अंगेज ईस्ट इंडिया कंपनी, उसका इतिहास और परिणाम

  Last Update - 2021-10-20

31 दिसम्‍बर 1600ई. को महारानी एलिजाबेथ ने पूर्वी देशो के साथ व्‍यापार करने वाले लंदन के व्‍यापारियों की कंपनी (द सुनाइटेड कंपनी ऑफ मर्चेण्‍टस् ऑफ इंग्‍लेण्‍ड ट्रेडिंग टू ईस्‍ट इंडीज) और उनके गवर्नर को एक अधिकार पत्र प्रदान किया। इस अधिकार पत्र द्वारा 1600 ई. मे ईस्‍ट इंडिया कंपनी की स्‍थापना हुई। 1608ई. मे कैप्‍टन हाकिन्‍स अपने साथ ब्रिटेन के राजा जेम्‍स का पत्र लेकर मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार मे दाखिल हुआ।

1613ई. मे एक शाही फरमान के द्वारा अंग्रेजो को व्‍यापार करने के लिए सूरत मे एक कोठी बनाने और मुगल दरबार मे एक दूत रखने की अनुमति दी गयी। 1615ई. में सर टॉमस रो जहांगीर के दरबार में आया। उसने अपनी राजनीतिक पटुता से भारत मे अंग्रजी व्‍यापारिक कोठियां बनाने की अनुमति प्राप्‍त कर ली। इससे कंपनी ने आगरा, अहमदाबाद और भडौच में कोठियां स्‍थापित कर लीं। इसके बाद उन्‍होने दक्षिण मे 1611ई. मे मुसलीपट्टम मे कोठी स्‍थापित की। 1631र्इ. मे मछलीपट्टम मे कोठी स्‍थापित की गयी। 1632मे अंग्रेजो ने गोलकुण्‍डा के बन्‍दरगाहों पर व्‍यापार करने की छुट प्राप्‍त की। इसे सुनहरा फरमान कहा गया। 1640ई. मे अंग्रेजो ने चन्‍द्रगिरि के राजा से मद्रास खरीदा और वहां फ्रांसिस-डे ने सेंट जार्ज नामक दुर्ग स्‍थापित किया।

1668र्इ. मे कंपनी को 10पौंड वार्षिक किराये पर चार्ल्‍स द्वितीय से बंबई प्राप्‍त हो गया। बंगाल के नवाब अजीमुशान ने अंग्रजो को सुतानटी, कोलकताता, और गोविंदपुर नामक तीन गावॅो की जमींदारी दी। इन तीनो को मिलाकर जॉब चार्नाक ने फोर्ट विलियम की स्‍थापना की जो कोलकाता नगर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। सर विलियम नौरिस को व्‍यापारिक अनुमोदन प्राप्‍त करने हेतू औरंगजेब के दरबार मे नियुक्‍त किया गया था। 1717ई. मे जान शम्रन और विलियम हैमिल्‍टन नामक सर्जन फर्रुखसियर के दरबार मे गये।एक दर्दनाक बीमारी से छुटकारा दिलाने के कारण बादशाह ने शाही फरमान जारी किया जिसे कंपनी का मैग्‍नाकाटां कहा गया।

जॉन मिलडेनहॉल पहला अंग्रज यात्री था जो स्‍थल मार्ग से भारत आया।  

गोराल्‍ड ओंगियाड ने बंबई नगर की स्‍थापना की। कोलकाता प्रेसीडेंसी का पहला अध्‍यक्ष चार्ल्‍स आयर था।

कम्‍पनी के सिक्‍को का निर्माण मुम्‍बई मे होता था।

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