था। इनके काल को चौहान वंश का स्वर्णिम काल भी कहा जाता है, इन्होंने अपने राज्य का विस्तार दिल्ली तक किया। इन्होंने अजमेर में एक संस्कृत विद्यालय का निर्माण कराया था। जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर ढाई दिन का झोंपड़ा बनवा दिया।
  • - ये इस वंश के एक शक्तिशाली राजा थे। इनका राज अजमेर से दिल्ली तक था।

पृथ्वीराज चौहान तृतीय (1178-1192)

  • इनका जन्म अजमेर राज्य के राजा सोमेश्वर के यहां हुआ था। इनकी माता का नाम कर्पूरदेवी था।
  • पृथ्वीराज चौहान की कुल 12 पत्नियां थी जिनमें से संयोगिता प्रसिद्धतम है। संयोगिता कन्नौज साम्राज्य के राजा जयचन्द्र की पुत्री थी।
  • तराईन का प्रथम युद्ध 1191 पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी मध्य हुआ था। इस युद्ध में मोहम्मद गोरी की बुरी तरह हार हुई।
  • मोहम्मद गोरी का असली नाम मोहम्मद बिन शाम था तथा इसका भारत पर आक्रमण करने का प्रमुख उद्देश्य एक मुस्लिम राष्ट्र स्थापित करना था। ये अफगानिस्तान के ‘गोमल दर्रे’ से होता हुआ भारत आया था। गोमल दर्रा वर्तमान में अफगानिस्तान व पाकिस्तान के मध्य से गुजरने वाली ‘डूरंड रेखा’ पर स्थित है। अफगानिस्तान को पहले ‘घोर’ कहा जाता था इसलिए मोहम्मद बिन शाम, ‘घोरी’ कहा जाने लगा जो कालान्तर में ‘गोरी’ बन गया।
  • गोमल दर्रे से आते हुए पहले इसने मुलतान फिर कच्छ पर विजय प्राप्त की।
  • तराईन का दूसरा युद्ध (1192 ई०) में हुआ था। जिसमें मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बुरी तरह से पराजित किया तथा पृथ्वीराज की मृत्यु हो गयी।
  • चंद बरदाई पृथ्वी राज चौहान के राज कवि थे। इनकी प्रसिद्ध रचना ‘पृथ्वीराज रासो’ है, जिसके अनुसार तराईन के दूसरे युद्ध के बाद बंदी पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को मार दिया था, परन्तु इसका कोई भी अन्य ऐतिहासिक तथ्य उपलब्ध नहीं है, अतः यह मात्र एक कल्पना लगती है। ‘पृथ्वीराज रासो’ में इन निम्न पंक्तियों के माध्यम से इस घटना को दर्शाया गया है -

    “चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमान।
    ता ऊपर सुल्तान है, मत चुके चौहान”।।

  • मोहम्मद गोरी ने एक और शक्तिशाली कन्नौज राजपूत शासक जयचंद को 1194 ई० को चंदावर के युद्ध में पराजित किया।
  • झेलम क्षेत्र में नदी के किनारे मोहम्मद गोरी को खोखर नामक जाट कबीले के लोगों ने अपने ऊपर 1205 ई० में हुए हमलों का बदला लेने के लिए 1206 ई० में मार डाला।
  • मोहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद उसकी कोई संतान न होने के कारण उसके गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज वंश स्थापित किया। जिसे के नाम से जाना जाता है।

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