हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड (HSL), राउरकेला की स्थापना 1955 में ओडिशा के राउरकेला में पश्चिम जर्मनी (तत्कालीन) की सहायता से की गई थी। यह भारत की पहली एकीकृत इस्पात संयंत्रों में से एक था जो सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित किया गया था। अतिरिक्त जानकारी: उद्देश्य: राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में इस्पात उत्पादन को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। यह द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसमें भारी उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया था। जर्मन सहयोग: पश्चिम जर्मनी ने संयंत्र की स्थापना के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की। जर्मन कंपनियों ने संयंत्र के डिजाइन, निर्माण और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्रुप और डेमाग जैसी प्रमुख जर्मन कंपनियों ने राउरकेला स्टील प्लांट के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उत्पादन: राउरकेला इस्पात संयंत्र ने शुरू में फ्लैट इस्पात उत्पादों का उत्पादन शुरू किया, जिसमें प्लेटें, शीट और स्ट्रिप्स शामिल थीं। इसका उद्देश्य घरेलू बाजार की मांग को पूरा करना और इस्पात के आयात को कम करना था। आधुनिकीकरण: समय के साथ, राउरकेला इस्पात संयंत्र का आधुनिकीकरण किया गया और इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया। इसने नई तकनीकों को अपनाया और अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता लाई। SAIL का हिस्सा: वर्तमान में, राउरकेला इस्पात संयंत्र स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) का एक अभिन्न हिस्सा है। यह भारत के प्रमुख इस्पात उत्पादकों में से एक है और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। सामाजिक प्रभाव: राउरकेला इस्पात संयंत्र ने ओडिशा के राउरकेला क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इसने रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा दिया है। संक्षेप में, राउरकेला इस्पात संयंत्र भारत-जर्मन सहयोग का एक सफल उदाहरण है और इसने भारत के इस्पात उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।