किरचॉफ का नियम #8211; इस नियम के अनुसार किसी निश्चित ताप पर किसी दी हुई तरंगदैर्ध्य के लिये सभी पृष्ठों की उत्सर्जन क्षमता (e<sub>λ</sub>) तथा अवशोषण क्षमता (a<sub>λ</sub>) की निष्पत्ति कृष्णिका की उत्सर्जन क्षमता (E<sub>λ</sub>) तथा अवशोषण क्षमता (A<sub>λ</sub>) के अनुपात के बराबर होती है। (e<sub>λ</sub>/a<sub>λ</sub>) = (e<sub>λ</sub>/a<sub>λ</sub>)<sub>2</sub> = (e<sub>λ</sub>/a<sub>λ</sub>)<sub>3</sub> #8230; (e<sub>λ</sub>/a<sub>λ</sub>)<sub>n</sub> = (E<sub>λ</sub>/A<sub>λ</sub>) = E<sub>λ</sub> (∵ कृष्णिका की अवशोषण क्षमता A<sub>λ</sub> = 1, λ के सभी मानों के लिये)