अधिरोहण एक क्रिस्टल को दूसरे क्रिस्टल के पृष्ठ पर इस प्रकार विकसित करना है कि दोनों क्रिस्टलों के दिक्विन्यासों में परस्पर एक निश्चित सम्बन्ध बना रहें। इसमें एक अर्द्धचालक के अवस्तर पर उसी की एक तनु परत बनती है।