सूर्य के केन्द्रीय भाग को क्रोड (Core) कहते हैं। यह सूर्य का सबसे गर्म और सघनतम भाग होता है, जहां नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) की प्रक्रिया द्वारा ऊर्जा उत्पन्न होती है।
अतिरिक्त जानकारी:
तापमान: क्रोड का तापमान लगभग 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस (27 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट) तक होता है। यह इतना गर्म है कि यहां परमाणु भी अपने सामान्य स्वरूप में नहीं रह पाते, बल्कि प्लाज्मा के रूप में मौजूद होते हैं।
घनत्व: क्रोड का घनत्व पानी के घनत्व से लगभग 150 गुना अधिक होता है। यह इतना घना है कि यहां प्रकाश को भी निकलने में लाखों वर्ष लग सकते हैं।
नाभिकीय संलयन: क्रोड में हाइड्रोजन परमाणु हीलियम में परिवर्तित होते हैं, जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यही ऊर्जा प्रकाश और गर्मी के रूप में सूर्य से बाहर निकलती है और पृथ्वी तक पहुंचती है।
ऊर्जा उत्पादन: क्रोड सूर्य की कुल ऊर्जा का लगभग 99% उत्पादन करता है।
आकार: क्रोड सूर्य के कुल आयतन का लगभग 20-25% हिस्सा होता है।
संरचना: क्रोड में मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम प्लाज्मा होता है, साथ ही कुछ मात्रा में भारी तत्व भी मौजूद होते हैं।
संक्षेप में, सूर्य का क्रोड एक विशाल नाभिकीय भट्टी है, जो अत्यधिक तापमान और घनत्व पर नाभिकीय संलयन के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न करती है। यही ऊर्जा सूर्य को चमक और गर्मी प्रदान करती है, जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाता है।