सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान है, जिसे धूमकेतु या पुच्छ तारा कहते हैं। ये पिण्ड बर्फीले पदार्थ, धूल और चट्टानों से बने होते हैं। माना जाता है कि ये सौरमण्डल के निर्माण के समय बचे हुए अवशेष हैं। अतिरिक्त जानकारी: कुइपर बेल्ट और ऊर्ट बादल: धूमकेतु मुख्य रूप से दो क्षेत्रों से आते हैं: कुइपर बेल्ट (Kuiper Belt) और ऊर्ट बादल (Oort Cloud)। कुइपर बेल्ट नेप्च्यून की कक्षा से परे स्थित है और इसमें छोटे, बर्फीले पिंड शामिल हैं। ऊर्ट बादल सौरमण्डल के सबसे बाहरी क्षेत्र में स्थित है और यह अरबों धूमकेतुओं का एक विशाल गोलाकार संग्रह माना जाता है। धूमकेतुओं की संरचना: धूमकेतुओं में एक नाभिक (nucleus), कोमा (coma) और पूंछ (tail) होती है। नाभिक ठोस भाग होता है, जो बर्फ और धूल से बना होता है। जब धूमकेतु सूर्य के करीब आता है, तो गर्मी के कारण बर्फ पिघलने लगती है और गैस और धूल छोड़ती है, जिससे कोमा बनता है। सूर्य के प्रकाश और सौर हवा के दबाव के कारण कोमा से एक पूंछ बनती है, जो हमेशा सूर्य से दूर निर्देशित होती है। धूमकेतुओं के प्रकार: धूमकेतु दो प्रकार के होते हैं: आवधिक (periodic) और गैर-आवधिक (non-periodic)। आवधिक धूमकेतु वे होते हैं जो एक निश्चित समय के बाद सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा पूरी करते हैं, जबकि गैर-आवधिक धूमकेतु केवल एक बार सूर्य के पास से गुजरते हैं। वैज्ञानिक महत्व: धूमकेतु सौरमण्डल के प्रारंभिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। उनकी संरचना का अध्ययन करके, वैज्ञानिक सौरमण्डल के निर्माण और विकास के बारे में अधिक जान सकते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि धूमकेतु पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक कार्बनिक अणु लाए होंगे। यह अतिरिक्त जानकारी आपके उत्तर को और अधिक विस्तृत और ज्ञानवर्धक बनाती है।