जैन धर्म में पूर्व ज्ञान को 'कैवल्य ज्ञान' कहा गया है। यह वह सर्वोच्च ज्ञान है जिसे एक आत्मा अपनी सभी कर्मों को नष्ट करने के बाद प्राप्त करती है। कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने के बाद, आत्मा जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है और मोक्ष प्राप्त कर लेती है। सर्वोच्च ज्ञान: कैवल्य ज्ञान को जैन धर्म में ज्ञान का सर्वोच्च रूप माना जाता है। यह संसार के समस्त सत्यों का पूर्ण और स्पष्ट ज्ञान है। कर्मों का नाश: यह ज्ञान आत्मा को कर्मों के बंधन से मुक्त करता है, जो पुनर्जन्म का कारण बनते हैं। मोक्ष की प्राप्ति: कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने के बाद, आत्मा मोक्ष की ओर अग्रसर होती है, जो दुखों से मुक्ति और अनंत सुख की अवस्था है। कैवल्य ज्ञान प्राप्ति का मार्ग: जैन धर्म में कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने के लिए त्रिरत्न (सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, और सम्यक चरित्र) का पालन करना आवश्यक है। इसके साथ ही, तपस्या, त्याग, और ध्यान के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करना भी महत्वपूर्ण है। कैवल्य ज्ञान प्राप्त करने वाले: जैन धर्म के अनुसार, 24 तीर्थंकरों ने कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और दूसरों को भी मोक्ष का मार्ग दिखाया। भगवान महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, ने भी कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था। इस प्रकार, कैवल्य ज्ञान जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। यह आत्मा की पूर्ण शुद्धि और अनंत ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है।