भारत के 4 राज्यों राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मध्य एक उपयुक्त जल वितरण की नीति पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी, इसलिए सरकार ने 1969 में जल विवाद संबंधी मुद्दे को हल करने के लिए ’नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण’ का गठन किया। 1979 में न्याय-प्राधिकरण ने नर्मदा घाटी विकास योजना प्रारम्भ की।
आठवें दशक के प्रारंभ में भारत के मध्य भाग में स्थित नर्मदा घाटी विकास योजना के तहत राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरने वाली नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर 30 बङे बांध, 135 मध्यम बांध और 3000 छोटे बांध बनाने का प्रस्ताव रखा गया। 1985 में विश्व बैंक ने इस परियोजना को बढ़ावा देने के लिए 450 करोङ डाॅलर का लाॅन देने की घोषणा की।
सरदार सरोवर बांध के निर्माण से विस्थापित हुए लोगों के लिए उचित पुनर्वास प्रदान नहीं करने के लिए सबसे पहले यह आंदोलन शुरू हुआ। नर्मदा नदी भारत की सबसे बङी पश्चिम में बहती नदी है, यहाँ पर अधिक संख्या में ग्रामीण आबादी के जंगलों में रहने वाले आदिवासी लोगों से लेकर विशिष्ट संस्कृति और परंपरा के लोगों रहते है।
नर्मदा घाटी विकास परियोजना के लाभ -
- भारत के 4 राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश को पीने के पानी की उपलब्धता प्राप्त होगी।
- 2.27 करोङ हैक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त होती है। जिससे कृषि की उपज में गुणात्मक सुधार होंगे।
- नर्मदा नदी (Narmada River) पर बाँध बनने से बाढ़ के पानी को रोका जा सकता है।
- इससे पानी की आपूर्ति हो जाती है।
- बिजली बनायी जा सकती है।
- बाँध बनने से सूखे की समस्या दूर हो सकती है।
- लोगों को रोजगार नये अवसर प्राप्त होते है।
- सरदार सरोवर परियोजना से 1450 मेगावाॅट बिजली के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कारण -
- इसका प्रमुख कारण है कि सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई बढ़ने से यह बाँध 37000 हेक्टेयर के क्षेत्र को जलमग्न करता है, जिसके अन्तर्गत 13000 हेक्टेयर वन क्षेत्र थे, इस प्रकार इससे एक प्रकार से वनों की क्षति होने की संभावना थी।
- बाँध निर्माण के समय पेङे-पौधे की कटाई से पर्यावरण पर बुरा असर पङेगा।
- बाँध का जलस्तर बढ़ने से एक लाख से अधिक लोगों को इस जगह से विस्थापित होना पङेगा।
- यहाँ पर लगभग 450 गाँव इस पानी में डूबते है।
- लोगों के रोजगार छिन जायेंगे और उनकी आजीविका पर बुरा असर पङेगा।
- साथ ही मेधा पाटकर का आरोप है कि सर्वाच्च न्यायालय के आदेश देने के बाद भी बांध से प्रभावित लोगों को न तो मुआवजा दिया गया और न ही पुनर्वास दिया गया है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख नेता कौन थे -
- नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर थी, जो एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक सुधारक तथा भारतीय राजनीतिज्ञ थी।
- इस आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता के रूप में मेधा पाटकर के अलावा अंरुणधती राॅय, बाबा आम्टे एवं अनिल पटेल, आमिर खान भी शामिल थे।
नर्मदा बचाओ आंदोलन कब शुरू हुआ -
1985 में जब मेधा पाटकर और उनके सहयोगियों को नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध बनाने की सूचना मिली, तो वे परियोजना स्थल पर पहुँच गये। उन्होंने देखा कि बांध के निर्माण के कारण लोगों को पुनर्वास का प्रस्ताव दिया जा रहा है।
जिन लोगों को बांध निर्माण से परेशानियाँ होगीं उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही उनसे कोई परामर्श लिया गया। तभी से मेधा पाटकर एवं उनके सहयोगियों और कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ आवाज उठायी और 1988-89 में नर्मदा बचाओ आंदोलन शुरू हुआ।
