तरंगाग्र समान कला में दोलन करते ऐसे सभी बिन्दुओं का बिंदु पथ को कहते है। अतः तरंगाग्र को एक समान कला के पृष्ठ के रूप में परिभाषित किया जाता है। जिस गति के साथ तरंगाग्र स्त्रोत से बाहर की ओर बढ़ता है, वह तरंग की चाल कहलाती है। तरंग की ऊर्जा तरंगाग्र के लंबवत् चलती है।