यह अन्तःकरण की स्वतन्त्रता और किसी भी धर्म के मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतन्त्रता देता है
यह धार्मिक और पूर्त प्रयोजनों के लिए संस्थानों की स्थापना और पोषण की स्वतन्त्रता देता है
यह अधिकार लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य के आधीन है
राज्य कोई भी ऐसा कानून नहीं बना सकता, जो नागरिकों के इस अधिकार का निराकरण कर सके