1980-1987 में अनिल पटेल ने जनजातीय लोगों के पुनर्वास (फिर से बसाना) के अधिकार के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश देने पर 1987 में गुजरात सरकार ने ’पुनर्वास नीति’ की घोषणा की। 1989 में मेधा पाटकर ने नर्मदा बचाओ आन्दोलन के माध्यम से सरदार सरोवर परियोजना का विरोध किया तथा इसके निर्माण के कारण लोगों के विस्थापन की समस्या को उजागर किया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्थन में कई समाजसेवियों, महिलाओं, किसानों, पर्यावरणविदों, आदिवासियों तथा मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का एक संगठित समूह बना। सरकार की परियोजना के विरोध में इन लोगों ने कई हङतालें एवं पदयात्राएँ की तथा समाचार पत्रों के माध्यम से आम लोगों तथा सरकार तक अपनी बात को पहुँचाना का प्रयत्न किया।
सितम्बर, 1989 को मध्यप्रदेश के हारसूद नामक स्थान पर एक आम सभा हुई, इस आम सभा में 200 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के 45000 लोगों ने भाग लिया। यह पर्यावरण के मुद्दे को लेकर हुई अब तक की सबसे बङी सभा में जिसमें रैली निकाली गयी। इस रैली में भारत के समाजसेवियों और गैर सरकारी संगठनों ने भी हिस्सा लिया। इस सभा ने नर्मदा पर बांध के निर्माण का विरोध किया तथा इसे ’विनाशकारी विकास’ का नाम दिया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के उद्देश्य -
नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध का विरोध करने वाले अधिकांश लोगों में मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र के आदिवासी शामिल है। दिसंबर 1990 में 5000 से 6000 पुरुषों और महिलाओं ने ’नर्मदा जन विकास संघ यात्रा’ 100 किलोमीटर से अधिक दूरी तक तय की और सरकार की परियोजना का विरोध किया। इन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
7 जनवरी 1991 को सात सदस्यों की टीम ने भूख हङताल की और बाबा आमटे भी आमरण अंशन पर बैठे। इस विरोध को देखते हुए विश्व बैंक ने 450 करोङ सहायता राशि की घोषणा की थी उसे 1994 में उसने वो सहायता राशि देने से इंकार कर दिया।
लेकिन राज्य सरकार ने परियोजना जारी रखी। तब 1993 में नर्मदा आन्दोलन की प्रणेता मेधा पाटकर ने लोगों के विस्थापन को रोकने के लिए भूख हङताल कर दी। जब राज्य सरकार ने वन मंत्रालय द्वारा दिये गये निर्देशों को लागू नहीं किया तो 1994 में नर्मदा बचाओ आन्दोलन के कार्यकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से बांध के निर्माण को रोकने की याचना की।
1995 में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि जब तक विस्थापित होने वाले लोगों के पुनर्वास का इंतजाम नहीं होगा तब तक सरकार सरदार सरोवर बांध का निर्माण-कार्य शुरू नहीं करेगी।
1994 में नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यालय पर सरकारी द्वारा भेजे गए कुछ राजनीतिक दलों ने प्रहार कर दिया, जिसमें मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं को शारीरिक रूप से कष्ट दिये गये और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसके विरोध में एनबीए कार्यकर्ताओं ने उपवास शुरू कर, लेकिन 20 दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
पर्यावरण के मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने 18 अक्टूबर 2000 में निर्णय दिया कि इस शर्त पर सरदार सरोवर बांध का निर्माण होगा कि बांध की ऊँचाई 90 मीटर तक बढ़ाई जाये। यह ऊँचाई 88 मीटर की तुलना में बहुत अधिक है, जिसे बांध विरोधी कार्यकर्ताओं ने मांग की थी, लेकिन यह निश्चित रूप से 130 मीटर को प्रस्तावित ऊँचाई से कम है।
लेकिन यह ऊँचाई प्रस्तावित 130 मीटर से कम थी। अन्त में 2001 में बांध की ऊंचाई 90 मीटर तक कर दी। जून 2004 में बांध की ऊंचाई फिर से बढ़ाकर 110.4 मीटर कर दी गई।
2006 में नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने बाँध की ऊँचाई 121.92 मीटर तक बढ़ाने की इजाजत दी। सन् 2014 में नर्मदा कंट्रोल अथाॅरिटी ने सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई बढ़ाने के लिए आखिरी निकासी की और इसकी ऊंचाई 121.92 मीटर से बढ़ाकर 138.68 मीटर कर दी गई। फिर 17 जून 2017 को ’नर्मदा कंट्रोल अथाॅरिटी’ ने 16 जून को डैम के सभी 30 गेट बंद करने की इजाजत दी। 10 जुलाई 2017 को सरदार सरोवर बांध के सभी गेट बंद कर दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी 2017 को परियोजना से प्रभावित होने वाले लोगों को मुआवजा देने का निर्देश दिया। लेकिन इसके बाद भी सरदार सरोवर बांध के निर्माण-कार्य का मेधा पाटकर ने लगातार विरोध किया। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई 138.68 मीटर, लंबाई 1200 मीटर और गहराई 163 मीटर है।
