वर्णक तन्त्र-II (Pigment system-I) #8211; क्लोरोफील P<sub>680</sub>, फोटोन की क्वाण्टम ऊर्जा को अपने अन्दर ग्रहण करके उत्तेजित हो जाता है, तब इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन एक पदार्थ फिओफाइटिन (phaeophtin) द्वारा ग्रहण किये जाते हैं तथा इलेक्ट्रॉन्स परिवहन तन्त्र से भ्रमण करते हुए प्रकाश-कर्म-I के हरितलवक P<sub>700</sub> से जुड़ते हैं। इस प्रकाश कर्म में ऊर्जा ATP में इकट्ठा होती है। क्योंकि इस क्रम में क्लोरोफील P<sub>680</sub> से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन वर्णक-तन्त्र-II में वापिस नहीं आते इसलिए इस क्रम को अचक्रीय प्रकाश-फॉस्फोरिलीकरण (non-cyclic photophosphorylation) कहते हैं। इसमें जल का सूर्य के प्रकाश में अपघटन होता है तथा ऑक्सीजन बाहर निकलती है। 4H<sub>2</sub>O → 4H<sup>+</sup> + 4OH<sup>#8211;</sup> 4OH<sup>#8211;</sup> → 4OH + 4e<sup>#8211;</sup> 4OH → 2H<sub>2</sub> + O<sub>2</sub> ↑ ये मुक्त हाइड्रोजन आयन NADP<sup>+</sup> द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं, जिससे NADP·H<sub>2</sub> उत्पन्न होता है।