हिमालय-कराकोरम-हिंदुकुश पर्वत श्रेणी की ऊँचाई 8848 मीटर (माउंट एवरेस्ट की चोटी पर) तक पहुँचती है, लेकिन यह सिर्फ सबसे ऊँची चोटी की बात है। यह पर्वत श्रृंखला असल में एक विशाल और जटिल प्रणाली है जो कई देशों में फैली हुई है और इसमें विभिन्न ऊँचाइयों वाली अनगिनत चोटियाँ शामिल हैं।
यहाँ कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
वास्तविक ऊँचाई में भिन्नता: माउंट एवरेस्ट सबसे ऊँचा बिंदु ज़रूर है, लेकिन इस पूरी पर्वत श्रेणी में चोटियों की ऊँचाई काफी भिन्न होती है। कराकोरम में के2 (8611 मीटर) जैसी ऊँची चोटियाँ हैं, और हिंदुकुश में भी 7000 मीटर से ऊपर की चोटियाँ पाई जाती हैं। इन पर्वत श्रृंखलाओं के बाकी हिस्सों में भी हजारों मीटर ऊँची कई पर्वत शिखर स्थित हैं।
भौगोलिक विस्तार: यह पर्वत श्रृंखला भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान जैसे देशों तक फैली हुई है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण भौगोलिक और राजनीतिक क्षेत्र है।
भूगर्भीय गठन: यह पर्वत श्रृंखला भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से बनी है, जो अभी भी जारी है। इसी वजह से इस क्षेत्र में भूकंप आम हैं और यहाँ की भूगर्भिक गतिविधियाँ लगातार जारी हैं।
महत्व: यह क्षेत्र कई महत्वपूर्ण नदियों का स्रोत है, जो करोड़ों लोगों के लिए पानी का स्रोत हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र जैव विविधता का हॉटस्पॉट भी है, जहाँ कई दुर्लभ और स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
जलवायु प्रभाव: यह पर्वत श्रृंखला मानसून की हवाओं को प्रभावित करती है और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
संक्षेप में, हिमालय-कराकोरम-हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला सिर्फ एक ऊँचाई का आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह एक विशाल और जटिल भूभाग है जिसका वैश्विक जलवायु, भूगोल और जैव विविधता पर गहरा प्रभाव है।
Answered :- 2022-12-22 09:45:49
Academy