विस्थापित लोगों को मुआवजा देना -
- न्यायपालिका ने विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए आदेश दिए, उनके आदेशों के अनुसार नये स्थान पर पुर्नवासित होने वाले लोगों के लिए 55 व्यक्तियों पर एक प्राईमरी स्कूल, एक चिकित्सालय, एक पंचायत घर और पानी एवं बिजली की व्यवस्था की जाए।
- दो हैक्टैयर भूमि के लिए 60 लाख रुपये प्रति परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया।
- सरदार सरोवर बाँध का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि लगभग 700 परिवारों में से प्रत्येक विस्थापित व्यक्ति को 60 लाख रुपये देने का आदेश दिया।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इस परियोजना से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और पुनःस्थापना के काम को 3 महीने में पूरा करने का निर्देश दिया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन का परिणाम -
- नर्मदा बचाओ आंदोलन के परिणामस्वरूप केन्द्र सरकार ने 2003 में राष्ट्रीय पुर्नस्थापना नीति की घोषणा की।
नर्मदा बचाओ आंदोलन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण प्रश्न -
1. नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध परियोजना का उद्घाटन किसने व कब किया ?
उत्तर - 5 अप्रैल 1961 में जवाहरलाल नेहरू ने
2. भारत के कितने राज्यों का नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध को लेकर विवाद था ?
उत्तर - भारत के 4 राज्यों राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र।
3. ’नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण’ का गठन कब किया गया ?
उत्तर - 1969 में
4. नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के कौनसी योजना प्रारम्भ की ?
उत्तर - नर्मदा घाटी विकास योजना
5. 1985 में विश्व बैंक ने नर्मदा घाटी परियोजना को बढ़ावा देने के लिए कितने डाॅलर का लाॅन देने की घोषणा की ?
उत्तर - 450 करोङ डाॅलर
6. नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रणेता कौन थे ?
उत्तर - मेधा पाटेकर
7. नर्मदा बचाओ आन्दोलन में मेधा पाटेकर का साथ देने वाले सहायक कौन थे ?
उत्तर - अंरुणधती राॅय, बाबा आम्टे एवं अनिल पटेल, आमिर खान
8. नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरूआत कब हुई ?
उत्तर - 1988-89 में
9. नर्मदा बचाओ आंदोलन का प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर - नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध बनाने के विरोध का प्रमुख कारण - इसकी ऊँचाई बढ़ने से 37000 हेक्टेयर वन भूमि का जलमग्न होना, 1 लाख से अधिक लोगों के विस्थापन की समस्या, लगभग 450 गाँवों का पानी में डूबना, लोगों के रोजगार छिनना। नर्मदा बचाओ आंदोलनकारियों की मांग है कि जलस्तर कम किया जाए और लोगों के विस्थापन की समस्या को हल करके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
10. नर्मदा बचाओ आंदोलन का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर - उद्देश्य-बांध निर्माण स्थल से लोगों के विस्थापन को रोकना।
11. मेधा पाटकर क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर - मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक माना जाती है। इसने नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के विरोध में यह आन्दोलन चलाया। जिसमें लोगों के विस्थापन का विरोध करते हुए पुनर्वास की बात कही गई है।
12. मेधा पाटकर सन् 1988 से लगातार किसका विरोध कर रही है ?
उत्तर - नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांँध के निर्माण का।
13. ’नर्मदा कंट्रोल अथाॅरिटी’ के आदेश पर सरदार सरोवर बांध के सभी गेट कब बंद कर दिए गए ?
उत्तर - 10 जुलाई 2017
14. सरदार सरोवर बाँध किस नदी पर स्थित है ?
उत्तर - नर्मदा नदी पर।
15. सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई कितनी है ?
उत्तर - सरदार सरोवर बाँध की ऊंचाई 138.68 मीटर, लंबाई 1200 मीटर और गहराई - 163 मीटर है।