गोलार्धपीतकी को टीलोलेसिथल भी कहा जाता है एवं यह अण्डों में होने वाली ऐसी अभिक्रिया है जिसमें पीतक या जर्दी गोलार्ध की ओर अधिक मात्रा में उपस्थित होते है।

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