1903 में उत्तर प्रदेश के देवरिया (प्रतापपुर) में पहली चीनी मिल की स्थापना एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने राज्य में आधुनिक चीनी उद्योग की नींव रखी। उस समय, भारत में चीनी उत्पादन पारंपरिक तरीकों पर निर्भर था, और आधुनिक मिलों की कमी थी। प्रतापपुर में इस मिल की स्थापना ने गन्ने की खेती और चीनी उत्पादन के क्षेत्र में नई तकनीक और प्रक्रियाओं को पेश किया। इस मिल की स्थापना का उद्देश्य स्थानीय किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें एक स्थिर बाजार प्रदान करना था। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हुई, बल्कि क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए। इसके अतिरिक्त, इस मिल ने आसपास के क्षेत्रों में गन्ने की खेती के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य किया और अन्य उद्यमियों को भी इसी तरह की मिलें स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। प्रतापपुर में स्थापित चीनी मिल ने उत्तर प्रदेश को भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मिल की सफलता ने राज्य में चीनी उद्योग के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया और आने वाले दशकों में कई और मिलों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।