शनि प्राचीन खगोलविदों को ज्ञात ग्रहों में सबसे दूर स्थित ग्रह था। इसकी सूर्य से दूरी, बृहस्पति की दूरी की लगभग दोगुनी है। आमाप, द्रव्यमान एवम् संरचना में यह लगभग बृहस्पित जैसा ही है। किंतु, यह बृहस्पति की तुलना में अधिक ठंडा है। शनि के चारों ओर तीन वलय हैं जिनके कारण यह अन्य ग्रहों से अलग तथा अतिसुंदर दिखाई देता है। इन वलयों को नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता तथा इन्हें देखने के लिए दूरदर्शकों की आवश्कता होती है। दूरदर्शक से शनि को देखाना एक चित्ताकर्षक अनुभव है। सभी ग्रहों में शनि के ज्ञात प्राकृतिक उपग्रहों की संख्या सर्वाधिक है जो कि 30 है।