भारत के राजचिन्ह के फलक के नीचे लिखा 'सत्यमेव जयते' मुण्डकोपनिषद् से उद्धृत है। यह एक महत्वपूर्ण वाक्यांश है जिसका अर्थ है "सत्य की ही विजय होती है"। इसे देवनागरी लिपि में लिखा गया है। मुण्डकोपनिषद् एक प्राचीन संस्कृत वैदिक ग्रन्थ है, जो हिन्दू दर्शन के उपनिषदों में से एक है। यह अथर्ववेद से जुड़ा हुआ है। इस उपनिषद् में ब्रह्म (परम वास्तविकता) और आत्मज्ञान के महत्व पर जोर दिया गया है। 'सत्यमेव जयते' का चुनाव भारत के राष्ट्रीय आदर्श वाक्य के रूप में किया गया, क्योंकि यह सत्य, धर्म और नैतिकता के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसे 26 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया था, जो भारत के गणतंत्र बनने का दिन था। यह वाक्यांश न केवल भारत के राजचिन्ह का हिस्सा है, बल्कि यह विभिन्न सरकारी दस्तावेजों, सिक्कों और राष्ट्रीय प्रतीकों पर भी अंकित है, जो सत्य के महत्व को लगातार याद दिलाता है।