अर्द्धचालक डायोड मूल रूप में एक p-n संधि होती है जिसके सिरों पर धात्विक संपर्क जुड़े होते हैं ताकि इस संधि पर कोई बाह्य वोल्टता अनुप्रयुक्त की जा सके। इस युक्ति के दो टर्मिनल होते हैं।