मुन्च की द्रव्यमान प्रवाह परिकल्पना (Munch mass flow hypothesis) के अनुसार खाद्य पदार्थों का स्त्रोत या निर्माण के स्थान से उनके उपयोग के स्थान (sink) तक फ्लोयम द्वारा भेजे गए सान्द्रता के अनुरूप होता है। पत्तियों की कोशिकाओं में शर्करा का निर्माण होते रहने से विलयन की सान्द्रता बढ़ती है, अर्थात् परासरण दाब अधिक रहता है। यह विलयन तने में स्थित फ्लोयम की चालनी नलिकाओं से होकर जड़ों तक पहुँच जाता है। जड़ों में पहुँचकर कुछ घुलने वाले पदार्थ तो श्वसन में उपयोग हो जाते हैं, और शेष स्टार्च के रूप में इकट्ठे कर लिये जाते है।