पृथक्करण का नियम मेण्डल ने प्रतिपादित किया। पृथक्करण का नियम को युगमकों की शुद्धता का नियम (Law of purity of gametes) भी कहते हैं। पृथक्करण का नियम के अनुसार जब F<sub>1</sub> पीढ़ी के संकर पौधों में स्वपरागण कराया जाता है तो द्वितीय पीढ़ी में पैतृक लक्षण 3:1 के निश्चित अनुपात में पृथक हो जाते हैं, अतः प्रत्येक युग्म के विपरीत लक्षण, युग्मकों के बनते समय एक दूसरे से पृथक होकर अलग-अलग युग्मकों में चले जाते हैं।