प्रथम प्रायोगिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएलवी-3) को 1980 में विकसित किया गया था। यह भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान था, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस यान का विकास भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा किया गया था, जिसका नेतृत्व डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था।
एसएलवी-3 एक चार-चरणों वाला ठोस प्रणोदक रॉकेट था, जिसका उद्देश्य 40 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित करना था। 1980 में, इस यान ने रोहिणी आरएस-1 नामक उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया, जिससे भारत अंतरिक्ष में उपग्रह प्रक्षेपण करने की क्षमता रखने वाले देशों के समूह में शामिल हो गया।
एसएलवी-3 के विकास ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर किया। इसने भविष्य के प्रक्षेपण यानों के विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया, जिसके परिणामस्वरूप अधिक शक्तिशाली और उन्नत प्रक्षेपण यान जैसे कि PSLV और GSLV का विकास हुआ। एसएलवी-3 की सफलता ने भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रेरित किया और देश में अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास को गति प्रदान की।
Answered :- 2022-11-30 09:32:55
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