सूर्य के केंद्र का ताप लगभग 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस (15,000,000 °C या 27,000,000 °F) होता है। यह तापमान इतना अधिक इसलिए होता है क्योंकि सूर्य के केंद्र में ही नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) की प्रक्रिया चलती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम परमाणु बनाते हैं, और इस प्रक्रिया के दौरान भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
यहाँ कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
नाभिकीय संलयन: सूर्य के केंद्र में होने वाली यह प्रक्रिया ही सूर्य की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। अत्यधिक तापमान और दबाव के कारण हाइड्रोजन परमाणु एक साथ जुड़ने में सक्षम होते हैं।
दबाव: केंद्र में दबाव इतना अधिक (पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव का 340 बिलियन गुना) होता है कि यह परमाणुओं को इतना करीब लाता है कि वे एक साथ संलयन कर सकें।
ऊर्जा उत्पादन: प्रति सेकंड सूर्य लगभग 600 मिलियन टन हाइड्रोजन को हीलियम में परिवर्तित करता है, जिससे लगभग 4 मिलियन टन ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा प्रकाश और गर्मी के रूप में अंतरिक्ष में विकिरित होती है।
तापमान का प्रभाव: यह अत्यधिक तापमान सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को संतुलित करने में भी मदद करता है, जो सूर्य को अपने ही गुरुत्वाकर्षण के कारण ढहने से रोकता है।
तापमान का वितरण: सूर्य का तापमान केंद्र से सतह की ओर घटता जाता है। सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेल्सियस होता है।
संक्षेप में, सूर्य के केंद्र का 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया के लिए आवश्यक है, जो सूर्य को ऊर्जा प्रदान करता है और उसे स्थिर बनाए रखता है।