d-ब्लॉक तत्व वे तत्व हैं जो आधुनिक आवर्त सारणी के तीसरे समूह से बारहवें समूह तक पाए जा सकते हैं। इन तत्वों में, अंतिम इलेक्ट्रॉन (d-इलेक्ट्रॉन) पेनल्टीमेट शेल (n-1)d ऑर्बिटल में प्रवेश करता है। d-ब्लॉक में उपस्थित तत्वों को संक्रमण तत्व या संक्रमण धातु कहते हैं क्योंकि ये s-ब्लॉक और p-ब्लॉक तत्वों के बीच सेतु का काम करते हैं। अतिरिक्त जानकारी: इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: d-ब्लॉक तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d¹⁻¹⁰ ns⁰⁻² होता है। इस विन्यास में विचलन भी देखने को मिलते हैं, जो अर्ध-भरे और पूरी तरह से भरे d-ऑर्बिटल्स के अतिरिक्त स्थायित्व के कारण होते हैं। धात्विक गुण: ये सभी तत्व धातु हैं और आमतौर पर कठोर, मजबूत और नमनीय होते हैं। इनमें उच्च तापीय और विद्युत चालकता होती है। परिवर्ती संयोजकता: d-ब्लॉक में उपस्थित तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि (n-1)d और ns ऑर्बिटल्स के बीच ऊर्जा का अंतर कम होता है, जिससे इलेक्ट्रॉन आसानी से रासायनिक बंधों में भाग ले सकते हैं। रंगीन यौगिक: संक्रमण धातु आयन अक्सर रंगीन यौगिक बनाते हैं। यह दृश्य क्षेत्र से विशिष्ट तरंग दैर्ध्य के प्रकाश के अवशोषण के कारण होता है, जो d-ऑर्बिटल्स के बीच इलेक्ट्रॉन के संक्रमण को उत्तेजित करता है। उत्प्रेरक गुण: कई संक्रमण धातुएं और उनके यौगिक अच्छे उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। यह उनकी परिवर्ती संयोजकता और सतह पर अभिकारक अणुओं को सोखने की क्षमता के कारण होता है। उदाहरण: d-ब्लॉक तत्वों के कुछ सामान्य उदाहरण हैं लोहा (Fe), तांबा (Cu), जस्ता (Zn), सोना (Au), चांदी (Ag), टाइटेनियम (Ti) और मैंगनीज (Mn)। अपवाद: जिंक (Zn), कैडमियम (Cd) और पारा (Hg) को कभी-कभी संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है क्योंकि इनके पास अपनी मूल अवस्था में या सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में आंशिक रूप से भरे हुए d-ऑर्बिटल्स नहीं होते हैं। d-ब्लॉक तत्वों का रसायन विज्ञान बहुत विविध और जटिल है, और वे विभिन्न औद्योगिक और जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।