d-ब्लॉक, जिसे संक्रमण तत्वों के रूप में भी जाना जाता है, आवर्त सारणी का एक महत्वपूर्ण खंड है। इन तत्वों में कई विशिष्ट गुण होते हैं जो उन्हें अन्य ब्लॉकों से अलग करते हैं।
1. स्थान और संरचना: d-ब्लॉक तत्व आवर्त सारणी के समूह 3 से 12 तक स्थित हैं। इनमें 40 तत्व शामिल हैं, जो चार आवर्तों (period) में फैले हुए हैं। इन तत्वों में, अंतिम इलेक्ट्रॉन (penultimate electron) आंतरिक d-कक्षकों में प्रवेश करता है। इन तत्वों को संक्रमण तत्व इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये s-ब्लॉक और p-ब्लॉक तत्वों के बीच संक्रमण का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2. धात्विक गुण: सभी d-ब्लॉक तत्व धातु हैं, जिनमें उच्च तन्यता, आघातवर्धनीयता (malleability) और अच्छी विद्युत और ऊष्मा चालकता होती है। धात्विक बंधन (metallic bonding) की उपस्थिति के कारण ये गुण होते हैं, जो उनके परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों के विस्थानीकरण (delocalization) के कारण होता है।
3. संक्रमण तत्व: d-ब्लॉक तत्वों को संक्रमण तत्व कहा जाता है क्योंकि ये रासायनिक व्यवहार में s-ब्लॉक और p-ब्लॉक तत्वों के बीच एक सेतु (bridge) बनाते हैं। हालांकि, जिंक (Zn), कैडमियम (Cd) और मरकरी (Hg) को तकनीकी रूप से संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है क्योंकि इनका पूर्ण रूप से भरा हुआ d-कक्षक होता है।
4. उच्च गलनांक और क्वथनांक: d-ब्लॉक तत्वों में आमतौर पर उच्च गलनांक और क्वथनांक होते हैं, जो उनके मजबूत धात्विक बंधनों के कारण होता है। बंधनों की प्रबलता, d-इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ती है।
5. परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (Variable Oxidation States): d-ब्लॉक तत्वों की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि ये एक से अधिक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि n-1 d-कक्षक और बाहरी ns-कक्षक में ऊर्जा का अंतर कम होता है, जिसके कारण दोनों कक्षकों से इलेक्ट्रॉन रासायनिक बंधन में भाग ले सकते हैं।
6. उत्प्रेरकीय गुण (Catalytic Properties): d-ब्लॉक के कई तत्व और उनके यौगिक उत्कृष्ट उत्प्रेरक (catalysts) के रूप में कार्य करते हैं। यह उनकी परिवर्ती संयोजकता और जटिल यौगिक बनाने की क्षमता के कारण होता है, जो अभिक्रियाओं के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करते हैं और सक्रियण ऊर्जा को कम करते हैं। उदाहरण के लिए, आयरन (Fe) का उपयोग हैबर प्रक्रिया (Haber process) में अमोनिया के उत्पादन में किया जाता है, और वैनेडियम पेंटोक्साइड (V2O5) का उपयोग संपर्क प्रक्रिया (contact process) में सल्फ्यूरिक एसिड के उत्पादन में किया जाता है।
7. रंगीन यौगिक: d-ब्लॉक तत्वों के कई यौगिक रंगीन होते हैं। यह d-कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों के d-d संक्रमण (d-d transitions) के कारण होता है। जब दृश्य प्रकाश इन यौगिकों पर पड़ता है, तो कुछ तरंग दैर्ध्य अवशोषित हो जाते हैं, और शेष रंग दिखाई देते हैं।
8. जटिल यौगिकों का निर्माण (Formation of Complex Compounds): d-ब्लॉक तत्व जटिल यौगिक बनाते हैं, जिनमें एक केंद्रीय धातु परमाणु लिगेंड्स से घिरा होता है। लिगेंड्स अणु या आयन होते हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन युग्म (electron pairs) होते हैं जिन्हें केंद्रीय धातु परमाणु को दान किया जा सकता है, जिससे सहसंयोजक बंधन (coordinate bonds) बनते हैं। जटिल यौगिकों का निर्माण धातु आयनों के छोटे आकार और उच्च आवेश घनत्व के कारण होता है।
ये अतिरिक्त विवरण आपको d-ब्लॉक तत्वों के गुणों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे।