आर्भट्ट (5 वीं शताब्दी में) ने अपने शोध प्रबन्ध में एक अधिक परिष्कृत मॉडल का वर्णन किया था, जिसे सूर्यकेन्द्रीय मॉडल कहते हैं जिसके अनुसार सूर्य को सभी ग्रहों की गतियों का केन्द्र माना गया है।