बीज: जीवन का आधार

बीज एक छोटा सा आवरण होता है जिसके अंदर एक भ्रूण, पोषक तत्व और एक सुरक्षात्मक आवरण होता है। यह एक नए पौधे के जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। बीज निषेचन की प्रक्रिया के बाद बीजांड से विकसित होता है।

बीज का निर्माण:

  1. निषेचन: बीज बनने की प्रक्रिया निषेचन से शुरू होती है। जब परागकण अंडाशय में पहुंचते हैं और अंडाणु को निषेचित करते हैं, तो एक युग्मज बनता है।
  2. भ्रूण का विकास: युग्मज विभाजित होकर भ्रूण बनाता है। भ्रूण में तीन मुख्य भाग होते हैं:
    • प्रांकुर (Plumule): यह पौधे का वह भाग है जो तना और पत्तियां बनाता है।
    • मूलांकुर (Radicle): यह पौधे का वह भाग है जो जड़ बनाता है।
    • बीजपत्र (Cotyledon): यह भ्रूण का वह भाग है जो पोषक तत्वों को संग्रहीत करता है।
  3. बीजावरण का निर्माण: बीजांड के चारों ओर का आवरण बीजावरण बनाता है। बीजावरण बीज को सूखने और क्षति से बचाता है। बीजावरण के दो भाग होते हैं:
    • बीज चोल (Testa): यह बीजावरण का बाहरी आवरण है।
    • टेगमैन (Tegmen): यह बीजावरण का भीतरी आवरण है।

बीज के प्रकार:

बीज दो मुख्य प्रकार के होते हैं:

  • एकबीजपत्री (Monocotyledonous) बीज: इन बीजों में केवल एक बीजपत्र होता है। उदाहरण: मक्का, गेहूं, धान।
  • द्विबीजपत्री (Dicotyledonous) बीज: इन बीजों में दो बीजपत्र होते हैं। उदाहरण: चना, मटर, सरसों।

बीज का महत्व:

बीज पौधों के जीवन चक्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पौधों को नए स्थानों पर फैलने और प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करते हैं। बीज भोजन और ऊर्जा का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

बीज अंकुरण:

जब बीज को उचित वातावरण (जैसे कि नमी, तापमान और ऑक्सीजन) मिलता है, तो यह अंकुरित होता है। अंकुरण के दौरान, भ्रूण विकसित होता है और एक नया पौधा बनाता है।

बीज का भंडारण:

बीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए उन्हें ठंडी और सूखी जगह पर संग्रहित करना चाहिए।

निष्कर्ष:

बीज जीवन का एक अद्भुत रूप है। वे न केवल नए पौधों को जन्म देते हैं, बल्कि वे भोजन और ऊर्जा का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।


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